अपनी तरह के एक दुर्लभ मामले में मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। 8 घंटे तक पुलिस हिरासत में रहने के बाद महाड के एक स्थानीय मैजिस्ट्रेट ने राणे को आधी रात के करीब जमानत पर रिहा कर दिया, लेकिन साथ ही आदेश दिया कि वह पुलिस के सामने पेश हों और आइंदा इस तरह की टिप्पणी न करें। मैजिस्ट्रेट ने राणे की 7 दिन हिरासत में रखने की पुलिस की अर्जी को खारिज कर दिया।
राणे को पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। वह मतदाताओं को धन्यवाद देने के लिए कोंकण क्षेत्र में 'जन आशीर्वाद यात्रा' पर थे। इसी दौरान राणे ने अपने एक भाषण में इस बात का जिक्र किया कि कैसे शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने अपने सचिव से यह पूछा था कि ये भारत की आजादी का अमृत महोत्सव (75 वां वर्ष) है या हीरक महोत्सव। राणे ने कहा कि यदि मैं वहां होता तो भारत को आजाद हुए कितने साल हो गए, ये पता न होने पर उद्धव ठाकरे के कान के नीचे एक थप्पड़ लगाता।
जब राणे के इस आपत्तिजनक बयान को मीडिया ने दिखाना शुरू किया तो हंगामा मच गया और शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। राणे के खिलाफ शिवसैनिकों ने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में 4 FIR दर्ज करवाईं। राणे पूर्व शिवसैनिक हैं और सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं। अपनी गिरफ्तारी के समय इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए राणे ने कहा, वह उद्धव ठाकरे को अपना दुश्मन होने के लायक भी नहीं मानते। राणे ने गिरफ्तारी से पहले अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी, लेकिन इसके खारिज होने के तुरंत बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके होटल पहुंच गई।
राणे को रत्नागिरी के पास संगमेश्वर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। राणे की गिरफ्तारी से पहले काफी देर तक हंगामा होता रहा क्योंकि उनके सैकड़ों समर्थक होटल में जमा हो गए थे और पुलिस को अंदर घुसने से रोक रहे थे। होटल के अंदर भी पुलिस अफसरों और नारायण राणे के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। असल में जब रत्नागिरी के एसपी होटल में पहुंचे तब नारायण राणे लंच कर रहे थे। जब राणे के समर्थकों ने पुलिस को देखा तो भड़क गए और स्थानीय एसपी से बहस करने लगे। इसके बाद राणे ने खुद बीच-बचाव किया और पुलिस अफसर से कहा कि वह साथ चलेंगे लेकिन पहले खाना खत्म कर लें। इसके बाद राणे को गिरफ्तार कर रायगढ़ ले जाया गया।
मंगलवार रात जमानत पर रिहा होने के बाद राणे मुंबई में अपने आवास पर लौट आए। राज्य के बीजेपी नेताओं ने गिरफ्तारी को ‘संवैधानिक मूल्यों का हनन’ करार दिया। मंगलवार को मुंबई में शिवसैनिक नारायण राणे के घर के पास पहुंच गए। वहां नारायण राणे के समर्थक और बीजेपी कार्यकर्ता पहले से मौजूद थे, इसलिए माहौल गर्म हो गया। दोनों तरफ से पहले नारेबाजी हुई और फिर पत्थरबाजी होने लगी। आखिरकार भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
नासिक में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने स्थानीय बीजेपी ऑफिस पर प्रदर्शन किया। इस दौरान शिवसैनिकों ने बीजेपी ऑफिस पर पत्थर फेंके जिससे दफ्तर के कांच टूट गए। सांगली में शिवसैनिकों ने नारायण राणे के पोस्टर पर कालिख पोत दी। अमरावती में शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के दफ्तर के बाहर लगे पोस्टरों में आग लगा दी। औरंगाबाद में शिवसैनिकों ने राणे का पुतला फूंका। रातों-रात मुंबई में कई जगह राणे की तस्वीर के साथ ‘कोंबडी चोर’ (मुर्गी चोर) लिखे पोस्टर लगा दिए गए। मुंबई पुलिस ने बाद में इन पोस्टरों को हटा दिया।
नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के परिवारों के बीच इस तरह की कड़वाहट कोई नई नहीं है। नारायण राणे के बेटे नीतेश राणे, उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे को सार्वजनिक तौर पर पेंग्विन कहकर ही चिढ़ाते हैं। नीतेश अपने सारे ट्वीट्स में आदित्य पर कमेंट करते वक्त उन्हें पेंग्विन ही लिखते हैं। यह भी सही है कि नारायण राणे की सियासत शिवसैनिक के रूप में ही शुरू हुई और वह शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के सबसे करीबी लोगों में से एक रहे। बाल ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र का मुंख्य़मंत्री तक बनाया।
नारायण राणे को बाल ठाकरे उनके अंदाज के कारण ही पसंद करते थे। राणे तीखा बोलते हैं, डरते नहीं हैं, दबंग हैं, कद में छोटे हैं लेकिन बड़ों बड़ों को पानी पिला देते हैं, और यही खूबियां बाल ठाकरे को पसंद थीं। यही वजह थी कि सिर्फ 11वीं तक पढ़े नारायण राणे को बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना में नंबर 2 का दर्जा दिया था। लेकिन दूरियां तब बढ़ीं जब राणे को लगा कि अब शिवसेना में उनका कद कम होगा और उद्धव ठाकरे को तरजीह मिलेगी। इसके बाद नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस से होते हुए बीजेपी में आ गए। मोदी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा और पिछले महीने उन्हें मंत्री भी बना दिया। यही बात उद्धव ठाकरे को नागवार गुजरी और अब राणे महाराष्ट्र में आकर उन्हें ललकार रहे हैं। उद्धव ठाकरे को लगता है कि राणे अगले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़ी चुनौती दे सकते हैं।
नारायण राणे बहुत छोटे लेवल से उठकर ऊपर आए हैं। वह मुंबई के चेंबूर इलाके में रहते थे और वहां के दंबग थे। उस वक्त उनके खिलाफ कई एफआईआर भी दर्ज हुई थीं। बाद में उन्होंने शिवसेना जॉइन की और बाल ठाकरे ने उन्हें शाखा प्रमुख बना दिया। 1985 में वह पार्षद बने और फिर 1990 से लेकर 2014 तक विधायक रहे। बाल ठाकरे को राणे का काम करने का अंदाज और उनका बेपरवाह रवैया काफी पसंद था। वह प्यार से उन्हें कई बार ‘कोंबडी चोर’ (मुर्गी चोर) कह देते थे। आज शिवसेना उसी का इस्तेमाल नारायण राणे को चिढ़ाने के लिए कर रही है।
केन्द्र के कैबिनेट मंत्री की इस तरह से गिरफ्तारी का बीजेपी ने तीखा विरोध किया है और पूरी पार्टी नारायण राणे के साथ खड़ी है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राणे की गिरफ्तारी को संविधान के खिलाफ बताया और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राणे की गिरफ्तारी का विरोध किया।
मैं इस बात को मानता हूं कि राजनीति में ‘थप्पड़ मारना’, ‘डंडा मारना’, ‘चप्पल मारना’, इस तरह की अशालीन भाषा के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। नारायण राणे इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। राणे ने स्थानीय मैजिस्ट्रेट को लिखित में आश्वासन दिया है कि वह भविष्य में इस तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे। मेरा मानना है कि किसी मंत्री, मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल असंसदीय है बल्कि नागरिक गरिमा के खिलाफ है। अगर राणे ने गिरफ्तारी से पहले अपना बयान वापस ले लिया होता तो सियासत में उनका कद और बढ़ जाता।
राणे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखना चाहिए। मोदी के लिए ‘मौत का सौदागर’, ‘नाली का कीड़ा’, ‘तानाशाह’, ‘हिटलर’ और न जाने किन-किन शब्दों का इस्तेमाल किया गया और हजारों बार किया गया। लेकिन मोदी ने कभी संयम नहीं खोया और विरोधियों की गाली का जबाव गाली से नहीं दिया। यही बातें नरेंद्र मोदी को बड़ा बनाती हैं। नारायण राणे ने जो कहा वह ठीक नहीं था, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये इतना बड़ा मुद्दा था जितना शिवसेना ने बना दिया?
उद्धव ठाकरे को शायद लगा होगा कि वह मुख्यमंत्री हैं, शिवसेना के इतने बड़े नेता हैं और कोई उनके बारे में ऐसी बात कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है। नारायण राणे और उनके बीच खुद को इक्कीस साबित करने की लड़ाई है। यही वजह है कि नारायण राणे भी झुकना नहीं चाहते और वह सोचते हैं कि अगर उद्धव मुख्यमंत्री हैं तो मैं भी केंद्र में कैबिनेट मंत्री हूं। यह उद्धव और राणे के बीच महाराष्ट्र में प्रभुत्व का सवाल है।
इस समय ये मामला इसलिए भी ज्यादा बढ़ गया कि शिवसेना और बीजेपी के सामने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) का चुनाव है। बीएमसी पर 35 साल से शिवसेना का कब्जा है। अब तक बीजेपी शिवसेना के साथ थी लेकिन पहली बार यह चुनाव दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ेंगी। बीजेपी किसी भी कीमत पर बीएमसी से शिवसेना को उखाड़ना चाहती हैं। नारायण राणे मुंबई के चेम्बूर इलाके से उठकर ऊपर तक आए हैं और इस शहर की गली-गली से वाकिफ हैं। बीजेपी ने शिवसेना के गढ़ में पूर्व शिवसैनिक राणे को मुकाबले के लिए उतारा है।
राणे मुंबई के स्थानीय शिवसेना नेताओं की रग-रग से वाकिफ हैं। वहीं दूसरी तरफ राणे को गिरफ्तार कर उद्धव ठाकरे यह संदेश देना चाहते हैं कि वह किसी को नहीं बख्शेंगे। वह राणे के समर्थकों का मनोबल गिराना चाहते हैं। यही वजह है कि उद्धव ने राणे के एक वाक्य को पकड़ लिया और शिवसैनिकों को मैदान में उतार दिया। वरना मुद्दा इतना बड़ा नहीं था जितना इसे बना दिया गया। (रजत शर्मा)
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