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Rajat Sharma’s Blog: कश्मीर घाटी में आग लगाने के अपने मकसद में पाकिस्तान ज़रूर नाकाम होगा

इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सेना इन हत्यारों को खोजने और उनका सफाया करने में पूरी तरह सक्षम है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: October 12, 2021 17:20 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील के ग्राम चमरेर में छिपे आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सोमवार को एक जूनियर कमिशन्ड अफसर सहित सेना के 5 जवान शहीद हो गए। पिछले कुछ सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मुठभेड़ में इतनी बड़ी संख्या में सैनिक शहीद हुए हों। पुंछ-राजौरी बॉर्डर पर स्थित डेरा की गली जंगल में 3 से 4 आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान जारी है।

यह पता नहीं चल पाया है कि इन आतंकियों ने हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ की थी या कुछ वक्त पहले से ही अपने ठिकानों में छिपे हुए थे। सेना को चमरेर गांव में छिपे आतंकियों की मौजूदगी के बारे में गुप्त सूचना मिली थी। जब आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया उस समय जवान घेराबंदी और तलाशी अभियान में जुटे हुए थे। शहीद हुए सभी पांचों सैनिक गश्ती दल का नेतृत्व कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। आतंकियों को फरार होने से रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने पूरे जंगल की घेराबंदी कर दी है, हालांकि उनके पीर पंजाल रेंज से होते हुए शोपियां निकल जाने की आशंका जताई जा रही है।

मुठभेड़ में पंजाब के कपूरथला जिले के नायब सूबेदार (JCO) जसविंदर सिंह, गुरदासपुर जिले के नायक मनदीप सिंह, रोपड़ जिले के सिपाही गज्जन सिंह, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के सिपाही सराज सिंह और केरल के कोल्लम जिले के सिपाही वैशाख एच. शहीद हो गए। शहीदों का पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जम्मू डिविजन में इस साल जनवरी से अब तक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के 8 जवान शहीद हो चुके हैं। इस दौरान नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए सीजफायर उल्लंघन में 3 अन्य सैनिक शहीद हुए हैं। घाटी में आतंकवादियों द्वारा हिंदू और सिख नागरिकों की हत्या के मद्देनजर सोमवार का सैन्य अभियान सुरक्षाबलों के ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ कार्रवाई का हिस्सा था। पिछले साल 3 मई को हंदवाड़ा में आतंकियों को उनके ठिकाने से खदेड़ने के दौरान कर्नल और मेजर रैंक के सेना के 2 अफसर, एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर और 2 अन्य जवान शहीद हो गए थे।

पिछले 9 महीनों के दौरान पुंछ और राजौरी जिलों में आतंकियों के साथ मुठभेड़ों की संख्या में वृद्धि हुई है। 6 अगस्त को राजौरी जिले में लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकी मारे गए थे, जबकि 8 जुलाई को राजौरी के सुंदरबनी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश के दौरान कई हथियारों से लैस 2 पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया गया था। इस साल अगस्त में राजौरी जिले में मुठभेड़ के दौरान सेना के एक जेसीओ शहीद हो गए थे और एक आतंकवादी मारा गया था।

एक ओर जहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेता केंद्र की कश्मीर नीति को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने, जो कि खुद साठ के दशक में सेना में रह चुके हैं, ट्वीट करते हुए एक बड़ी बात कही: ‘हमारी सबसे गम्भीर आशंका सच साबित हो रही है। पाकिस्तान समर्थित तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद,  कश्मीर में आतंकवाद बढ़ रहा है। अल्पसंख्यकों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है और अब सुरनकोट सेक्टर के एनकाउंटर में 5 जवान शहीद हो गए हैं। हमें इससे निर्णायक तौर पर और सख्ती से निपटने की जरूरत है।’

इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सेना इन हत्यारों को खोजने और उनका सफाया करने में पूरी तरह सक्षम है। अनंतनाग और बांदीपोरा में सोमवार को 2 आतंकियों को ढेर कर दिया गया। भारतीय जनता पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख रविंदर रैना ने कहा, सशस्त्र बलों ने घाटी में आतंकी संगठनों की कमर तोड़कर रख दी है और यही वजह है कि आतंकवादी अब चुन-चुन कर आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं और सेना के जवानों पर घात लगाकर हमला कर रहे हैं। सिर्फ इसी साल हमारे सशस्त्र बलों ने अब तक 119 आतंकवादियों को मार गिराया है। इनमें से सबसे ज्यादा 30 आतंकी इस साल मई के महीने में ढेर किए गए, जबकि जुलाई में 20 आतंकी मारे गए।

घाटी में कुछ ऐसे नेता भी हैं जो आतंकी हमलों में आई तेजी को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया है, ‘कश्मीर में बिगड़ते हालात को देखकर परेशान हूं, जहां एक छोटा अल्पसंख्यक समुदाय नया निशाना बन गया है। नया कश्मीर बनाने के भारत सरकार के दावों ने हकीकत में इसे जहन्नुम में तब्दील कर दिया है। इसकी एकमात्र दिलचस्पी कश्मीर को अपने चुनावी हितों के लिए दुधारू गाय के रूप में इस्तेमाल करने में है।’ महबूबा एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए पाकिस्तान और अलगाववादियों से बातचीत शुरू करने के अपने पुराने राग को अलाप रही हैं।

यह कोई नई बात नहीं है। जब-जब कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में तेजी आएगी, महबूबा मुफ्ती को यह कहने का मौका मिलेगा कि उन्होंने तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को लेकर आगाह किया था। महबूबा ने तो 2 साल पहले यह भी कहा था कि यदि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया तो कश्मीर में तिरंगा थामने के लिए एक भी भारतीय नहीं होगा। पिछले 2 सालों में कश्मीर में तिरंगा थामने वाले भारतीय हाथ भी बढ़े और तिरंगे के लिए अपनी कुर्बानी देने को तैयार लोगों की तादाद भी बढ़ी है। महबूबा की अपनी सियासी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन देर-सबेर उनकी बात गलत साबित होगी। घाटी में आग लगाने के अपने मकसद में पाकिस्तान जरूर नाकाम होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 11 अक्टूबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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