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Rajat Sharma’s Blog: सुशांत की मौत के मामले में रिया का पलटवार बेकार साबित होगा

एम्स की टीम ने कूपर अस्पताल के उन डॉक्टरों से पूछताछ की जिन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर साइन किए थे और उसपर अपनी फाइंडिंग्स लिखी थी। एम्स की फॉरेंसिक टीम की तरफ से एक लेटर जारी हुआ जिसमें कूपर अस्पताल के डॉक्टरों से 4 सवाल पूछे गए थे।

Reported by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: September 08, 2020 18:09 IST
Rajat Sharma Blog, Sushant Case Drugs Angle, Sushant Singh Rajput, Rhea Chakraborty- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग्स एंगल की जांच कर रही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की टीम तेजी से निष्कर्ष की ओर बढ़ रही है। मंगलवार को भी (NCB) की 5 सदस्यों की स्पेशल टीम ने रिया चक्रवर्ती से पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया है। उधर रिया ने भी सोमवार देर शाम सुशांत की बहनों के खिलाफ मुंबई के बांद्रा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। रिया ने सुशांत की बहन प्रियंका और दिल्ली के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ एंजाइटी की दवा प्रिस्क्राइब करने का आरोप लगाया है। उसने मुंबई पुलिस से इन दोनों के खिलाफ आईपीसी के तहत धोखाधड़ी, और एनडीपीएस अधिनियम और टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस गाइडलाइंस, 2020 के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है।

अपनी शिकायत में रिया ने कहा है कि प्रिस्क्रिप्शन में सुशांत को दिल्ली का ओपीडी पेशंट बताया गया है जबकि उस समय वह मुंबई में था। इस शिकायत में कहा गया है कि प्रियंका सिंह ने डॉक्टर की नकली पर्ची बनवाई और गलत तरीके से दवा की खरीदारी के लिए यह पर्ची सुशांत को भेजी। रिया ने शिकायत में कहा, 'इससे स्पष्ट है कि यह जाली है। इसके अलावा, डॉक्टर एक कार्डियोलॉजिस्ट हैं और वह कैसे साइकोट्रोपिक सब्सटांस एक ऐसे शख्स को प्रिस्क्राइब कर सकते हैं, जिसे वो जानते नहीं और न ही कभी उससे मुलाकात की।'

मंगलवार को रिया के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा, 'अवैध दवाओं और ड्रग्स का कॉकटेल सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की वजह बन सकता है। उसकी बहनों को जांच एजेंसियों और भगवान को जवाब देना होगा। जाहिर है, ड्रग पेडलर्स से नशीले पदार्थों की खरीद के मामले में रिया की संभावित गिरफ्तारी से जनता का ध्यान हटाने के लिए वकील मानशिंदे ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक सोची समझी चाल चली है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि ये इतना बड़ा इश्यू होगा। आगे चलकर सुशांत के परिवार के सदस्यों पर रिया का यह जवाबी हमला नाकाम साबित हो सकता है।

कानूनी और तकनीकी रूप से मानशिंदे यह सवाल उठा सकते हैं कि कैसे एक ओपीडी पेशेंट को टेलीमेडिसिन द्वारा एक कार्डियोलॉजिस्ट ने मेंटल हेल्थ (एंजाइटी) की दवा दे दी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से हॉस्पिटल का कामकाज सामान्य नहीं है। उस वक्त तो ओपीडी बंद थीं। ऐसे समय में जो भी डॉक्टर मिलता था लोग उससे सलाह ले लेते थे। ज्यादातर डॉक्टर्स ऑनलाइन कंसल्टेशन दे रहे थे। मरीजों को अपने पास आने से मना कर रहे थे। वे फोन के जरिए सलाह भी दे रहे थे और व्हाट्सऐप के जरिए दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर रहे थे। 

और दूसरी बात ये कि सुशांत की बहन का मकसद क्या था? उसका मकसद अपने भाई की मदद करने का था। अगर भाई की तबीयत खराब हो, नींद ना आ रही हो, एंजाइटी हो और बहन दूर हो, दूसरे शहर में, तो यही तो कोशिश हो सकती है कि किसी तरह सुशांत को आराम मिले। इसलिए सुशांत की बहन ने डॉक्टर से संपर्क कर सुशांत की मदद करने की कोशिश की। जहां तक मुंबई पुलिस में रिया की तरफ से शिकायत दर्ज कराने का सवाल है तो इसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने अ्पने आदेश में कहा है कि मुंबई पुलिस इस मामले की जांच नहीं कर सकती और सुशांत की मौत से जुड़े ऐसे सारे मामले सीबीआई को देने पड़ेंगे।

इस तरह के सभी कानूनी दावपेंच का सहारा लेकर तथ्यों को छिपाया नहीं जा सकता है। वह रिया ही थी जिसने ड्रग्स खरीदने के सवाल पर अपने साथियों के साथ हुए व्हाट्सएप चैट को डिलीट कर दिया था। वो तो इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने उसके फोन को क्लोन किया और डिलीट मैसेज को फिर से प्राप्त कर लिया। फिर इस मैसेज को एनसीबी को भेजा और अब धीरे-धीरे ड्रग्स एंगल का खुलसा होने लगा। रिया, उसका भाई और उसके साथी डायरेक्ट ड्रग पेडलर्स के साथ काम कर रहे थे।

रविवार और सोमवार को पूछताछ के दौरान रिया चक्रवर्ती ने एनसीबी जांचकर्ताओं के सामने लगातार इस बात से इनकार किया कि उसने कभी ड्रग्स का सेवन किया और कहा कि वह केवल सिगरेट पीती है और शराब लेती है। मंगलवार की पूछताछ ड्रग्स ऐंगल में रिया की संलिप्तता के लिए अहम साबित हुई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

इस केस में दूसरी बड़ी खबर ये है कि सीबीआई के अनुरोध पर एम्स द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड सुशांत सिंह के विसरा रिपोर्ट की फिर से जांच करेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं सुशांत को जहर तो नहीं दिया गया था। दरअसल, मुंबई के कूपर हॉस्पिटल में सुशांत सिंह का पोस्टमॉर्टम हुआ था। कूपर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने सुशांत सिंह की मौत को सुसाइड का केस बताया था लेकिन एम्स की टीम ने कूपर हॉस्पिटल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कई खामियां पकड़ी हैं। एम्स के फॉरेंसिंक एक्सपर्ट्स का पैनल दिल्ली लौट आया है। अब ये तय हुआ है कि सुशांत सिंह की मौत का सच जानने के लिेए जो फॉरेंसिक बोर्ड बना है वो अब इस मामले की जांच करेगा कि क्या सुशांत सिंह राजपूत को जहर तो नहीं दिया गया।

हालांकि सुशांत का विसरा टेस्ट मुंबई के कलीना लैब में हो चुका है और इस दौरान 75 प्रतिशत विसरा इस्तेमाल में लाया चुका है। अब एम्स को जांच के लिए सुशांत के विसरा का सिर्फ 25% सैंपल मिलेगा। एम्स बोर्ड की टीम ने ये सैंपल कलेक्ट कर लिया है और अब उन इक्विपमेंट्स से इस विसरा सैंपल की जांच की जा रही है जिसे हाल में ही जर्मनी से खरीदा गया है। ये ऐसे इक्विपमेंट्स हैं जो सैंपल के अंदर से जहर के काफी माइन्यूट ट्रेस यानी छोटे-से-छोटे अंश भी निकाल सकते हैं। इस टेस्ट की रिपोर्ट 10 दिन के अंदर आएगी। यानी तब पता चल सकेगा कि क्या सुशांत सिंह राजपूत की मौत में कोई फाउल प्ले था या नहीं।

एम्स मेडिकल बोर्ड का मानना है कि विसरा टेस्ट के दौरान कई तरह की कमियां थीं। एम्स के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम ने सुशांत के घर जाकर क्राइम सीन को रिकंस्ट्रक्ट किया और एक-एक चीज की जांच की। कुर्ते के निशान से लेकर गले पर मौजूद निशानों वाली तस्वीरों को स्टडी किया। 

एम्स की टीम ने कूपर अस्पताल के उन डॉक्टरों से पूछताछ की जिन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर साइन किए थे और उसपर अपनी फाइंडिंग्स लिखी थी। एम्स की फॉरेंसिक टीम की तरफ से एक लेटर जारी हुआ जिसमें कूपर अस्पताल के डॉक्टरों से 4 सवाल पूछे गए थे। इंडिया टीवी के पास इस लेटर की प्रति है। इस लेटर में पहला सवाल पूछा गया कि सिर्फ लिगेचर मार्क्स यानी गले पर मौजूद निशान को लेकर आपकी क्या राय है? दूसरा सवाल ये पूछा गया कि इस बात को एक्सप्लेन कीजिए कि आपने गला दबाने से बनने वाले निशानों को किस तरह रूल आउट किया? तीसरा सवाल यह पूछा गया कि कुर्ते की वजह से गले पर लिगेचर मार्क, ये निशान कैसे बन सकते हैं? और चौथा सवाल था कि गला दबाकर हत्या की बात जो लोगों के बीच फैली हुई है इसे कैसे रिजॉल्व करेंगे, इसका जवाब कैसे देंगे?

असल में एम्स के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने ये सवाल सुशांत की गर्दन पर सीधा लिगेचर मार्क देखकर उठाया। जबकि फांसी लगाकर आत्महत्या के मामलों में यह मार्क तिरछा और ऊपर की ओर होता है। कूपर अस्पताल के सभी 5 डॉक्टरों से लिगेचर मार्क्स के बारे में पूछताछ की गई। अगर फांसी के लिए पतले कपड़े का इस्तेमाल किया गया होता तो निशान शार्प और स्पष्ट होता। कुर्ता का कपड़ा मोटा था तो फिर सवाल उठता है कि ऐसा सीधा लिगेचर मार्क कैसे उभर सकता है।

एम्स के एक्सपर्ट्स द्वारा उठाए गए सवाल पहले से ही सार्वजनिक रूप से चर्चा में है। कूपर अस्पताल के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में मौत के समय का उल्लेख नहीं किया और जल्दबाजी में इसे सुसाइड करार दिया। एम्स द्वारा की जा रही विसरा जांच की रिपोर्ट सामने आने के बाद काफी हद तक भ्रम दूर हो सकता है।

इस मामले की मुख्य रूप से जांच कर रही सीबीआई को एक निश्चित परिणाम तक पहुंचने में समय लग रहा है। इसके लिए सीबीआई को दोष नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि 2 महीने बीत जाने के बाद उसे यह मामला मिला है और जांच में कई एंगल हैं। सीबीआई की टीम धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रही है। अभी भी यह निष्कर्ष निकालने में समय लग सकता है कि क्या सुशांत की मौत आत्महत्या थी या हत्या, और अगर यह आत्महत्या थी तो क्या किसी के उकसाने पर ऐसा हुआ? इस सवाल का जवाब ढूंढने में वक्त तो लगेगा। अदालतें परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाहों के बयानों के आधार पर मामले तय करती हैं। जाहिर है सीबीआई एक कठिन चुनौती का सामना कर रही है। (रजत शर्मा)

India TV Exclusive: सुशांत की मौत के मामले में देखें 7 सितंबर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

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