पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाथ जोड़कर जनता से यह अपील करते हुए देखा कि अगले 21 दिनों तक, यानी 14 अप्रैल तक हमें अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को पिछली आधी रात से लागू किया गया है। हम सभी को प्रधानमंत्री को अपना पूरा समर्थन देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दरवाजे की जिस ‘लक्ष्मण रेखा’ को नहीं लांघने का जिक्र किया है, हमें उसका पालन करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने जनता को आगाह किया कि अगर हम 21 दिनों के इस लॉकडाउन का पालन करने में विफल रहे तो इसके भयानक परिणाम होंगे और देश 21 साल पीछे चला जाएगा। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि यदि वे वायरस के लक्षणों को महसूस करते हैं, तो खुद से कोई दवा नहीं लें। उन्होंने लोगों से अफवाहों और अंधविश्वासों से बचने को कहा है।
प्रधानमंत्री ने यह वादा किया कि स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े संस्थानों (हेल्थकेयर इंस्टीट्यूशन्स) को प्राथमिकता के आधार पर और ज्यादा टेस्ट की सुविधाएं, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर दिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
लोगों से धैर्य और अनुशासन बनाए रखने की अपील करते हुए पीएम ने कहा कि इन 21 दिनों का हमारा एक्शन इस वैश्विक महामारी के भारत में पूर्ण प्रभाव की दिशा तय करेगा।
लॉकडाउन के ऐलान के बाद कई शहरों में कुछ लोगों द्वारा पैनिक बाईंग (घबराहट में की गई खरीददारी) की रिपोर्ट मिलने पर देर रात पीएम ने ट्वीट कर कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि लोगों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जाएंगी। केंद्र और राज्य सरकारों ने लोगों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए गाइडलाइंस तैयार किए हैं।
आपने प्रधानमंत्री मोदी जी की बात सुनी। मेरी भी आपसे हाथ जोड़कर यही प्रार्थना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो निवेदन किया उसका पूरी तरह पालन कीजिए। इस घातक महामारी की चेन को तोड़ने केलिए घरों में रहें। मैं ये जानता हूं कि ये काम मुश्किल है। 21 दिन तक घऱ में रहना कुछ लोगों के लिए तो बेहद तकलीफ देने वाला हो सकता है, लेकिन और कोई रास्ता नहीं है। मैं जानता हूं कि इससे कुछ लोगों के रोजगार, नौकरी... उनकी दो वक्त की रोटी पर आंच आएगी, लेकिन अगर जिंदगी रही तो ये फिर मिल जाएगा। अपना और अपने प्रियजनों के जीवन को बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अगर अब भी हम गलतियां करते हैं, लॉकडाउन की अवहेलना करते हैं तो इसके परिणाम भयानक होंगे। तबाही का भयावह मंजर होगा। मरनेवालों की तादाद तेजी से बढ़ेगी और इतनी लाशें बिछ जाएंगी कि उन्हें कोई गिननेवाला नहीं होगा। तो बस तय कर लीजिए, कसम खा लीजिए कि कुछ भी हो हम अगले तीन हफ्ते घर से बाहर नहीं निकलेंगे।
कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि यह एक्शन देर से क्यों लिया गया। यह ब्लेम-गेम का सही वक्त नहीं है। यह मत भूलिए कि हमारे प्रधानमंत्री ने शुरुआत से ही खतरे को भांप लिया था। और उन्होंने बेहद तरीके से, सिलसिलेवार ढंग से कदम उठाया। जिस वक्त विदेशों में फंसे भारतीयों को लाया जा रहा था उसी वक्त उन्होंने हेल्थ सेक्टर के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। ये कदम सही समय पर उठाए गए। सरकार ने बहुत कुछ किया है, और बहुत कुछ कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि लोग क्या कर रहे हैं? अब आपकी बारी है। लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करते हुए अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हमें घरों में रहना चाहिए।
जरा उन डॉक्टर्स, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मियों, मीडियाकर्मियों, रिपोर्टर्स के बारे में सोचिये जो अपने परिवारों से दूर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ये लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए अपने परिवारों से दूर हैं। मजबूरन इन्हें घर से बाहर निकलना पड़ता है। तो क्या आप अपने लिए अपने परिवार के लिए इतनी सी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे? क्या अगले 21 दिन हम अपने घरों में रहकर अनुशासन, साहस और धैर्य के साथ इस बड़ी चुनौती का सामना नहीं कर सकते? (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 24 मार्च 2020 का पूरा एपिसोड