बुधवार रात मेरे शो 'आज की बात' में पहली बार इंडिया टीवी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की आदमकद प्रतिमा की पहली झलक दिखलाई जिसे 31 अक्टूबर को भारत के लौह पुरुष की 143वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को समर्पित करेंगे।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम की यह मूर्ति प्लिंथ लेवल से 182 मीटर (597 फीट) ऊंची है जबकि नर्मदा नदी की सतह से यह 240 मीटर ऊंची है। यह नर्मदा बांध के सामने स्थित है। बड़ोदरा के पास नर्मदा नदी के द्वीप साधु बेट पर स्थित यह मूर्ति एक बड़े कृत्रिम झील से घिरी है और यह परियोजना करीब 20 हजार वर्ग मीटर तक फैली हुई है।
यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। मौजूदा समय में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा है जिसकी ऊंचाई 128 मीटर है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा से भी ऊंची है। पांच साल पहले 31 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला रखी थी। उस वक्त वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यह प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी दृष्टिकोण को दिखाता है जो कि अपने निर्धारित लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे और उनकी गिनती महात्मा गांधी के मुख्य अनुयायियों में होती थी। उन्होंने बारदोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया जिसके बाद लोग उन्हें सरदार पुकारने लगे और यह उनका उपनाम बन गया। 1947 में स्वतंत्रता के तुरंत बाद सरदार पटेल ने अपने राजनयिक कौशल और दूरदर्शिता के बल पर 565 रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराया। इस लौह पुरुष की याद में भारत के लोगों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक उपयुक्त उपहार है।
सरदार पटेल की गिनती कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेताओं में होती थी। स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस पार्टी की अधिकांश राज्य ईकाईयां चाहती थीं कि पटेल प्रधानमंत्री बनें, लेकिन अंतत: जवाहरलाल नेहरू को पीएम पद मिला।
सरदार पटेल के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो मिलना चाहिए था। 1950 में सरदार पटेल की मृत्यु हुई और 41 साल बाद 1991 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल के महान योगदान की याद दिलाती रहेगी, जिन्हें भारत के बिस्मार्क के रूप में भी वर्णित किया गया है। (रजत शर्मा)