फिल्म पद्मावत की स्क्रीनिंग रोकने के लिए विभिन्न शहरों में मुट्ठीभर प्रदर्शनकारी सिनेमा घरों में तोड़फोड़ मचाकर राज्य शासन को चुनौती दे रहे हैं और भय का माहौल बना रहे हैं जो किसी को मंजूर नहीं है। ये प्रदर्शनकारी सिनेमा थियेटर के मालिकों और फिल्मी दर्शकों के बीच डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह प्रत्येक राज्य सरकार का दायित्व है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराए और सिनेमा घरों को पूरी सुरक्षा प्रदान करे। पिछले दो दिनों से हमलोग जो दृश्य देख रहे हैं उससे साफ है कि सुरक्षा के इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं। जो लोग भी अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए।
अगर लोग सेंसर बोर्ड के फैसले को नहीं मानेंगे और हर आदमी सेंसर बोर्ड बनने की कोशिश करेगा तो फिर एक फिल्म भी रिलीज नहीं हो सकेगी। अगर लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानेंगे, सबसे बड़ी अदालत का आदर नहीं करेंगे तो देश कैसे चलेगा? और विवाद भी क्या है? एक फिल्म रिलीज नहीं की जानी चाहिए। और यह मांग करनेवाले लोग कौन है? जिन्होंने खुद फिल्म नहीं देखी है।
देश में करोड़ों फिल्मी दर्शक हैं और उन्हें इस फिल्म को देखने की आजादी है। यह सभी नागरिकों की आजादी का सवाल है और इस आजादी का सम्मान होना चाहिए। राज्य की संस्थाओं का और कानून का पालन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए। मैं तो फिर वही कहूंगा कि विरोध करने वाले, टायर जलाने वाले, सरकारी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वाले लोग पहले इस फिल्म को देखें। फिल्म देखने के बाद उनके सभी संदेह दूर हो जाएंगे। (रजत शर्मा)