महिला सशक्तिकरण को लेकर गठित संसदीय समिति ने बुधवार को माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर से पूछा कि वह आपत्तिजनक कन्टेंट से कैसे निपटती है और साइट से इस तरह की टिप्पणियों को हटाने की प्रक्रिया से जुड़ी पूरी रिपोर्ट मांगी है। ट्विटर इंडिया के शीर्ष प्रतिनिधियों ने 'साइबर-बुलीइंग (साइबर-धमकी या बदमाशी) और महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े मामलों से निपटने के लिए अपनी तरफ से की गई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए संसदीय समिति के सामने अपना प्रजेंटेंशन दिया, इस समिति में महिला सांसद भी शामिल थीं। ट्विटर के प्रतिनिधियों ने महिला सांसदों को साइबर सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी में जो नए अपडेट हुए हैं, उनके बारे में भी बताया।
दो केंद्रीय मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय, खास तौर से महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक कन्टेंट की जांच को लेकर ट्विटर इंडिया के साथ संपर्क में थे। बच्चों द्वारा इंटरनेट के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मुद्दा भी उठाया गया था।
ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया साइट्स को लेकर चिंता इसलिए है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर बिना किसी कंट्रोल के सूचनाएं मिलती हैं। इन सूचनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है और ये कई बार गलत साबित होते हैं। ज्यादातर आपत्तिजनक कन्टेंट फर्जी, गैर कानूनी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक होते हैं।
उदाहरण के तौर पर, कानून में यह सख्त प्रावधान है कि किसी बलात्कार पीड़िता या उसके परिवार के सदस्यों के नाम, पता, पहचान और जगह का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद पीड़िता की तस्वीर और नाम सोशल मीडिया पर हर जगह उपलब्ध हैं और इसे लाखों लोगों ने देखा। मैंने एक अखबार में पढ़ा कि हैदराबाद में जिस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ उसके नाम से अस्सी लाख लोगों ने पॉर्न वेबसाइट पर घटना का वीडियो सर्च किया। ये संख्या दिखाती है कि दुनिया भर में बीमार मानसिकता के लोग कितनी बड़ी संख्या में हमारे बीच हैं और इनकी इंटरनेट तक आसान पहुंच है।
यह दर्शाता है कि समाज में हमारी बेटियों पर कितना गंभीर खतरा है और उनकी जिंदगी में कितने जोखिम हैं। इन परिस्थितियों में, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स से अधिक सहयोग की जरूरत है। ये साइट्स लोकप्रिय हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग इससे जुड़े हुए हैं।
यदि सरकार और समाज को सोशल मीडिया साइट्स से पर्याप्त सहयोग मिलता है, तो यह एक नई शुरुआत होगी, क्योंकि ये सच है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म लोगों की सेवा करता है और इससे लोगों को बहुत मदद मिलती है। लोगों की शिकायतें सीधे सरकार तक पहुंचती हैं, एक्शन होता है और लोगों में जागरूकता भी आती है। यदि सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं द्वारा अपनी साइट्स का इस्तेमाल महिला सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 04 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड