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Rajat Sharma’s Blog: कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग बेहद जरूरी है

इस समय बहुत ही ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत है और हम कोरोना वायरस के संदिग्धों को यूं ही कहीं भी घूमने नहीं दे सकते।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 17, 2020 13:24 IST
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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

इस बात में कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते कुछ सप्ताह में समय पर उठाए गए कदमों का भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री ने खुद ही इस वायरस के बढ़ते असर को मॉनिटर किया और पीएमओ ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों का सही से रिव्यू किया। वुहान, ईरान और अन्य स्थानों से भारतीयों को वापस लाने के लिए काफी तेजी से कदम उठाए गए। दिल्ली और उसके आसपास क्वॉरंटाइन सेंटर बनाए गए, और अब राज्य सरकारों ने भी ऐसे सेंटर बना लिए हैं। 

वायरस टेस्टिंग सेंटर्स का एक पूरा नेटवर्क तैयार किया गया और इसको फैलने से रोकने के लिए दुकानों, धर्मस्थलों, नेशनल पार्कों, सिनेमा हॉल और शॉपिंग मॉल को बंद कर दिया गया। हालांकि भारत में इस वायरस को लेकर आमौतर पर बहुत ज्यादा चिंता नहीं दिख रही है, लेकिन आने वाली चुनौती बहुत बड़ी है और बहुत कुछ दांव पर है। हम सभी को वायरस को फैलने से रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करना होगा। इंडिया टीवी के संवाददाताओं ने महाराष्ट्र से सोमवार को रिपोर्ट दी कि किस तरह से कोरोना वायरस के संदिग्ध पनवेल, नवी मुंबई, पुणे और नागपुर के अस्पतालों से भाग गए। इन लोगों ने ऐसे लोगों की जान आफत में डाल दी जो अभी इस वायरस से प्रभावित नहीं हुए हैं।

इस समय बहुत ही ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत है और हम कोरोना वायरस के संदिग्धों को यूं ही कहीं भी घूमने नहीं दे सकते। मैं आपको बताता हूं कि अन्य देश ऐसे हालात से कैसे निपटते हैं। जब चीन में कोरोना वायरस का पता चला था, तो सिंगापुर, हांगकांग (चीन का स्वायत्त हिस्सा), ताइवान, जापान, उत्तर और दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देश रडार पर थे, क्योंकि चीनी मूल के काफी लोग इन जगहों पर आते-जाते रहते हैं। इन देशों ने पहले ही 2003 में फैली SARS महामारी का अंजाम देखा था और उन्हें पता था कि ऐसे हालात में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। उन्होंने तुरंत सीमाओं को बंद कर दिया और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग लागू कर दी।

सुदूर इटली में चेतावनी पर समय से ध्यान नहीं दिया गाय और सिर्फ 2 हफ्ते के अंदर वहां कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 300 से 10000 तक पहुंच गई। वहां मुख्य रूप से मरीजों की जांच में देरी के कारण मौतें हुईं और हजारों लोगों को पता भी नहीं चला कि वे संक्रमित हो चुके हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि वायरस लगभग एक ही समय में इटली और दक्षिण कोरिया में फैला था, लेकिन कोरियाई लोगों ने बड़े पैमाने पर परीक्षण किए और वायरस के प्रसार को नियंत्रित कर लिया।

भारत में भी हमने आने वाले सभी यात्रियों पर जांच की और उन सभी लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया जिनमें शुरुआती लक्षण दिखाई दिए थे। हमारे अधिकारियों ने पॉजिटिव पाए गए लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री और उनके कॉन्टैक्ट में आए लोगों का पता लगाया। इसलिए हम भारत फिलहाल राहत की सांस ले सकते हैं, लेकिन आने वाले हफ्ते बेहद खतरनाक हो सकते हैं। मैं आप सबसे अपील करता हूं कि यदि आपमें या आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार में वायरस के लक्षण दिखते हैं तो कृपया अस्पतालों से न भागें। अस्पतालों से भागकर आप ज्यादा लोगों को जोखिम में डाल देंगे। 

अगले 2 हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। अगर किसी को अलग-थलग कर दिया गया है, तो उसे ऐसे ही रहना चाहिए और दूसरों से घुलने-मिलने से बचना चाहिए। सिर्फ इसी तरह हम अपने आप को, अपने परिवार के सदस्यों को, और व्यापक तौर पर बात करें तो अपने समाज को बचा सकते हैं। मैंने कई डॉक्टरों से इस बारे में बात की है कि इसे लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, और उनकी पहली सलाह थी: यात्रा से बचें, चाहे वह घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय, हवाई जहाज से हो, ट्रेन से हो या बस से। यात्रा इस वायरस का सबसे बड़ा वाहक है। दूसरे, उन जगहों पर जाने से बचें जहां 10 से 50 या 100 से अधिक लोग बंद जगह में रहते हैं। वायरस वहां आसानी से फैल सकता है। ये स्थान मंदिर, मस्जिद, धर्मस्थल, शॉपिंग मॉल, साप्ताहिक बाजार, डिपार्टमेंटल स्टोर, जाना-माना टूरिस्ट प्लेस, खेल के इवेंट, बार एवं क्लब, राजनीतिक जुटान या फिर शादियों जैसे सामाजिक जुटान हो सकते हैं।

यदि हम इन बातों का ध्यान रखते हैं और संयम बरतते हैं, तो हम निश्चित तौर पर इस वायरस से बच सकते हैं। लेकिन एक पल के लिए भी यह मत सोचिए कि सिर्फ खुद को अलग करने का कोई फायदा नहीं है। और यह गलतफहमी भी मत पालिए कि अगले महीने से शुरू होने वाले गर्मी के मौसम की भीषण तपिश इस वायरस से लोगों को बचाएगी। इसके अलावा यह गलतफहमी भी न पालें कि चूंकि हम भारतीय हैं और हमारी जीवनशैली और खानपान की आदतें अलग हैं, इसलिए हम खुद को बचा सकते हैं। ऐसा न सोचें कि हम बाहुबली हैं और इस वायरस के खतरे का आसानी से मुकाबला कर सकते हैं। सामाजिक तौर पर दूरी बनाना इस समय बहुत जरूरी है और हमारी ओर से एक छोटी सी गलती न केवल खुद को खतरे में डाल सकती है, बल्कि समाज में दूसरों के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 मार्च 2020 का पूरा एपिसोड

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