कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को पूरे देश में 2,34,692 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 16,79,740 हो गई है। शुक्रवार को इस घातक वायरस के संक्रमण ने देशभर में 1,341लोगों की जान ले ली। कोरोना से देशभर में अबतक कुल 1,75,649 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के फैलने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में कोरोना के जो चार मामले आ रहे हैं उनमें से एक भारत का है। पिछले साल सितंबर में आई कोरोना की पहली लहर के पीक को हम पार चुके हैं।
16 राज्यों की लिस्ट में महाराष्ट्र 63,729 नए मामलों के साथ टॉप पर है, और यहां इस बीमारी ने 398 लोगों की जान ली है। उत्तर प्रदेश में 27,426 नए मामले आए हैं और 103 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली में 19,500 से ज्यादा मामले आए और यहां 141 मरीजों की सांसें थम गईं। एक तरफ तो ये आंकड़े डरानेवाले हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पतालों और श्माशनों के अंदर और बाहर बेहद खौफनाक मंजर देखने को मिल रहे हैं।
इंडिया टीवी के संवाददाताओं ने दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों का दौरा किया और ये रिपोर्ट भेजी कि कैसे वहां डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी एक बड़ी चुनौती से संघर्ष कर रहे हैं। इन अस्पतालों में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी गईं। अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है तो बेड्स उपलब्ध नहीं हैं। जरूरी दवाओं, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की कमी थी। और अगर किसी ने इस घातक वायरस के संक्रमण से दम तोड़ दिया तो श्मशान के हालात भी भयावह थे। पीपीई किट पहने डॉक्टर और नर्स लोगों की जान बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने मुझे बताया कि कुछ महीने पहले वह भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और तब उन्हें काम से छुट्टी मिली थी, लेकिन अब वह फिर से काम में जुट गए हैं।
ऑक्सीजन और इलाज के इंतजार में अस्पतालों की लॉबी और अस्पतालों के बाहर भी मरीज लेटे हुए थे। घरों में, अस्पतालों में, टीकाकरण केंद्रों और श्मशान में भय का माहौल है। चिता पर दर्जनों शवों के अंतिम संस्कार का दृश्य डर पैदा कर रहा है।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में हर कुछ मिनट पर एम्बुलेंस नए मरीजों को लेकर पहुंच रही है। ऑफिशियल ऐप पर देखेंगे तो पता लगेगा कि LNJP में कुल 1620 बेड हैं इनमें 1500 बेड ऑक्सीजन वाले हैं जबकि ICU में तीन सौ बेड हैं। इस एप के मुताबिक LNJP में 739 बेड खाली हैं। फिर भी इस अस्पताल में एक ही बिस्तर पर दो या तीन मरीज लेटे हुए थे। एलएनजेपी अस्पताल के प्रमुख डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि कई बार अचानक एक साथ कई मरीज आ जाते हैं और सबको ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऐसे में बेड तैयार करने में वक्त लगता है तो इस बीच मरीज को तुरंत किसी बेड पर लिटाकर उसे ऑक्सीजन दिया जाता है ताकि जिंदगी बचाई जा सके।
कुछ बेड्स पर दो या तीन मरीज पूरे दिन दिखते हैं ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि चूंकि इस बार कोरोना में पूरे परिवार के परिवार संक्रमित हो रहे हैं और कई बार ऐसा होता है कि एक ही परिवार दो सदस्य अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हें भर्ती कर लिया जाता है। अगर उसी वक्त कोई ऐसा मरीज जिसे बेड की जरूरत होती है तो फिर एक ही परिवार के दो लोगों को एक बेड पर शिफ्ट किया जाता है। जिससे तीसरे व्यक्ति को बेड देकर उसका इलाज शुरू किया जा सके। इन बातों से ऐसा लगता है कि इस अस्पताल को पूरा सिस्टम व्यवहारिक तौर पर धवस्त हो चुका है हालांकि हालात की गंभीरता को लेकर ये अस्पताल प्रमुख के अपने विचार हैं।
उधर मुंबई के अस्पतालों में हालात बदतर हैं। यहां अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बड़ी तादाद में मरीज इंतजार कर रहे हैं और न तो उन्हें बेड मिल पा रहा है, न ऑक्सीजन और न ही वेंटिलेटर उपलब्ध है। ज्यादातरअस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है। नागपुर में एक डॉक्टर और एक वार्ड ब्वॉय को रेमडेसिविर दवा की 15 शीशियों के साथ पकड़ा गया। ये लोग इस दवा को 16-16 हजार रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे थे। कानपुर में रेमडेसिविर की 250 से ज्यादा डोज साथ तीन लोग पकड़े गए।
भोपाल में एक बार में एक साथ 40 शवों के अंतिम संस्कार का वीडियो सोशल मीडिया पर पहले से ही वायरल है। राज्य सरकार कोरोना से मौतों की सही संख्या को छिपाने की कोशिश कर रही है। 15 अप्रैल को भोपाल में 112 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने केवल 8 लोगों की मौत की सूचना दी। इसी तरह लखनऊ में रोजाना 100 से 150 शवों का अंतिम संस्कार गुलाला घाट पर किया जाता है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि 15 अप्रैल को लखनऊ में कोरोना से केवल 26 लोगों की मौत हुई।
सरकारी आंकड़ों और श्मशान में अन्तिम संस्कारों की संख्या में अन्तर की एक वजह ये बताई गई कि जिन लोगों की मौत होती है उनमें से बहुत से ऐसे होते हैं जिनकी कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट अंतिम संस्कार के समय उपलब्ध नहीं हो पाती है और उनका अन्तिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकाल के तहत होता है। जगह और समय की कमी के कारण जल्द से जल्द शवों का अंतिम संस्कार करना होता है। ये मौत के आंकड़ों में अंतर की मुख्य वजह है।
इस बीच प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद हरिद्वार में कुंभ मेला जारी है। प्रधानमंत्री ने संतों से यह विशेष आग्रह किया है कि वे बाकी के 'स्नान' को वापस लें और इस बार के कुंभ मेले को प्रतीकात्मक बनाएं।
कुल मिलाकर, कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान किया है। यह पिछले महीने तक अकल्पनीय था कि ऐसा कुछ होगा। कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन करने, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और भीड़ से दूर रहने की तमाम अपीलों के बावजूद कई लोगों ने इसे नजरअंदाज किया और अब इसका परिणाम हम सबके सामने है। दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, लखनऊ, भोपाल जैसे बड़े महानगरों के लोग टेस्ट कराने के लिए भाग रहे हैं, लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों को भर्ती कराने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इन हालात से बचा जा सकता था। हमलोगों के पास अभी भी समय है कि हम अपने घरों में रहें और कोरोना वायरस की इस घातक चेन को तोड़ने की कोशिश करें। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 अप्रैल, 2021 का पूरा एपिसोड