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Rajat Sharma’s Blog-सौ करोड़ की वसूली: उद्धव ठाकरे तक पहुंच सकती है सीबीआई जांच की आंच

इस बात की पूरी संभावना है कि अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की जो जांच होगी उसकी आंच उद्धव ठाकरे तक भी पहुंचेगी। क्योंकि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने साफ कहा है कि उन्होंने 100 करोड़ रुपये हर महीने वसूली के बारे में उद्धव ठाकरे को पूरी जानकारी दे दी थी

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: April 06, 2021 14:26 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma

महाराष्ट्र की राजनीति में ये किसी तूफान से कम नहीं है। इस तूफान की आहट कई दिन पहले मिल गई थी। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच अब सीबीआई करेगी। सीबीआई यह जांच बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू करनेवाली है। अगर 100 करोड़ रुपए हर महीने वसूली के आरोप में गृह मंत्री देशमुख के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सबूत मिलता है तो सीबीआई को इस केस में एफआईआर दर्ज करनी होगी। 

 
इसका पहला असर ये हुआ कि गृह मंत्री अनिल देशमुख को मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा। उनकी पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने अनिल देशमुख से इस्तीफा देने को कहा और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने मंत्री का इस्तीफा राज्यपाल के पास भेजना पड़ा। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के द्वारा लगाए गए 'भ्रष्टाचार के आरोपों' की प्राथामिक जांच करे। पूर्व कमिश्नर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर गृह मंत्री देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। 
 
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की बेंच ने अपने आदेश में कहा- 'देशमुख गृहमंत्री हैं और इल्जाम संगीन हैं। पुलिस विभाग उनके नियंत्रण में है और उनके निर्देशों का पालन करता है। ऐसे में अगर राज्य की पुलिस को ही जांच सौंपी जाए तो इसमें निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है। मौजूदा मामले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना जरूरी है जिससे लोगों का भरोसा कायम रहे।'
 
अब ऐसे में अनिल देशमुख के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। हालांकि देशमुख ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वह 'नैतिक आधार' पर इस्तीफा दे रहे हैं। अगर मान लिया जाए कि अनिल देशमुख ने आत्मा की आवाज पर और नैतिकता के तकाजे पर इस्तीफा दिया है तो उनकी आत्मा बहुत देर से जागी। 
 
परमबीर सिंह ने जब मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर देशमुख पर इल्जाम लगाए थे उसके बाद ही अनिल देशमुख को खुद जांच के आदेश देने चाहिए थे और पद छोड़ देना चाहिए था। परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी के प्वाइंट 7 में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट के मुखिया सचिन वाज़े को पिछले कुछ महीनों में लगातार अपने आधिकारिक आवास पर बुलाया और उसे मुंबई के 1,750 रेस्टोरेंट और  बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया। परमबीर सिंह ने इसी चिट्ठी के प्वाइंट 9 में लिखा था कि कुछ दिनों बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजबल को अपने घर बुला कर मुबई के रेस्टोरेंटऔर बार से वसूली की बात कही थी। 
 
ये आश्चर्य की बात है कि ऐसे संगीन इल्जाम लगने के बाद भी अनिल देशमुख इतने दिनों गृह मंत्री की कुर्सी पर कैसे बने रहे। आरोप लगानेवाला कोई और नहीं बल्कि एक सीनियर आईपीएस अधिकारी और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह थे। बड़ी बात ये है कि परमबीर सिंह ने इसी चिट्ठी में ये भी लिखा था कि अनिल देशमुख की वसूली की जानकारी उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार को भी दी थी।
 
हालांकि उद्धव ठाकरे वसूली कांड पर अब तक खामोश हैं, लेकिन अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद इस केस की आंच उद्धव ठाकरे तक भी पहुंच सकती है। बीजेपी ने अपनी मांगों के जरिए इसकी कोशिश भी शुरू कर दी है। सोमवार को हाईकोर्ट का फैसला आया तो मुंबई से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज हो गई। मुंबई में देवेन्द्र फडणवीस और दिल्ली में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का इस्तीफा मांगा। रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया कि अनिल देशमुख ने अपने पार्टी प्रमुख शरद पवार को इस्तीफे की चिट्ठी क्यों सौंपी? उन्होंने कहा कि कहा कि जब सारा फैसला शरद पवार को ही करना था तो अब तक इस बात का ड्रामा क्यों किया जा रहा था?
 
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अनिल देशमुख के इस्तीफे से ये मामला यहीं खत्म नहीं होगा। 'वसूली के पूरे रैकेट का पता लगना चाहिए। ये पता लगना चाहिए कि पैसा कहां-कहां पहुंचता था और वसूली में किसकी कितनी हिस्सेदारी थी?' देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वसूली कांड पर अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि वसूली कांड को लेकर जिस तरह महाराष्ट्र की बदनामी हुई है उसपर उद्धव ठाकरे को जवाब तो देना ही होगा। फडणवीस ने कहा कि जिस वक्त ये मामला सामने आया था अगर उद्धव ठाकरे ने उसी समय अनिल देशमुख से इस्तीफा ले लिया होता तो शायद इतनी फजीहत नहीं होती। फडणवीस ने यह भी संकेत दिया कि अभी तो सिर्फ शुरुआत है, आगे कई 'राजनीतिक धमाके ' होंगे। 
 
जरा सोचिए, अगर सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो गाड़ी में जिलेटिन की छड़ें रखने का दुस्साहस नहीं किया होता। अगर वाज़े  मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में आरोपी नहीं बनता तो परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने रहते। अगर उन्हें हटाया नहीं जाता तो अनिल देशमुख उनके बारे में कभी नहीं कहते कि परमबीर की जांच की जाएगी। अगर ये सब नहीं होता तो ये बात कभी सामने नहीं आती कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाज़े को रेस्टोरेंट और बार से 100 करोड़ रुपए महीना वसूली का टारगेट दिया था। सबकुछ वैसे ही चलता रहता। वसूली होती रहती। लोगों को झूठे मामलों में फंसाने का सिलसिला चलता रहता और किसी को कानोंकान खबर नहीं होती। 
 
इस बात को भुलाया नहीं जा सकता कि उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में सचिन वाजे़ को डिफेंड (बचाव) किया था। इस बात को भी नहीं भुलाया जा सकता कि कैसे शरद पवार ने  गृह मंत्री अनिल देशमुख का बचाव किया था। कुल मिलाकर सबलोग एक-दूसरे को बचाने में लगे थे, एक-दूसरे की करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे थे। उद्धव ठाकरे और शरद पवार एक दूसरे की मदद से सरकार में हैं। लेकिन जब इस तरह के खुलासे होते हैं तो एक सीमा के बाद फिर कोई एक-दूसरे की मदद नहीं करता। 
 
इस बात की पूरी संभावना है कि अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की जो जांच होगी उसकी आंच उद्धव ठाकरे तक भी पहुंचेगी। क्योंकि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने साफ कहा है कि उन्होंने 100 करोड़ रुपया महीना वसूली के बारे में उद्धव ठाकरे को पूरी जानकारी दे दी थी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। उद्धव के सामने एक बड़े सियासी संकट से लड़ने की चुनौती है। अब देखना है कि वे इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 अप्रैल, 2021 का पूरा एपिसोड

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