म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचार के खिलाफ पाकिस्तान में जिहादी समूह बदला लेने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं। पाकिस्तान की मस्जिदों में नफरत से भरे भाषण दिए जा रहे हैं और आतंकी षड्यंत्र भी रचे जा रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में पाकिस्तान में जहर भरी तकरीर सुनने के बाद इस बात में कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान में बैठे दहशतगर्द रोहिंग्या मुसलमानों के नाम पर आतंकवादी साजिशों को अंजाम देंगे। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। मुहम्मद अशरफ आसिफ जलाली की बात सुनने के बाद अब इसमें तो कोई शक नहीं होना चाहिए। हालांकि मैंने शुक्रवार को भी कहा था और आज फिर कहूंगा कि रोहिंग्या मुसलमानों में कुछ दहशतगर्द हैं। उनके आतंकवादियों के साथ संबंध भी हैं। यह बड़ा सवाल नहीं हैं, बड़ी बात यह है कि हमारे देश में पहले से ही बहुत सारी प्राब्लम्स हैं तो फिर हम दूसरे देश की समस्या अपने सिर क्यों लें? रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे को इंसानियत के नजरिए से देखने की जरूरत है। उनकी जितनी संभव हो सके, हमें उतनी मदद करनी चाहिए। लेकिन मदद का मतलब यह नहीं कि उन्हें अपने देश में बसा लें। पहली कोशिश तो यह होनी चाहिए कि म्यांमार सरकार से बात करके वहां हालात सुधरें, इसकी पहल हो। इसके अलावा रोहिंग्या मुसलमानों को खाने-पीने और अन्य जरूरी सामान की जो जरूरत है वह उपलब्ध कराई जाए। लेकिन देश में बसाना कोई समझदारी भरा कदम नहीं होगा। इसीलिए सोमवार को सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया गया वह सरकार का सही स्टैंड है। इसको सपोर्ट करना चाहिए। (रजत शर्मा)