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Rajat Sharma’s Blog: रामविलास पासवान एक जननेता थे

पासवान के निधन से बिहार विधानसभा चुनाव में एक भावनात्मक पहलू का जुड़ना तय है, क्योंकि ताकतवर दुसाध समुदाय उनके बेटे के पीछे एकजुट होने वाला है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : October 09, 2020 15:49 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के निधन से बिहार की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। दिल्ली के एक अस्पताल में हाल ही में हुई हार्ट सर्जरी के बाद गुरुवार शाम को पासवान का निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। पासवान के निधन की खबर सबसे पहले उनके पुत्र चिराग पासवान ने ही दी। चिराग ने अपने पिता की बीमारी के बाद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला है।

दलित राजनीति के एक बड़े चेहरे के तौर पर रामविलास पासवान ने 5 दशक लंबी राजनीतिक पारी खेली। पहली बार वह राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1969 में विधायक बने और 51 वर्षों तक सक्रिय राजनीति में रहे। वह 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय लोक दल में शामिल हुए और महासचिव बने, 1975 में आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए।  

पासवान ने पहली बार लोकसभा चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में जीता। वहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लोकसभा के लिए 8 बार चुने गए। अपने निधन के वक्त वह राज्यसभा के सदस्य थे। पासवान 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री बने और तब से लेकर वह केंद्र की लगभग हर सरकार में मंत्री रहे। देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉक्टर मनमोहन सिंह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक, सभी सरकारों में उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला था।  

जमीन से जुड़े नेता होने के नाते पासवान का दलितों के साथ अच्छा जुड़ाव था और संसद में वह उनसे जुड़े मुद्दों को सबसे पहले उठाते थे। दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर बोलते हुए वह संसद में कई बार सदियों पुरानी जाति व्यवस्था पर टिप्पणी किया करते थे। पासवान अक्सर कहते थे, ‘आप मच्छर भगाने की दवा छिड़क कर गंदगी से भरे नाले को साफ नहीं कर सकते।’ वाजपेयी सरकार से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। बिहार के आगामी चुनावों से पहले उनके पुत्र चिराग पासवान पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।

पासवान के निधन से बिहार विधानसभा चुनाव में एक भावनात्मक पहलू का जुड़ना तय है, क्योंकि ताकतवर दुसाध समुदाय उनके बेटे के पीछे एकजुट होने वाला है। अब चिराग अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने वाले हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पासवान के आवास पर गए और दलित नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

मैं निजी तौर पर रामविलास पासवान को 70 के दशक से जानता था और मेरा उनके साथ घनिष्ठ संबंध था। दिल्ली में वह कुछ ऐसे चुनिंदा नेताओं में थे जिन्हें जमीनी स्तर की राजनीति की गहरी समझ थी। उन्हें पता होता था कि राजनीतिक हवा किस दिशा में बह रही है। इंडिया टीवी की तरफ से मैं दिवंगत नेता के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 अक्टूबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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