कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स को संबोधित किया जिसमें उन्होंने नोटबंदी और राफेल सौदे को लेकर यह आरोप लगाया कि ये बड़े घोटाले हैं जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के करीबी क्रोनी कैपिटलिस्ट (दोस्त पूंजीपतियों) को फायदा पहुंचाना था। उन्होंने कहा, 'इरादा (नोटबंदी के पीछे) उनके (पीएम मोदी) 15-20 क्रोनी कैपिटलिस्ट दोस्तों की मदद करना था जो आम आदमी से पैसे लेकर अपनी जेब भरते हैं और भारी कर्ज में डूबे हुए हैं।'
राहुल गांधी ने अपनी छोटी सी प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कई बार इस बात को दोहराया कि नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला अपने 10-15 क्रोनी कैपिटलिस्ट दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए किया। लेकिन उन्होंने एक भी उद्योगपति का नाम नहीं बताया। उद्योगपतियों को कैसे और कितना फायदा पहुंचा, इसका कोई ब्यौरा उन्होंने नहीं दिया। असल में ये सारी बातें राहुल गांधी कई बार अपनी जन सभाओं में कहते रहे हैं। बेहतर होता कि एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वे नोटबंदी के मुद्दे पर तर्क देते, तथ्य बताते ताकि उनके आरोपों में दम दिखाई देता। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
वहीं इसकी तुलना में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी और उसके प्रभाव पर ब्लॉग लिखा। उन्होंने तथ्यों और आंकड़ों का उल्लेख किया और बताया कि नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य केवल कालेधन का पता लगाना और उसे मुद्रा के तौर पर खत्म करना नहीं था। उनके मुताबिक सिर्फ इसलिए आप नोटबंदी को फेल नहीं कह सकते कि जितनी मुद्रा चलन से बाहर हुई थी वह बैंकिंग व्यवस्था में वापस आ गई। जेटली मानते हैं कि नोटबंदी का बड़ा उद्देश्य भारत को टैक्स नहीं चुकाने वाले समाज व्यवस्था से टैक्स चुकानेवाली व्यवस्था की ओर ले जाना था। उन्होंने लिखा कि नोटबंदी के बाद 18 लाख जमाकर्ताओं को जांच के लिए इनकम टैक्स विभाग ने चिन्हित किया है। उनके ऊपर टैक्स और जुर्माना लगाया गया है।
अरुण जेटली ने लिखा कि टैक्स रिटर्न भरनेवाले लोगों की संख्या में असाधरण वृद्धि हुई है। मार्च 2014 में 3.8 करोड़ लोगों ने टैक्स रिटर्न भरा था जबकि 2017-18 में इनकी संख्या बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई। पिछले दो साल में टैक्स रिटर्न भरनेवालों की संख्या में 19 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में एडवांस टैक्स भरनेवालों की संख्या 44.1 फीसदी बढ़ी है। इनकम टैक्स कलेक्शन की बात करें तो यह 2013-14 में 6.38 लाख करोड़ था जो कि 2017-18 में बढ़कर 10.02 लाख करोड़ हो गया। अरुण जेटली के मुताबिक इसका फयदा ये है कि अब सिस्टम में पहले से ज्यादा पैसा आ गया है। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है और टैक्स के जरिए राजस्व में वृद्धि के साथ ही विकास के लिए खर्च की क्षमता बढ़ रही है।
जहां तक राफेल सौदे का सवाल है मैं पहले ही लिख चुका हूं कि यह देश की युद्धनीति से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इस बात को सभी मानते हैं कि भारतीय वायुसेना को अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए राफेल जैसे एयरक्राफ्ट की सख्त जरूरत है। अच्छा होगा कि देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सियासत ना हो। (रजत शर्मा)