कांग्रेस पार्टी ने दलित मुद्दों पर अपनी चिंताएं प्रकट करने और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए सोमवार को राष्ट्रव्यापी उपवास का ऐलान किया था, लेकिन इसमें साफ तौर पर प्लानिंग की कमियां दिखी। कई राज्यों में नेतागण तीन से चार घंटे के लिए उपवास पर बैठे और फिर भोजन के लिए चले गए। दिल्ली में पार्टी के नेताओं को छोले भटूरे का नाश्ता करते हुए सोशल मीडिया पर देखा गया, जिसके बाद वे उपवास पर बैठने के लिए राजघाट रवाना हुए। राहुल गांधी एक बजे के करीब राजघाट पहुंचे और कुछ घंटों के लिए उपवास पर बैठे।
सवाल यह है कि इस तरह का तमाशा क्यों? ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों द्वारा संसद सत्र बाधित रखने के विरोध में बीजेपी सांसदों की तरफ से 12 अप्रैल को आहूत देशव्यापी उपवास कार्यक्रम की काट के लिए कांग्रेस ने यह कदम उठाया। बीजेपी के इस उपवास कार्यक्रम का ऐलान होने के बाद कांग्रेस ने दलितों के मुददे पर राष्ट्रव्यापी उपवास का ऐलान कर दिया। जल्दबाजी में कराये गए इस पूरे कार्यक्रम के दौरान कहीं उपवास और धरना 10 बजे शुरू हुआ तो कहीं 12 बजे। कहीं उपवास का कार्यक्रम दो घंटे, चला कहीं चार घंटे। साफ है कि इसकी गंभीरता और प्लानिंग में कमियां थीं।
वैसे भी उपवास का मतलब होता है भूखे रहकर विरोध जताना। जब कांग्रेस के लीडर छोले-भटूरे खाकर तीन घंटे के लिए उपवास पर बैठे तो ये सोशल मीडिया पर मखौल का विषय बन गया। उम्मीद करनी चाहिए कि राहुल गांधी अगली बार जल्दबाजी में उपवास का ऐलान नहीं करेंगे और सावधानी बरतेंगे, क्योंकि जल्दबाजी के चक्कर में इस तरह की फजीहत हो गई। (रजत शर्मा)