झारखंड में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का मुद्दा उठाया। इस मुद्दे पर जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपने 'मेक इन इंडिया' के बारे में सुना होगा, लेकिन यह अब 'रेप इन इंडिया' बन गया है।’
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की महिला सांसदों ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया और कांग्रेस नेता की बिना शर्त माफी की मांग की। राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और इसकी बजाय दलील दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 साल पहले एक सार्वजनिक बैठक में दिल्ली को भारत का 'रेप कैपिटल' करार दिया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस तरह का बयान देने के बाद राहुल गांधी को संसद में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की महिला सांसदों ने बाद में चुनाव आयोग में जाकर शिकायत दर्ज कराई और राहुल गांधी के खिलाफ 'कड़ी से कड़ी कार्रवाई' की मांग की।
मेरे विचार से राहुल गांधी को एक विपक्षी पार्टी के नेता की हैसियत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों की आलोचना करने का पूरा हक है। उन्हें सरकार पर सवाल उठाने और आरोप लगाने का अधिकार है, लेकिन महिलाओं पर अत्याचार एक संवेदनशील मुद्दा है। इस तरह की टिप्पणी करने से पहले, उन्हें अपनी भाषा, अपने विचारों और कहने के अंदाज पर ध्यान देना चाहिए था।
निश्चित तौर पर यह शर्म की बात है कि समाज के एक हिस्से के रूप में हम महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा का वातावरण देने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। जिस तरह से राहुल गांधी ने राइम (तुकबंदी) करने की कोशिश में 'मेक इन इंडिया' से 'रेप इन इंडिया' बनाया, वह वाकई में असंवेदनशील था। यह संवेदनाओं को पीछे छोड़कर हालात का मजाक उड़ाने जैसा था।
मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए इस लेवल पर उतरना ठीक नहीं है। यदि राहुल गांधी ने अपनी गलती मान ली हो और माफी मांग लेते तो मामला वहीं खत्म हो सकता था। लेकिन अब यह चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 13 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड