वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को अपने फेसबुक ब्लॉग में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से राफेल एयरक्राफ्ट सौदे को लेकर 15 सवाल किए थे। जेटली ने पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी और उनकी पार्टी द्वारा लगाए जा रहे अधिकांश आरोपों को जवाब दिया। इससे ज्यादा पारदर्शी और स्पष्ट जवाब कोई नहीं हो सकता।
हमें याद रखना चाहिए कि यह दो सरकारों के बीच का समझौता है और दोनों देश इस समझौते में उल्लेख किए गए गोपनीयता की शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। वित्त मंत्री जेटली ने इस सौदे से जुड़े अधिकांश पहलुओं पर विस्तार से सरकार का पक्ष रखा लेकिन कांग्रेस के नेता अभी भी सवाल उठा रहे हैं। इसकी वजह है कि उनको राफेल डील के मुद्दे में चुनावी फायदा दिख रहा है।
राहुल गांधी ने अरुण जेटली द्वारा उठाए गए एक भी सवाल पर कुछ कहने की बजाए मामले को और उलझाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर दी। उन्होंने इसके लिए जेटली को 24 घंटे की समय सीमा दी है। राहुल को जवाब देते हुए जेटली ने राजीव गांधी के कार्यकाल में जेपीसी की नाकामयाबी की ओर इशारा किया जब बोफोर्स का मुद्दा काफी गरमाया हुआ था।
राहुल गांधी ने राफेल डील की जांच के लिए जेपीसी की मांग क्यों की? अगर जेपीसी का गठन होता है तो मंत्रियों और अफसरों को समन किया जाएगा और कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जगह-जगह बिना सिर पांव के एक ऐसे मुद्दे को उछालते रहेंगे जो कहीं टिक ही नहीं सकता। इस आरोप को हर जगह प्रचारित किया जाएगा और बार-बार सरकार पर आरोप लगाए जाएंगे। कांग्रेस के नेता कहेंगे कि सरकार से राफेल के स्पेसिफिकेशन कोई नहीं पूछ रहा सिर्फ कीमत पूछी जा रही है और सरकार जानबूझ कर कीमत छुपा रही है क्योंकि घोटाला हुआ है।
बुधवार को कांग्रेस पार्टी ने जेटली के सवालों का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार के मंत्री अपने विभाग के अलावा बाकी सभी मंत्रालयों के बारे में बात करते हैं। राफेल डील पर रक्षा मंत्री को बोलना चाहिए लेकिन वित्त मंत्री बोल रहे हैं।
कांग्रेस के पास इससे ज्यादा कहने के लिए कुछ है भी नहीं क्योंकि जेटली ने जो सवाल उठाए उसका कोई ठोस और अकाट्य जवाब उनके पास नहीं है। कांग्रेस के पास जेटली के इस सवाल का जवाब नहीं है कि यूपीए सरकार ने राफेल एयरक्राफ्ट को प्राप्त करने में 11 साल की देरी कर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता क्यों किया। पार्टी के पास जेटली के सवाल का जवाब नहीं कि 2007 में राफेल एयक्राफ्ट को शॉर्टलिस्ट करने के बाद बातचीत की प्रक्रिया पांच साल बाद 2012 में क्यों शुरू हुई। कांग्रेस के पास जेटली के इस कथन का कोई जवाब नहीं है कि एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा तय की गई मूल कीमत (बेसिक प्राइस) से 20 फीसदी कम कीमत में राफेल का सौदा तय किया। (रजत शर्मा)