कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली में अपनी पार्टी के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख को 'मसूद अजहर जी' कहकर संबोधित किया। वे 1999 में हुए कंधार हाईजैक की घटना का जिक्र कर रहे थे जब बंधकों की रिहाई के बदले मसूद अजहर और दो अन्य आतंकवादियों को हाईजैकर्स को सौंपा गया था।
आतंक के मास्टरमाइंड को 'जी' से संबोधित कर आदर व्यक्त करने के लिए बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी की जमकर आलोचना की है। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने याद दिलाया कि वे कांग्रेस के ही सीनियर नेता दिग्विजय सिंह थे जिन्होंने एक बार 'मसूद अजहर जी' और 'हाफिज सईद साहब' कहा था। इसी महीने दिग्विजय सिंह ने पुलवामा आतंकी हमले का जिक्र करते हुए इसे एक 'दुर्घटना' बताया था। जैश के एक आत्मघाती हमलावर ने इस हमले को अंजाम दिया था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
विपक्षी दल के नेता होने के नाते राहुल गांधी का अधिकार है कि वह सरकार पर हमले करें, प्रधानमंत्री के कामों और उनकी नीतियों की आलोचना करें। राहुल गांधी चुनावी माहौल में नरेन्द्र मोदी के लिए तीखी भाषा का इस्तेमाल करें, ये भी चलेगा। लेकिन अगर राहुल गांधी उस दहशतगर्द का सम्मान करेंगे जिसके लोगों ने हमारे 40 जवानों को शहीद कर दिया तो देश के लोग शायद इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। राहुल गांधी अगर मसूद अजहर जैसे आतंकवादी को 'मसूद अजहर जी' कहेंगे तो ये नहीं चलेगा। इससे कांग्रेस पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी आपत्तिजनक टिप्पणी की है। सोमवार को उन्होंने कहा कि केवल चुनावी फायदे के लिए पाकिस्तान के अंदर घुसकर बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक (एयर स्ट्राइक) की गई। हमें करोड़ों रुपये के एक एयरक्राफ्ट का नुकसान उठाना पड़ा। गनीमत रही कि भारतीय वायुसेना का पायलट जिंदा बच गया और पाकिस्तान से पूरे सम्मान के साथ वापस लौटा।
फारूक अब्दुल्ला बड़े पुराने और अनुभवी नेता हैं और लंबे वक्त से मैं उन्हें काम करते हुए देख रहा हूं। जब वाजपेयी के शासन में वे एनडीए में थे तो पाकिस्तान को रोज कोसते थे। नरेन्द्र मोदी की तारीफ भी करते थे। लेकिन जब से बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाई तब से फारूक का रुख बदल गया।
चूंकि फारुक अब्दुल्ला अब विपक्ष के नेता हैं, उन्हें सरकार की आलोचना करने का पूरा हक है, उन्हें वो सब कहने का हक है जिससे उनकी पार्टी को फायदा होता हो। लेकिन फारूख जैसे बड़े नेता से ये उम्मीद नहीं की जाती कि वो हमारे देश की फौज पर यकीन नहीं करके पाकिस्तान के दावों पर यकीन करें। फारुक जैसे नेता से यह भी उम्मीद नहीं की जा सकती कि वो हमारे देश के बहादुर जवानों और पायलटों के मनोबल को कम करने की कोशिश करें। पाकिस्तान ने हमारे मिग एयरक्राफट को मार गिराया उसका जिक्र तो करें लेकिन हमारी एयरफोर्स ने पाकिस्तान में घुसकर उसके एफ16 को मार गिराया उसकी बात न करें।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' में सही बात कही थी कि ऐसे नेता पाकिस्तानी टीवी चैनल्स को टीआरपी तो दे सकते हैं लेकिन उन्हें भारत की जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 11 मार्च 2019 का पूरा एपिसोड