लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार शुक्रवार शाम खत्म हो गया और भारतीय राजनीतिक क्षितिज के दो दिग्गज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में लगभग एक साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पूरे चुनाव में बहुत मेहनत की। उन्होंने देश के लगभग हर कोने में जाकर रैलियों को संबोधित किया। पिछले पांच साल से केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी, चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में रक्षात्मक मुद्रा में थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी के आक्रामक प्रचार ने बाजी पलट दी। बीजेपी के पूरे प्रचार की कमान अकेले नरेन्द्र मोदी के कंधों पर थी। इसका श्रेय मोदी को जाता है कि विपक्षी खेमे से लोहा लेते हुए उन्होंने एक कठिन चुनौती को अवसर में बदल दिया।
पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार और केरल जैसे राज्यों में मोदी अपने आक्रामक रूप में बेहतर नजर आ रहे थे। बीजेपी के प्रचार का सारा भार मोदी के कंधों पर था, और उन्होंने मतदाताओं से सीधी अपील की और कहा कि बीजेपी का प्रत्येक वोट व्यक्तिगत रूप से उनके खाते में जाएगा।
19 मई को आखिरी दौर का मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल का परिणाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आएगा। पिछले 6 दौर के मतदान के एग्जिट पोल के आंकड़े मेरे पास हैं, लेकिन चुनाव आयोग का आदेश है कि 19 तारीख शाम साढ़े छह बजे से पहले एग्जिट पोल के नतीजे नहीं दिखाए जा सकते।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों ने दावा किया कि उनकी पार्टी आसानी से स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेगी। इन दावों में कितना दम है ये मैं आपको रविवार 19 मई की शाम बताऊंगा जब एग्जिट पोल के नतीजों का प्रसारण इंडिया टीवी पर होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को यह नहीं बताया कि उनकी पार्टी कितनी सीटें जीतेगी, लेकिन मोदी पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि मोदी राफेल, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दों पर बोलने से बचते हैं लेकिन अपने इंटरव्यू में यह बताते हैं कि आम कैसे खाएं। राहुल ने इन मुद्दों पर पीएम से गंभीरता से सवाल नहीं पूछने के लिए मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया।
मैं यहां थोड़ा सुधार करना चाहूंगा। राहुल गांधी को ये मालूम होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी से ये सवाल किसी पत्रकार ने नहीं पूछे। ये बातें मोदी ने अक्षय कुमार को दिए गए इंटरव्यू में कही थीं। अक्षय कुमार कोई पत्रकार नहीं हैं और न ही न्यूज मीडिया से जुड़े हैं, इसलिए राहुल का मीडिया पर इल्जाम लगाना ठीक नहीं है।
इस महीने की शुरुआत में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू किया। यह इंटरव्यू अकेले में नहीं बल्कि हजारों लोगों के सामने खचाखच भरे स्टेडियम में किया गया और जनता के सामने मोदी से सवाल पूछे। विदेश नीति, चीन के साथ रिश्ते, पाकिस्तान जाकर नवाज शरीफ को बधाई देने, बालाकोट एयरस्ट्राइक, अनिल अंबानी की जेब में तीस हजार करोड़ देने के राहुल के आरोप, नीरव मोदी और विजय माल्या, हमने हर तरह के सवाल नरेंद्र मोदी से पूछे।
सिर्फ मैंने ही नहीं बल्कि वहां मौजूद जनता को भी मैंने सवाल पूछने की अनुमति दी और जनता ने भी अपने मन के सवाल पीएम मोदी से पूछे। देश की जनता बहुत समझदार हैं। वो मुद्दों को समझती है, यह वजह है कि नरेन्द्र मोदी के इस इंटरव्यू को एतिहासिक व्यूरशिप मिली। देश के करोड़ों लोगों ने इस इंटरव्यू को इंडिया टीवी पर देखा। इसलिए राहुल का ये कहना वाजिब नहीं है कि मीडिया निष्पक्ष नहीं हैं।
बहुत सारे लोग जिन्होंने पीएम मोदी के इस इंटरव्यू को देखा, मुझसे ये सवाल पूछा कि आपने नरेंद्र मोदी को तो आमंत्रित किया लेकिन राहुल गांधी को अपने शो में क्यों नहीं बुलाया।
आज मैं आप सबको ये बताना चाहता हूं कि पिछले पांच साल में कई बार मैंने राहुल गांधी को चिट्ठियां लिखी, संदेश भिजवाए, राहुल के मीडिया सलाहकारों से बात की, लेकिन राहुल मेरे सवालों का सामना करने को तैयार नहीं हुए। राहुल ने ना तो इंकार किया और ना ही मेरे शो 'आप की अदालत' में आने के लिए हां कहा।
मुझे राहुल गांधी से कोई शिकायत नहीं हैं। ये तय करने का राहुल को हक है कि वो किसके सवालों के जबाव दें और किसके सवालों के जवाब नहीं दें। लेकिन मैंने ये बात इसलिए अपने दर्शकों को बताई कि अब राहुल गांधी ये इल्जाम नहीं लगा सकते कि मीडिया मोदी को स्पेस देता है और उन्हें नहीं देता। मुझे लगता है कि इस मामले में राहुल अपना कंफर्ट जोन देखते हैं और मीडिया पर पक्षपात का इल्जाम लगाते हैं।
अगर राहुल गांधी मेरा आमंत्रण मंजूर करते और मेरे शो 'आप की अदालत' में आते, सवालों के जबाव देने कि हिम्मत जुटाते, तो देश की जनता उनकी बात भी सुनती। उन्हें भी एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिलता और उनका शो भी उसी तरह देखा जाता जिस तरह नरेन्द्र मोदी के शो को करोड़ों लोगों ने देखा। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 17 मई 2019 का पूरा एपिसोड