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Rajat Sharma Blog: मुख्यमंत्रियों को चुनते वक्त राहुल गांधी गलती न करें

कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी को पहली बार अपने तीन मुख्यमंत्रियों को चुनने में दुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 14, 2018 12:56 IST
Rajat Sharma | India TV- India TV Hindi
Rajat Sharma | India TV

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की राजधानियों में हो रहे राजनीतिक शक्ति प्रदर्शनों से एक चीज बेहद साफ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन राज्यों के लिए मुख्यमंत्रियों का चयन करते वक्त किसी तरह की गलती करने का जोखिम नहीं उठा सकते। तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए कई प्रबल दावेदार हैं।

 
भाजपा के सामने इन राज्यों में ऐसी कोई समस्या नहीं थी, क्योंकि उसने अपने वर्तमान मुख्यमंत्रियों पर ही दांव खेला था,वहीं कांग्रेस के सामने कई दिक्कतें हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी को पहली बार अपने तीन मुख्यमंत्रियों को चुनने में दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें ऐसे मुख्यमंत्रियों का चुनाव करना होगा, जो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की नैया पार लगा सकें। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा की सीटों की संख्या में भले ही कमी आई हो, लेकिन वह अभी भी इन सूबों में एक बड़ी ताकत है। इसलिए इन दो राज्यों में जो भी कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री बनेगा, उसे भाजपा से कड़ी चुनौती मिलेगी।
 
कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया है और यह उनके अनुभव एवं परिश्रम की जीत है। कमलनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के सभी गुटों को साथ लेकर चलने की होगी। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 4 महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो पार्टी को लोकसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दिलवा सके। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सूबे की 29 में से 27 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार विधानसभा चुनावों में भी मुकाबला काफी कड़ा था और नतीजा किसी के भी पक्ष में जा सकता था। इन चुनावों में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले लेकिन सीटों के मामले में वह पीछे रह गई। इसलिए कांग्रेस के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है।
 
कमलनाथ के पास सही उम्मीदवार उतारकर चुनाव जीतने का लंबा राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के साथ काम किया है, और अब 72 साल की उम्र में राहुल गांधी के साथ काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई है, और निश्चित रूप से उसे नई चुनौतियों का सामना करने के लिए कमलनाथ जैसे अनुभवी नेता की जरूरत है।
 
राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री का चुनाव करना मुश्किल काम है। पिछले 5 सालों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने काफी मेहनत की है और पूरा प्रदेश घूमा है। इसके साथ ही उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का भी काम किया है। उनके कार्यकर्ता उनके साथ हैं, और एक मजबूत प्रतिद्वंदी के सामने चुनाव लड़कर 99 सीटें ला पाना भी कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। सचिन पायलट पार्टी के परंपरागत नेताओं से अलग एक नया चेहरा हैं। वह बतौर मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के अंदर एक नया जोश भर सकते हैं।
 
वहीं दूसरी तरफ अनुभवी राजनेता अशोक गहलोत हैं। वह दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, अनुभवी प्रशासक हैं, और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं। कांग्रेस का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायक भी अशोक गहलोत को बेहतर समझते हैं। इस समय जैसी राजनीतिक परिस्थिति राजस्थान मे है, उसे देखते हुए सरकार चलाने में अशोक गहलोत का अनुभव बहुत काम आ सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप को यहां का मुख्यमंत्री तय करने में दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। (रजत शर्मा)

देखें, ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 दिसंबर का पूरा एपिसोड:

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