उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची की नृशंस और अमानवीय हत्या ने पूरे भारत में जबरदस्त कोहराम मचा दिया है। शीर्ष राजनेताओं और बॉलीवुड हस्तियों ने भी इसकी निंदा की है और इस जघन्य अपराध को अंजाम देनेवाले अपराधियों के लिए कठोर सजा की मांग की है।
यह बच्ची 31 मई को अलीगढ़ के पास टप्पल से लापता हो गई थी और दो दिन बाद उसका क्षत-विक्षत शव अलीगढ़ में एक कचरे के ढेर में मिला था। इस मामले में जाहिद और असलम नाम के दो शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इस हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर व्यापक आक्रोश फैलने के बाद पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया और हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है। अब तक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न का कोई संकेत नहीं मिला है, लेकिन जिस भयानक तरीके से इस अपराधा को अंजाम दिया गया था, वह बेहद निंदनीय है।
इस मासूम बच्ची को जिस क्रूरता से मारा गया, उसके बारे में क्या कहा जाए..अपनी भावना व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। ये समझ से बाहर है कि कोई इंसान इतनी छोटी फूल सी बच्ची को इस तरह से तड़पाकर कैसे मार सकता है? जिन अपराधियों ने ये काम किया वो इंसान नहीं हो सकते और ऐसे हैवानों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। इस केस के आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द मौत की सजा दी जानी चाहिए।
2012 में देश की राजधानी दिल्ली में एक बस के अंदर एक युवती (निर्भया) के यौन उत्पीड़न पर पूरे देश में गुस्सा था, उसके प्राइवेट पार्ट्स को काट दिया गया और उसे सड़क पर फेंक दिया गया। वह जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही और आखिरकार उसकी मौत गई।
अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए हजारों लोग दिल्ली की सड़कों पर निकले। यौन उत्पीड़न पर कानून पूरी तरह से बदल दिया गया था और बहुत कड़ी सजा निर्धारित की गई थी, लेकिन यह बेहद दुखद है कि निर्भया मामले के गुनहगार दिल्ली की तिहाड़ जेल में जिंदा हैं, उन्हें अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है।
इसी हफ्ते, निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने गुहार लगाई कि मौत की सजा को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया तेज की जाए, क्योंकि फांसी से बचने के लिए दोषियों द्वारा दया याचिकाओं के माध्यम से समय प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। अलीगढ़ में हुई बच्ची की हत्या के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए।
मैं यहां एक मुद्दा और उठाना चाहता हूं। इस बच्ची के साथ क्रूरता को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह के मैसेज सर्कुलेट किए जा रहे हैं। कई लोगों ने जम्मू के पास कठुआ में एक बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना के साथ अलीगढ़ की इस घटना की तुलना करते हुए भड़काऊ संदेश प्रसारित किया है। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है।
बच्ची की हत्या हो या रेप जैसी घिनौनी वारदात हो, इस तरह की हरकतें करनेवालों का किसी मजहब से कोई लेना-देना नहीं होता। ऐसी हरकतें करनेवाला सिर्फ अपराधी होता है और उसे उसके गुनाह की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन जो लोग पीड़ित की तस्वीर का उपयोग करके और अपराधियों का नाम लेकर सोशल मीडिया पर मैसेज सर्कुलेट कर रहे हैं, वे लोगों को उकसाने के लिए समान रूप से दोषी हैं और वे सामाजिक वैमनस्य पैदा करते हैं।
सरकार को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। धर्म के नाम पर लोगों को उकसाना और सभ्य समाज में सांप्रदायिक ज़हर घोलना अपराध है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 7 जून 2019 का पूरा एपिसोड