बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका को राजनीति में उतारने की घोषणा करके सबको चौंका दिया। उन्होंने प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रभारी महासचिव के रूप में नियुक्त किया। पार्टी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में इस घोषणा को ज्यादा तरजीह न देते हुए इसका जिक्र तीसरे पैराग्राफ में किया गया, लेकिन इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जमकर जश्न मनाया।
राजनीति में प्रियंका की एंट्री को मैं औपचारिकता मानता हूं क्योंकि वह पिछले कई सालों से पर्दे के पीछे रहकर पहले से ही पार्टी के लिए काम कर रही थीं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का ‘वॉर रूम’ वहीं सभाल रही थीं। उन्होंने कांग्रेस के महाधिवेशन में भी छोटी से छोटी चीजों को मैनेज किया था और यहां तक तय किया था कि उनके भाई राहुल के बगल में मंच पर कौन-कौन बैठेगा।
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पार्टी की बागडोर कब दी जाए, इस फैसले में भी प्रियंका का रोल काफी अहम था। प्रियंका ने हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 3 मुख्यमंत्रियों के नाम तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन यह प्रियंका ही थीं जिन्होंने अशोक गहलोत को कमान सौंपने पर जोर दिया।
प्रियंका पर्दे के पीछे पार्टी में काफी प्रभावशाली रही हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात को जानते थे और यह किसी से भी छिपा नहीं था। प्रियंका बेशक राजनीतिक तौर पर काफी आक्रामक हैं लेकिन एक अलग तरीके से। बहुत कम ही लोग प्रियंका की राजनीति और उनकी रणनीति को समझते हैं। उन्हें स्थानीय राजनीति की अच्छी समझ है और वह आम आदमी से जुड़े मुद्दों के बारे में भी जानकारी रखती हैं। उन्हें पता है कि लोगों से कनेक्ट करने के लिए कब और क्या बोलना है। वह यह भी जानती हैं कि विरोधियों को किस अंदाज में जबाव देना है। इनमें से अधिकांश मामलों में वह अपने भाई राहुल से आगे हैं।
कांग्रेस के कई नेता भी मानते हैं कि प्रियंका गांधी पार्टी का ट्रंप कार्ड हैं। वह पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक सकती हैं। लेकिन फिर भी मुझे हैरानी है कि राहुल गांधी ने राजनीति में उनकी एंट्री की घोषणा इस अंदाज में क्यों की। मुझे लगता है कि प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री एक लार्ज स्केल पर होनी चाहिए थी। मेरी जानकारी के मुताबिक प्रियंका गाधी ने एक किताब लिखी है जिसका नाम ‘अगेंस्ट आउटरेज’ है। इस किताब में प्रियंका ने अपने पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद हुई घटनाओं का अपने, अपने भाई और अपनी मां में हुए बदलावों का जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि इस घटना के बाद उन्हें और उनके परिवार को किस तरह की परेशानियां झेलनी पड़ीं।
पेंगुइन द्वारा इस किताब को इस साल मार्च में लॉन्च किया जाना है और यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन सकती है। इस किताब को ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए इसका अंग्रेजी से कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि प्रियंका की राजनीति में एंट्री और किताब की रिलीज चुनाव अभियान के समय साथ में ही होने पर यह पार्टी के कार्यकर्ताओं में बड़े पैमाने पर जोश भरता। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात', रजत शर्मा के साथ, 23 जनवरी 2019 का पूरा एपिसोड