अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कुछ दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बन्द की कॉल दी थी, जिसका समर्थन कांग्रेस, बीएसपी, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने किया था। भारत बंद के दौरान कुछ राज्यों में हुई हिंसा में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि बड़े पैमाने पर निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
दलितों और आदिवासियों पर होनेवाले अत्याचार के मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी की अनिवार्यता बहाल रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के बावजूद गुंडों और असामाजिक तत्वों ने दलित अधिकार के नाम पर बड़े पैमाने पर हिंसा की। अफवाहों और फेक न्यूज ने आग में घी का काम किया और कुछ राज्यों में इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं।
तस्वीर साफ है-जो लोग हिंसा में शामिल थे उन्हें उस दल का समर्थन हासिल था जिसका उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में दलित समर्थकों का बड़ा आधार है। सबसे ज्यादा आगजनी और हिंसा की घटनाएं इन्हीं राज्यों में हुई। कुल मिलाकर 10 राज्यों में दलितों के इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई इनमें 71 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां SC/ST के वोट प्रमुख हैं। 2019 के आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ये सीटें बेहद महत्वपूर्ण हैं।
हिंसा की ज्यादतर घटनाएं मध्यप्रदेश और राजस्थान में हुईं जहां इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। स्पष्ट रूप से इन प्रदर्शनों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई इस हिंसा के पीछे राजनीतिक उद्देश्य निहित थे। (रजत शर्मा)