लाखों भारतीयों ने सोमवार को टेलीविजन पर भरपूर गौरव के साथ हमारे जीएसएलवी एमके-III रॉकेट को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को लेकर आसमान को चीरते हुए और पूरी शान से उड़ते हुए देखा था। चंद्रयान-2 अभी धरती के चक्कर लगा रहा है। यह अंतरिक्ष यान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचेगा, जहां लैंडर विक्रम चांद की सतह को छूएगा और रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास भेजेगा, जहां अब तक कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं उतरा है।
इसके साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर अपना यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत पहले ही मंगलयान (मंगल पर मिशन) और चंद्रयान-1 (चंद्रमा पर मिशन) की जबरदस्त सफलता के साथ प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों के क्लब में शामिल हो चुका है। बीती सदी के 60 और 70 के दशक में जब अमेरिका और रूस चांद और अन्य ग्रहों के लिए स्पेसक्राफ्ट भेजते थे तो हम भारत में इसे सिर्फ टकटकी लगाकर देखा करते थे। हम एक ऐसे दिन का सपना देखते थे जब हमारा स्पेसक्राफ्ट लहराते हुए तिरंगे के साथ चंद्रमा और मंगल पर पहुंचे।
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की जोरदार कोशिशों का नतीजा है कि भारत इस उल्लेखनीय स्तर तक पहुंचा है, और हर भारतीय को इस तरक्की पर गर्व होना चाहिए। चंद्रयान-2 नाम का यह ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह की तस्वीरों को क्लिक करने और भेजने के लिए पूरे एक साल तक चांद की परिक्रमा करेगा।
नई दिल्ली में अपने कार्यालय से लॉन्च का सीधा प्रसारण देख रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस घटना को इतिहास में प्रमुखता से दर्ज किया जाएगा। चंदा मामा, जैसा कि भारतीय बच्चों के लिए बनाई गईं अपनी कहानियों में चांद को पुकारते हैं, अब हमारी पहुंच से बाहर नहीं है। हमारे वैज्ञानिक अब विज्ञान की अज्ञात सीमाओं के बारे में जानने के लिए जरूरी जानकारी जुटाने के मकसद से चांद को खंगालेंगे। अब दुनिया भारत को अंतरिक्ष में लंबी छलांगे लेते हुए हैरान होकर देख रही है। और इस भावना को व्यक्त करने के लिए मेरे पास सिर्फ दो शब्द हैं- जय हिंद! (रजत शर्मा)
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