अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को करीब आधे घंटे तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की और उसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को फोन मिलाया। उन्होंने दोनों देशों से अपील की है कि वे तनाव कम करने की दिशा में काम करें। बाद में ट्रंप ने ट्वीट किया: 'अपने दो अच्छे दोस्तों, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कारोबार, रणनीतिक साझेदारी और सबसे ज्यादा अहम बातचीत भारत और पाकिस्तान के लिए कश्मीर में तनाव कम करने को लेकर हुई। कठिन हालात, लेकिन अच्छी बातचीत!'
जितनी बातें इस ट्वीट में खुलकर सामने आनी चाहिए उससे कहीं ज्यादा बातें यह ट्वीट छुपाता है। सोमवार शाम में प्रधानमंत्री कार्यालय ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी देश द्वारा 'भारत विरोधी हिंसा के लिए उकसाने और भड़काऊ बयानबाजी' का मुद्दा उठाया।
इसके तुरंत बाद ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से फोन पर बात की और कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए जरूरी है कि वे भारत विरोधी बयानबाजी बंद करें। व्हाइट हाउस द्वारा इसकी पुष्टि की गई, जिसमें टेलीफोन कॉल के एक रीडआउट में कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इमरान खान को जम्मू-कश्मीर के हालात पर भारत के साथ तनाव को कम करने और बयानों में संयम बरतने की आवश्यकता के बारे में बताया।
व्हाइट हाउस के मुताबिक, ट्रंप ने 'हालात को और ज्यादा आगे बढ़ाने से बचने की जरूरत पर जोर दिया और दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया'।
अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है। 5 अगस्त के बाद से, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के भारतीय संघ में पूर्ण विलय की घोषणा की और राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले आर्टिकल 370 को समाप्त किया है, पाकिस्तान फूट-फूटकर रो रहा है। पिछले पन्द्रह दिन में इमरान खान दर्जनों बार कह चुके हैं कि मोदी को ये फैसला मंहगा पड़ेगा। मोदी ने सबसे बड़ी गलती कर दी। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अपने सहयोगी चीन के साथ इस मुद्दे को उठाने की मांग की, लेकिन यूएनएससी ने केवल बंद कमरे में इस मुद्दे पर चर्चा की और किसी भी तरह का बयान जारी करने से इनकार कर पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के खत्म होने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ लिये, हाईकमिश्नर को निकाल दिया, रेलवे और बस सेवा को एकतरफा बंद कर दिया और गोलाबारी कर एलओसी पर तनाव बढ़ा दिया। उसके प्रधानमंत्री और सभी वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'एकजुटता' दिखाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर गए। उनके नेता इमरान खान ने हमारे प्रधानमंत्री के लिए 'नस्लवादी', 'श्रेष्ठतावादी' जैसे विशेषणों का प्रयोग किया। नरेंद्र मोदी ने संयम रखा, किसी बात का जवाब नहीं दिया। यह ऐसी बयानबाजी थी जिसका पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान जिक्र कर रहे थे।
कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के पाकिस्तान के सभी प्रयास बुरी तरह विफल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के अलावा कोई भी बड़ा देश पाकिस्तान के समर्थन में नहीं उतरा। सारे मुल्क जानते हैं कि इस क्षेत्र में पाकिस्तान आतंकवादियों को एक पनाह देता है। यहां आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जाती है और भारत एवं अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को अस्थिर करने की कोशिश की जाती है।
यह इस पृष्ठभूमि में था कि हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रम्प को सौफ तौर पर कहा कि भारत ने पाकिस्तान के उकसावे के बावजूद अधिकतम संयम बरता है, और यदि आगे भी इस तरह की भड़काने वाली बयानबाजी और आतंकी साजिशें जारी रही तो फिर उसे अपने किए का परिणाम भुगतान होगा। भारत अब पाकिस्तान की तरफ से किए जानेवाले किसी भी तरह के दुस्साहस को बर्दाश्त नहीं करेगा। बालाकोट एयरस्ट्राइक भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प का स्पष्ट उदाहरण है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 19 अगस्त 2019 का पूरा एपिसोड