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Rajat Sharma’s Blog: हेल्थ वर्कर्स पर हमला करने वालों को सजा देने के लिए अध्यादेश सही समय पर आया है

यह अध्यादेश हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाया गया है जिनके ऊपर वायरस से प्रभावित इलाकों में दौरा करते समय हमले की घटनाएं देखने को मिली हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: April 23, 2020 15:23 IST
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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

बुधवार की रात को मैंने अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में न्यूयॉर्क के एक अस्पताल के ICU अंदर का नजारा दिखाया था। इस अस्पताल में प्रोटेक्टिव गियर पहने डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज की जान बचाने की कोशिश कर रहे थे। वेस्टचेस्टर नाम के इलाके में 900 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, और सेंट जोसेफ मेडिकल सेंटर के डॉक्टर इस महामारी से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। प्रोटेक्टिव गियर और मास्क की पर्याप्त संख्या न होने के बावजूद ये डॉक्टर संघर्ष कर रहे हैं। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कहा कि वह अपनी शिफ्ट में रोजाना 6 लोगों की मौत के बारे में अनाउंस करते हैं। लगभग सभी अमेरिकी अस्पतालों की यही कहानी है।

अमेरिका में लगभग 8.5 लाख लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हैं, और इस महामारी मरने वालों की संख्या 48 हजार के करीब पहुंच गई है। न्यूयार्क इस जानलेवा महामारी का केंद्र बन गया है जहां अब तक करीब 20 हजार लोग मारे जा चुके हैं। इन दृश्यों को दिखाने का हमारा उद्देश्य भारत में अपने दर्शकों को यह बताना था कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर किस तरह के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। 

अमेरिका, इटली, स्पेन और ब्रिटेन में इस वायरस के संक्रमण की वजह से जान गंवाने वालों की तादाद हजारों में है, क्योंकि इन देशों ने लॉकडाउन को लागू करने में देरी की। कोरोना वायरस प्रमुख शहरों में फैलता चला गया और हजारों लोगों की जान ले ली। भारत की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वक्त रहते लॉकडाउन लागू कर दिया जो कि अभी भी जारी है। इससे वायरस के प्रसार को कम करने में काफी हद तक मदद मिली है। हालांकि भारत में अभी भी ऐसे लोग हैं जो लॉकडाउन को गैरजरूरी मानते हैं और मानते हैं कि कोरोना वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, भले ही वे बाहर आकर लोगों की भीड़ में शामिल क्यों न हो जाएं। ऐसा करते हुए वे दूसरों में वायरस फैला रहे होते हैं।

नागपुर में भी एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां अब्दुल नाम के एक 68 साल के शख्स की, जो कि टीबी के भी मरीज थे, कोरोना वायरस से मौत हो गई। इस दौरान अब्दुल ने अपने खानदान के 54 लोगों में वायरस का प्रसार कर दिया। वह अपने पीछे एक बेटा और 4 बेटियां छोड़ गए, और उनके परिवार में कुल मिलाकर 22 लोग हैं, जिनमें से 18 को बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। अब्दुल लतीफ के दो भाई और एक बहन हैं। तीनों परिवारों में कुल मिलाकर 54 सदस्य हैं, जिनमें से 20 से ज्यादा लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।

पुलिस और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमले अभी भी जारी हैं। अलीगढ़ में बुधवार को भीड़ ने उन पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया, जो खरीदारी के लिए मिली छूट की समयसीमा खत्म होने के बाद दुकानों को बंद करवाने के लिए गए थे। इस मामले में बाद में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया। मुंबई में धारावी की झुग्गियों में स्थित बालिगा नगर में तबलीगी जमात के कई समर्थकों ने एक शख्स की इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि उसने पुलिस को जमात के लोगों की मौजूदगी के बारे में बताया था। लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की अभी भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मैंने पश्चिम बंगाल के हावड़ा में स्थित लिलुआ बाज़ार में, मुंबई के मुलुंड में और कर्नाटक के मैसूरु जिले में एक मछली बाजार में भीड़भाड़ का नजारा दिखा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसके तहत अब यदि कोई शख्स मेडिकल टीम पर हमला करता है और स्वास्थ्यकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचती है तो उसे 7 साल तक की सजा हो सकती है। यह अध्यादेश हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाया गया है जिनके ऊपर वायरस से प्रभावित इलाकों में दौरा करते समय हमले की घटनाएं देखने को मिली हैं। इसके अलावा यदि हमले में ऐम्बुलेंस को नुकसान पहुंचता है तो हमलावरों को इसके लिए बाजार मूल्य से दोगुनी कीमत चुकानी होगी। सभी वर्गों के लोगों ने अध्यादेश को समय की मांग बताते हुए इसका स्वागत किया है। हमें पुलिसकर्मियों की भी तारीफ करनी चाहिए जो लॉकडाउन को लागू करवाने और अस्पतालों एवं क्वॉरंटीन सेटर्स में हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

मैं दिल्ली पुलिस की तारीफ खासतौर पर करना चाहूंगा, जिसने जरूरतमंदों तक 59 लाख खाने के पैकेट और 212 टन सूखा राशन पहुंचाया है। कम्युनिटी किचन में रोटियां और भोजन तैयार करने वाले पुलिसकर्मियों और महिलाओं के दृश्य हमारे हृदय को गर्व से भर देते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 22 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड

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