लोकसभा ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन विधेयक पारित कर दिया, जिसमें आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने पर किसी अकेले शख्स को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है। यह संशोधन विधेयक राष्ट्रीय जांच एजेंसी को राज्य पुलिस प्रमुख की अनुमति के बिना आतंकी संगठनों से जुड़ी संपत्तियों को भी जब्त करने की इजाजत देता है।
सदन में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने उन लोगों पर निशाना साधा जिन्हें उन्होंने ‘शहरी नक्सली’ कहा था और जो माओवादियों एवं आतंकवादियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन प्रदान करते हैं। विधेयक पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया, और इसके बाद यह बहुमत से पारित हो गया।
मुझे हैरानी हुई कि कांग्रेस ने इस बिल का विरोध करते हुए वॉकआउट क्यों किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान 1967 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक बनाया गया था। जब 2004 में इस कानून में संशोधन किया गया तब भी केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए सत्ता में था। इसके बाद 2008 और 2013 में इसे फिर से संशोधित किया गया और तब भी केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की ही सरकार थी।
बुधवार को पारित किए गए नए संशोधन भी 2013 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित थे। केवल कांग्रेस के नेता ही बता सकते हैं कि उनकी पार्टी अब इन संशोधनों का विरोध क्यों कर रही है। अब तक कानून में ये प्रोविजन था कि आतंकियों की संपत्ति जब्त करने के लिए राज्य पुलिस के DGP की इजाजत लेनी होती थी। नए संशोधन के बाद अब एनआईए महानिदेशक आतंकियों की संपत्ति जब्त करने की इजाजत दे सकते हैं। अब तक राज्य पुलिस के DSP या ACP को आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार था, लेकिन इस संशोधन के बाद NIA का इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी जांच कर सकेगा।
ये महत्वपूर्ण संशोधन हैं जो NIA को आतंकवाद और माओवाद का मुकाबला करने की ताकत दे सकते हैं। इससे जांच में तेजी आएगी और आतंकवाद को फलने-फूलने से पहले ही नेस्तनाबूद करने में मदद मिलेगी। इसके बावजूद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे बड़े लोग भी हैं जो कहते हैं कि नए संशोधित कानून का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए किया जा सकता है। उन्हें सबसे पहले अपने भाई अकबरुद्दीन ओवैसी की चिंता करनी चाहिए, जो बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ सार्वजनिक रूप से जहर उगलते रहे हैं। (रजत शर्मा)
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