प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे बिम्सटेक देशों के नेताओं को गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का फैसला किया है। यह कदम मोदी सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी पर केंद्रित है। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को आमंत्रित नहीं किया गया है। 2014 में मोदी ने सार्क के सभी देशों के नेताओं को आमंत्रित किया था, और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने भी उनके शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था।
मोदी की आने वाले दिनों की विदेश यात्राएं भी तय हैं जिनमें वह पहले मालदीव जाएंगे और फिर बिश्केक में अगले महीने होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके बाद जून के अंतिम सप्ताह में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वह जापान के ओसाका शहर जाएंगे। मोदी ने अप्रैल और मई में चुनाव प्रचार के दौरान व्यस्त रहते हुए भी अपनी विदेश यात्रा की योजनाओं को अंतिम रूप दिया था। इससे पता चलता है कि नतीजे आने से पहले ही मोदी को अपनी प्रचंड जीत को लेकर कितना भरोसा था।
भारत में आम चुनावों में मोदी की जीत को लेकर विदेशी राष्ट्र प्रमुख भी आश्वस्त थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी से बात करने के दौरान ऐसा विश्वास व्यक्त किया और फिर ट्वीट किया: 'अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात हुई। मैंने उन्हें उनकी बड़ी जीत के लिए बधाई दी। वह एक महान आदमी हैं और भारतीयों के नेता हैं- वे खुशनसीब हैं कि मोदी उनके पास हैं।' यह प्रतिक्रिया इन दो विश्व नेताओं के बीच के व्यक्तिगत संबंधों के स्तर को बताती है।
मोदी अपनी चुनावी रैलियों में कह रहे थे कि केंद्र में एक मजबूत सरकार दुनिया के देशों के बीच भारत की शान में काफी इजाफा करती है। दुनिया तब भारत को सम्मान की दृष्टि से देखती है, और यह चीज भारतीय प्रधानमंत्री को विश्व नेताओं से एक ‘पोजिशन ऑफ स्ट्रेंग्थ’ से डील करने की ताकत देती है।
आपको याद होगा कि मेरे साथ एक इंटरव्यू में मोदी ने कहा था कि जब 130 करोड़ों लोगों का भरोसा साथ होता है तब वह विश्व के नेताओं से प्रभावी ढंग से संवाद करते हैं। उन्होंने कहा था, ’हम तब मुद्दों को लेकर उनसे न आंख झुकाकर बात करते हैं, न आंख उठाकर, बल्कि आंख में आंख डालकर और आंख मिलाकर बात करते हैं।’ कम शब्दों में कहें तो मोदी की यह प्रचंड जीत भारत सरकार के साथ-साथ देश के लोगों के लिए एक शुभ संकेत है।