गुरुवार शाम, जब मैने राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह देखा, तो कैबिनेट गठन के संबंध में मैने महसूस किया कि इतिहास ने एक नया मोड़ लिया है।
वो दिन अब खत्म हो चुके हैं जब मंत्री बनने के लिए जबरदस्त पैरवी की जाती थी। ऊंचे औहदे पाने के लिए नए सांसद उद्योगपतियों, वरिष्ठ नेताओं और यहां तक की पत्रकारों की मदद लेते थे। इस बार ऊंचे औहदे के लिए एक भी सांसद या मंत्री ने पैरवी नहीं की है और न ही किसी ने अपनी सिफारिश आगे बढ़ाने की कोशिश की है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री को छोड़ एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो यह जानता होगा कि किसे कौन सा विभाग मिल रहा है।
पिछले 45 वर्षों से मैं राजनीति का बहुत बारीकी से विश्लेषण करता आया हूं, लेकिन इस तरह का असमंजस मैनें कभी नहीं देखा। विभागों के बटवारे को लेकर जो भी अटकलें लगाई जा रही थीं, बाद में वह सभी गलत साबित हुईं।
जमीनी हकीकत यह है कि दिल्ली की सत्ता के गलियारों में बैठे पैरवी करने वाले लोग अब बेरोजगार हो गए हैं, इसके लिए एक व्यक्ति का धन्यवाद किया जाना चाहिए और वह प्रधानमंत्री मोदी हैं। हालांकि इसका असली श्रेय देश के मतदाताओं को जाता है जिन्होंने मोदी को एक मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में भारी जनादेश दिया। आने वाले 5 वर्षों में सभी को इसका परिणाम देखने को मिलेगा।
सबसे बड़ा आश्चर्य भारत के विदेश मंत्री के रूप में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर का शामिल होना था। एस जयशंकर जब मोदी के साथ बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप, ब्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग जैसे नेताओं से मुलाकात के दौरान जाते थे तो मोदी ने उनके काम प्रशंसा की थी। मोदी ने उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त किया है क्योंकि वह चुपके से काम करके निकल जाते हैं, दायरे से हटकर सोचते हैं और बड़े रणनीतिकार हैं। अमेरिका के साथ भारत के कई बड़े व्यापारिक मुद्दे हैं और मोदी के रहते भारत को अमेरिका, चीन, जापान, रूस और अन्य शक्तियों के साथ मजबूत रिश्ते बनाने हैं। मोदी क्योंकि पहले ही विश्व के महान नेताओं के समूह में हैं और उन्हें वैश्विक मामलों से जुड़े मुद्दों पर सहयोग के लिए जयशंकर जैसे व्यक्ति की जरूरत है। भारत को अगर विश्व शक्ति बनना है तो जयशंकर जैसे क्षमतावान रणनीतिकारों और राजनयिकों की जरूरत होगी।
जो लोग सोचते हैं कि वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के मुकाबले निर्मला सीतारमण खराब विकल्प साबित होंगी वह गलत साबित होने वाले हैं। वे उनकी क्षमता के बारे में ज्यादा नहीं जानते। उन्होंने रक्षा मंत्रालय संभाला और मनोबल के साथ प्रदर्शन दिखाया। उन्होंने राफेल डील पर राहुल गांधी के आरोपों का संसद में दृढ़ता के साथ जवाब दिया। उस दौरान अरुण जेटली ने उनको कई अच्छे मशविरे दिए।
जहां तक वित्त मंत्रालय का सवाल है, उन्होंने पहले भी वाणिज्य और कंपनी मामलों के मंत्रालय संभाले हैं, आपको याद होगा कि अरुण जेटली, जो फिलहाल उपचार से ठीक हो रहे हैं, ने घर में रहते हुए भी प्रधानमंत्री को लिखा तथा पार्टी और सरकार को मदद की पेशकश की। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुझे कई लोगों ने बताया कि वे जेटली की कमी महसूस कर रहे हैं, लेकिन जहां तक मैं जानता हूं, वे बेकार घर पर बैठने वाले व्यक्ति नहीं हैं। यहां तक की डॉक्टरों ने अगर उनको पूरा आराम करने की सलाह दी भी होगी, तो भी वे सक्रिय रहने वाले हैं। और निर्मला सीतारमण को चिंता करने की कोई बात नहीं है।
अन्य मंत्रियों को लेकर मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मोदी ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा नए प्रयोग करते रहते हैं, नए विचार रखते हैं और नए व्यक्तियों को नई चुनौतियां लेने का मौका देते हैं। सामान्य तौर पर बड़े नेता इस तरह जोखिम नहीं उठाते, लेकिन मोदी पूरी तरह से अलग हैं। मोदी उन मंत्रियों को काम सौंपते हैं जिनके बारे में उनका मानना है कि वे प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसी संभावना थी कि मोदी बंगाल के सांसदों में से ज्यादा मंत्री बना सकते हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर क्योंकि पहली बार सांसद बने हैं, ऐसे में वह चाहते हैं कि वे लुटियंस जोन में कामकाज के तरीके को पहले समझें। (रजत शर्मा)