संसद में मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया और लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर बहस की अनुमति दे दी। बहस के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से बाद में जब संवाददाताओं ने पूछा कि क्या उन्हें भरोसा है कि सरकार को गिराने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या है। उनका जवाब भी सवाल के रूप में था। उन्होंने कहा, कौन कहता है कि हमारे पास संख्या नहीं है? ये कोई नहीं जानता कि किस आधार पर सोनिया गांधी ने ऐसा कहा लेकिन संख्या तो अपनेआप में बोलती है।
543 सदस्यों के सदन में मौजूदा समय में10 सीट खाली है और बहुमत के लिए 264 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 273 सांसद हैं और अगर उनके सहयोगियों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या 313 हो जाती है। शायद कांग्रेस को लगता था कि एनडीए के सहयोगी दल खास तौर पर शिवसेना बीजेपी से नाराज है और मुख्य सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी एनडीए छोड़ चुकी है। कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को शर्मिंदा करना चाहती थी जिससे पूरी दुनिया को यह पता चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो बहुमत 2014 में मिला था वह अब उनके साथ नहीं है। संभवत: कांग्रेस नेताओं को यह पता नहीं था कि पिछले दिनों में अमित शाह ने NDA के सभी साथी दलों से बात करके अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है और सत्तारूढ़ दल इसको लेकर चिंतित नहीं है।
इसमें कोई शक नहीं है कि अविश्वास प्रस्ताव फेल हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से विपक्ष की एकता का टेस्ट जरूर होगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी सरकार के खिलाफ उठाए जा रहे सभी सवालों और आलोचनाओं का जवाब देने का मौका मिलेगा।(रजत शर्मा)