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Rajat Sharma’s Blog: मोदी के शब्द और आंसू लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं

जो लोग मोदी को करीब से नहीं जानते उन्हें मंगलवार को मोदी की आंखों में आंसू देखकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन मैं अच्छे से जानता हूं कि मोदी ऊपर से जितने सख्त दिखते हैं, दिल के उतने ही नरम हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : February 10, 2021 17:22 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

संसद में मंगलवार को राजनीति का वह चेहरा देखने को मिला जिसका मुझे हमेशा इंतजार रहता है। इस दिन देश के सबसे बड़े नेता ने विरोधी दल के नेता को विदाई देते हुए उनकी संवेदना को याद करके आंसू बहाए।

मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की विदाई का दिन था। उनके लिए दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 साल पहले श्रीनगर में हुए एक आतंकवादी हमले को याद किया, जब आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। आतंकवादियों ने गुजरात के पर्यटकों को ले जा रही एक बस पर ग्रेनेड फेंका था, जिसमें 4 पर्यटकों की मौत हो गई थी।

मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी ने मंगलवार को कहा, ‘इस घटना के बाद सबसे पहले गुलाम नबी जी ने मुझे फोन किया था। उस फोन कॉल के दौरान वह लगातार रोते रहे। आजाद जी और प्रणब जी ने घटना में मारे गए लोगों के शवों को सेना के विमान से भेजने के लिए जितने प्रयास किए थे, वह मैं कभी नहीं भूलूंगा।’ आजाद उस दौरान खुद एयरपोर्ट गए थे, हमले में अपने लोगों को खो चुके परिवारों से उन्होंने हाथ जोड़कर माफी मांगी थी और और प्लेन के गुजरात पहुंचने तक मोदी के संपर्क में रहे।

जब आजाद ने बताया कि कैसे उन्होंने मोदी को फोन किया और उनसे कहा कि वह हमले में मारे गए बच्चों के मां-बाप का सामना आखिर कैसे करेंगे, तो उनकी आंखों में आंसू थे। आजाद ने कहा, ‘वे यहां घूमने-फिरने के लिए आए थे और मैं उनके परिजनो की लाशों को वापस भेज रहा हूं।’

मोदी ने कहा, ‘उनके (आजाद) आंसू नहीं रुक रहे थे, उन्होंने मुझसे परिवार के किसी सदस्य की तरह बात की। सत्ता आती और जाती है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसे पचाना आता है। एक मित्र के रूप में घटना और अनुभवों के आधार पर मैं उनका आदर करता हूं।’ जब दोनों नेता भावनाओं से भरे हुए ये भाषण दे रहे थे तो पूरा सदन खामोश होकर सुन रहा था। सदन के सदस्य मोदी और आजाद की स्नेह भरी बातें सुनकर मेजें थपथपा रहे थे।

जो लोग मोदी को करीब से नहीं जानते उन्हें मंगलवार को मोदी की आंखों में आंसू देखकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन मैं अच्छे से जानता हूं कि मोदी ऊपर से जितने सख्त दिखते हैं, दिल के उतने ही नरम हैं और काफी इमोशनल हैं। जब बात जिम्मेदारी की हो, जब बात ड्यूटी की हो. तो मोदी सख्त प्रशासक होते हैं। लेकिन जब बात रिश्तों की हो, जनता के दुख दर्द की हो तो मोदी भावुक हो जाते हैं। मैंने कई बार उनकी आंखों में आंसू देखे हैं। बहुत-सी ऐसी घटनाएं हैं जब मैंने उन्हें भावुक होते हुए देखा है।

मंगलवार को आजाद की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि कि गुलाम नबी आजाद भले ही सदन से रिटायर हो गए हों, लेकिन वह देश की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे। मोदी ने कहा, ‘वह भले ही राज्यसभा के मेंबर न रहें, लेकिन प्रधानमंत्री के घर के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले रहेंगे।’

मैं नरेंद्र मोदी को पिछले 40 साल से जानता हूं, और गुलाम नबी आजाद को भी तब से जानता हूं जब वो यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे और मैं एक रिपोर्टर था। अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि ये दोनों नेता भले ही सियासत के कितने भी चतुर खिलाड़ी हों, लेकिन जब आपसी रिश्तों की बात आती है तो दोनों हमेशा दिल हारने को तैयार रहते हैं। दोनों भावनाओं से भरे हैं, नरम दिल के हैं और दूसरों को कष्ट में नहीं देख सकते।

कुछ लोग यह कह सकते हैं कि मोदी को इस तरह राज्यसभा में सार्वजनिक रूप से आंसू नहीं बहाने चाहिए थे, क्योंकि रोना कमजोरी की निशानी है। लेकिन मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री भी तो इंसान हैं, उनमें भी भावनाएं  हैं और जब भावनाओं के समंदर में ज्वार उठाता है तो उसका बह जाना ही ठीक है। जब मंगलवार को मोदी के आंसू निकले तो इससे देश को कम से कम ये तो पता लगा कि उनका नेता निश्छल है, उसके सीने में भी एक दिल धड़कता है। देश के लोग यह तो जान गए कि उनका नेता विरोधियों का सम्मान करना, और व्यक्तिगत रिश्तों को निभाना जानता है। वह विरोधियों की तीखी आलोचना भूलना जानता है, और जो देश के लिए अच्छा है उसे डंके की चोट पर अच्छा कहना जानता है।

यही हमारे देश के लोकतन्त्र की ताकत है, यही मजबूती है। यहां विरोध का मतलब व्यक्तिगत दुश्मनी या बैर नहीं है। सब के लिए लोकतंत्र पहले है, देश पहले है। इसीलिए मंगलवार को गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह मुसलमान हैं, पक्के मुसलमान हैं और उन्हें फक्र है कि वह हिन्दुस्तानी मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में मुसलमानों के लिए हिंदुस्तान से बेहतर, हिंदुस्तान से महफूज कोई और जगह नहीं है। आजाद ने कहा, ‘पाकिस्तान की हालत देखता हूं तो मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि पाकिस्तान नहीं गया। अपने हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर फख्र होता है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा गर्व हिंदुस्तानी मुसलमान को होना चाहिए। मुस्लिम देशों की हालत खराब हो रही है। वे आपस में ही लड़कर खत्म हो रहे हैं।’

जो लोग देश में मुसलमानों को भड़काने की कोशिश करते हैं, मुसलमानों को डराने की कोशिश करते हैं, उन्हें गुलाम नबी आजाद की ये बात बार-बार सुननी चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह जम्मू के उस इलाके से आते हैं जहां मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन उन्हें इस बात का गर्व है कि स्टूडेंट पॉलिटिक्स के टाइम से ही उन्हें हिंदू कश्मीरी पंडितों के 100 प्रतिशत वोट मिले। गुलाम नबी ने कहा कि लेकिन जब जब वह कश्मीरी पंडितों के दर्द के बारे में सोचते हैं, पुराने दिनों को याद करते हैं तो बहुत तकलीफ होती है। वह चाहते हैं घाटी में दहशतगर्दी का खात्मा हो, उजड़े आशियाने फिर बसें और विस्थापित कश्मीरी पंडित फिर अपने घरों को वापस लौटें।

गुलाम नबी आजाद सच्चे देशभक्त हैं। जब वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे, तब मैंने उन्हें आंतकवाद का बड़ी हिम्मत से मुकाबला करते हुए देखा है। मुझे याद है कि एक दिन मैं श्रीनगर में उनके घर पर था। हम लंच करने के लिए टेबल पर बैठे ही थे कि फोन पर आतंकवादी हमले की खबर मिली। हम दोनों ने अपना खाना छोड़ा और वहां पहुंचे जहां एनकाउंटर हुआ था। मैं उनके साथ खड़ा था और वह पुलिसवालों से घटना के बारे में जानकारी ले रहे थे कि तभी अचानक गोलियों की आवाज आई। पता चला कुछ आंतकवादी पास की बिल्डिंग में छुपे हुए थे। सिक्यॉरिटी वालों ने लगभग जबरदस्ती करके आजाद को गाड़ी में बैठाया और हमें वहां से जाने के लिए कहा। आजाद ने उनसे कहा कि आप अपना काम करें, लेकिन कोई दहशतगर्द बचना नहीं चाहिए। उन्होंने पुलिस वालों से कहा, ‘मैं आपके साथ चट्टान की तरह खड़ा हूं।’

मैं आज भी वह मंजर याद करता हूं तो आजाद को सलाम करने को जी चाहता है। आजाद जैसे नेताओं ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए संघर्ष किया और पिछले 6 साल में नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों के सीने में मौत का खौफ भर दिया है। घाटी के हालात में बड़ा बदलाव आया है, और राज्यसभा में इस बात की तारीफ किसी और ने नहीं बल्कि महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद ने की। मीर मोहम्मद फैयाज ने उज्ज्वला और विकास की अन्य योजनाओं को जम्मू-कश्मीर में लाने के लिए केंद्र सरकार की तरीफ की। उन्होंने इस बात की भी तारीफ की कि केंद्र सरकार के मंत्रियों ने कश्मीर के किसी काम के लिए मना नहीं किया। उन्होंने कहा, कश्मीर में अब तरक्की आ रही है और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियो को विभिन्न योजाओं के लिए ज्यादा फंड मिल रहा है।

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने पर बेहद कड़ी चेतावनी देते हुए ठीक विपरीत बात कही थी। उन्होंने तब कहा था कि अगर आर्टिकल 370 हटा तो कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा और खून की नदियां बह जाएंगी। पर आज कश्मीर में विकास की लहर दिखाई दे रही है। आज 4G इंटरनेट सर्विस वापस आ गई है, स्कूल और कॉलेज खुलने लगे हैं, अस्पताल और सड़कें बेहतर हालत में हैं। लोगों को बिजली-पानी मिले, रोजगार मिले, इस दिशा में काम शुरू हो चुका है।

सबने माना कि कश्मीर में डिवेलपमेंट काउंसिल के चुनावों में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई, और अब कश्मीर में जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत देखने को मिल रही है। मुझे पूरा यकीन है कि अब वह दिन भी जल्दी ही आएगा जब कश्मीर के नौजवानों के एक हाथ में राइफलों की जगह लैपटॉप होंगे, कश्मीरी पंडित बेखौफ होकर अपने घर लौट सकेंगे और कश्मीर के मंदिरों में घंटियों की गूंज सुनाई देगी। तब कश्मीर के लोगों को इस बात पर गर्व होगा कि वे हमारे महान देश का हिस्सा हैं। पूरे हिंदुस्तान को उस दिन का इंतजार है और मुझे यकीन है कि वह दिन जल्दी आएगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 09 फरवरी, 2021 का पूरा एपिसोड

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