प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के आसपास की गैर-विवादित जमीन उनके सही मालिकों को वापस करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एक बड़ा राजनीतिक दांव चला है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण युद्धस्तर पर कराए जाने की मांग को लेकर उनकी सरकार पर खासतौर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनसे जुड़े संगठनों की तरफ से लगातार दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मूल विवाद की सुनवाई में हो रही देरी के बीच केंद्र सरकार ने यह याचिका दाखिल कर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने की कोशिश की है। केंद्र सरकार के इस कदम से खासतौर से साधु समाज और विश्व हिंदू परिषद के समर्थक खुश हैं। कांग्रेस, एसपी और बीएसपी समेत लगभग पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर मौन है, क्योंकि उन्हें डर है कि वे अगर कुछ बोले तो उन्हें राम भक्तों के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ही वार में अपने आलोचकों को कड़ा जवाब दिया है जो राम मंदिर शीघ्र बनाने की लगातार मांग कर रहे थे। सरकार जिस 67 एकड़ जमीन को उसके मालिकों को वापस करने की बात कर रही है, उसमें से 42 एकड़ से ज्यादा जमीन श्रीराम जन्मभूमि न्यास की है। इस पर मंदिर का निर्माण कार्य आसानी से शुरू किया जा सकता है। इससे भगवान राम की जन्मभूमि वापस करने की हिंदुओं की सदियों पुरानी मांग और आकांक्षाएं पूरी होंगी।
राम मंदिर के निर्माण से भाईचारे और सामाजिक सौहार्द के एक नए युग का सूत्रपात होगा, और यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी अनुकूल रहा तो सदियों पुराना अयोध्या विवाद, इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह जाएगा। गुजरात के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा राम मंदिर के मॉडल पर पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे हैं, और उनके बेटे निखिल सोमपुरा बतौर आर्किटेक्ट मंदिर की जरूरतों के मुताबिक पत्थरों को काटने और पॉलिशिंग का काम देख रहे हैं।
मंदिर निर्माण के प्लान के अनुसार राम मंदिर के बाहरी घेरे में लक्ष्मण मंदिर, हनुमान मंदिर और गणेश मंदिर के निर्माण का काम शुरू कराया जा सकता है। केंद्र सरकार की याचिका के मुताबिक 0.313 एकड़ जमीन, जिसमें बाबरी मस्जिद के तीन गुंबद थे, वही विवादित जगह है जिसपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत भारतीय इतिहास की एक युगांतरकारी घटना होगी। आजादी के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा गुजरात में सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के बाद कभी ऐसा उत्साह अपने चरम पर देखने को नहीं मिला। यह सदियों से अन्याय पर न्याय की बहाली का क्षण होगा। यह विसंगति पर आस्था की जीत और नकारात्मक वृत्तियों पर भारत के लोगों की प्रभुसत्ता की प्रधानता होगी। (रजत शर्मा)
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