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Rajat Sharma Blog: लोकसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकता है मोदी का अंतरिम बजट

पांच लाख प्रतिवर्ष आमदनी वालों के लिए कोई 'इनकम टैक्स नहीं' की घोषणा निश्चित तौर पर इन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले श्रमिकों....

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: February 02, 2019 19:31 IST
Rajat Sharma Blog, Modi's interim budget - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Modi's interim budget could become a game changer for LS polls

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव पूर्व अंतरिम बजट शुक्रवार को संसद में पेश किया गया और यह बजट आगामी अप्रैल-मई महीने में होनेवाले लोकसभा चुनावों के दौरान बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। इस बजट में उन्होंने 12 करोड़ लघु और सीमांत किसानों, 3 करोड़ मध्यम वर्गीय आयकर दाताओं, असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले 30 करोड़ श्रमिकों और छोटे व्यापारियों को राहत दी है।

 
वित्त मंत्री पीयूष गोयल जब सदस्यों की जोरदार तालियों के बीच अपना बजट भाषण पढ़ रहे थे उस समय राहुल गांधी को नजरअंदाज कर पाना मुश्किल था जो कि उदास मुद्रा में गाल पर हाथ धरे बैठे हुए नजर आए। पूरे विपक्ष में उस वक्त सन्नाटा पसरा था जब सत्तारूढ़ दल के सांसद 'मोदी-मोदी' के नारे लगा रहे थे, ऐसा आम तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में सुना जाता है।
 
कहने को तो यह अंतिरम बजट था लेकिन पीयूष गोयल ने करीब-करीब पूरा बजट पेश कर दिया जो मोदी सरकार का अगले दस साल तक का रोड मैप है।
 
बजट में सबसे बड़ी राहत मध्यम वर्ग के आयकर दाताओं को दी गई जिनकी सालभर की टैक्स योग्य आमदनी पांच लाख या इससे कम है। इन लोगों को एक रूपए का भी टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। इस बजट में दूसरी बड़ी राहत छोटे किसानों को दी गई है जिनके पास 5 एकड़ तक जमीन है। इन लोगों को सरकार प्रतिवर्ष तीन किश्तों में कुल 6000 रुपये देगी। यह रकम सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराई जाएगी और इसे दिसंबर 2018 से लागू माना जाएगा। 
 
तीसरी बड़ी सौगात असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले श्रमिकों के लिए है, जिन्हें 60 साल की उम्र पूरी करने के बाद प्रतिमाह तीन हजार रुपये की पेंशन दी जाएगी। चौथी बड़ी सौगात फिक्सड डिपॉजिट पर टीडीएस की सीमा अब 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दी गई है। अब तक दस हजार रूपए तक के ब्याज पर टीडीएस नहीं कटता था। इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए बजट में 1 लाख 70 हजार करोड़ और रोजगार गारंटी स्कीम के तहत शुरू की गई मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है।
 
छोटे किसानों को प्रतिवर्ष दिए जानेवाले 6 हजार रुपये की पूरी फंडिंग केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। किसानों के बारे में कहा जाता है कि हाल के दिनों में वे मोदी सरकार से नाराज रहे और यह भी एक वजह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार हुई। सरकार के इस बजटीय प्रावधान से किसानों का गुस्सा काफी हद तक कम होने की उम्मीद है। पीयूष गोयल के मुताबिक इस योजना के तहत 2 हजार रूपए की पहली किश्त 31 मार्च से पहले किसानों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
  
ठीक इसी तरह मध्यम वर्ग के बारे में भी ऐसा कहा जाता था कि वे हाल के दिनों में, खासतौर से नोटबंदी और जीएसटी के बाद मोदी सरकार से नाराज थे। अब पांच लाख प्रतिवर्ष आमदनी वालों के लिए कोई 'इनकम टैक्स नहीं' की घोषणा निश्चित तौर पर इन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले श्रमिकों की पिछली सरकारों ने काफी उपेक्षा की थी और अब तीन हजार रुपये प्रति माह पेंशन, इस वर्ग के लोगों के लिए बड़ी राहत होगी।
 
पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को जिस तरह से चलाया, यदि हम इसका विश्लेषण करें तो ये कह सकते है कि व्यापार में बड़े लेवल पर रिश्वतखोरी बंद हुई। लाइसेंस, कॉन्ट्रैक्ट और रूटीन परमीशन देने में भेदभाव बंद हुआ। सरकार की योजनाओं में छोटे स्तर पर पैसा सीधे बैंक में ट्रांसफर होने लगा और लीकेज कम हुई। पिछले साढ़े चार साल में महंगाई को नियंत्रण में रखा गया।
 
ये सवाल भी उठे कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था कमजोर हुई, लेकिन दुनिया के बड़े अर्थशास्त्री भी यह मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। रेल, रोड और एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो काम हुआ है वह काफी प्रोत्साहित करनेवाला है।
 
हालांकि एक सवाल अब भी ऐसा है जिसका जवाब दिया जाना बाकी है कि मोदी सरकार लाखों बेरोजगार युवाओं को नौकरियां देने में विफल क्यों रही। लेकिन अगर पूरी तस्वीर पर नजर डालें और ओवर ऑल परफॉर्मेंश देखें तो पांच साल में बैंक मजबूत हुए, छोटे कारोबारियों को मुद्रा योजना के तहत लोन दिए जा रहे हैं, नए बिजनेस शुरू हुए, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर मजबूत हुआ, बड़े पैमाने पर जो भ्रष्टाचार चल रहा था उसमें कमी आई या खत्म हुआ है। इस तरह कुल मिलाकर पीएम मोदी के शासन की ये मुख्य आर्थिक उपलब्धियां रही हैं। चुनाव पूर्व इस बजटीय सौगातों के राजकोषीय प्रबंधन की नींव रखने का श्रेय निश्चित रूप से अरुण जेटली को जाता है जो पिछले साढ़े चार साल से वित्त मंत्रालय की कमान संभाल रहे हैं। सर्जरी के लिए अमेरिका जाने से पूर्व उन्होंने मौजूदा अंतरिम बजट के लिए काफी मेहनत की। सर्जरी के बाद वे स्वस्थ हैं और अगले सप्ताह वापस लौटेंगे। (रजत शर्मा)

देखें, आज की बात, रजत शर्मा के साथ 1 फरवरी 2019 का पूरा एपिसोड

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