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Rajat Sharma’s Blog: मोदी के 20 लाख करोड़ के ऐतिहासिक पैकेज से एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण जरूर होगा

मोदी का एक आत्मनिर्भर भारत का सपना जरूर पूरा होगा, यदि हमें अपने ऊपर यकीन हो, अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व के पर भरोसा हो।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: May 13, 2020 16:31 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम अपने संबोधिन में 20 दिनों के लॉकडाउन के दौरान जाम हो चुकी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जो कि जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का आह्वान करते हुए, पीएम मोदी ने भूमि (Land), श्रम (Labour), पूंजी (Liquidity) और कानूनी ढांचे (Legal Frameworks) पर केंद्रित नए सुधारों का वादा किया जो, प्रधानमंत्री के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।

मोदी ने कहा, इन सुधारों में खेती से जुड़ी पूरी आपूर्ति श्रृंखला में सुधार, युक्तिसंगत कर प्रणाली, सरल और स्पष्ट नियम कानून, सक्षम मानव संसाधन और एक मजबूत फाइनैंशियल सिस्टम शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस पैकेज को कुटीर उद्योगों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, श्रमिकों, मध्यम वर्ग और इंडस्ट्री की मदद के लिए डिजाइन किया गया है। केंद्र ने लॉकडाउन लागू होने के बाद 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों में कटौती के अलावा उधारकर्ताओं की मदद करने और लिक्विडिटी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शरू की थीं।

मोदी ने कहा कि लॉकडाउन 4.0 पूरी तरह से अलग होगा और इसमें नए नियम होंगे। मोदी का एक आत्मनिर्भर भारत का सपना जरूर पूरा होगा, यदि हमें अपने ऊपर यकीन हो, अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व के पर भरोसा हो। हमारे पास सारी क्षमता है, मौके भी हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए दुनिया को भारत की जरूरत भी है। इस समय पूरी दुनिया चीन से नाखुश है और वह उसकी सरकार को शक की निगाह से देख रही है। 200 से भी ज्यादा अमेरिकी कंपनियां चीन से बाहर निकलना चाहती हैं। इटली और इस्राइल की कंपनियां भी चीन छोड़ना चाहती हैं।

यदि भारत उनका सपोर्ट करता है, अच्छा माहौल देता है, 'टैक्स टेररिज्म' से बचाता है, लेबर रिफॉर्म का रास्ता देता है, तो ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां निश्चित रूप से भारत में अपने प्लांट लगाएंगी। उन्हें यहां पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल, सस्ती मैन पावर और जमीन उपलब्ध होगी, बशर्ते हमारी नौकरशाही से लालफीताशाही का खात्मा हो जाए, श्रम कानूनों को बदल दिया जाए और उच्च गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जाए। मोदी के पास संकट को चुनौती देने की क्षमता है और मुझे विश्वास है कि वह अपने उद्देश्य को प्राप्त करेंगे। मोदी निश्चित रूप से विदेशी कंपनियों को लालफीताशाही से बचाएंगे और सिंगल क्लीयरेंस विंडो सिस्टम डिवेलप करेंगे।

आम तौर पर बड़े विदेशी निवेशक ऐसा कभी नहीं कहेंगे, लेकिन कठोर जमीनी हकीकत यही है कि अतीत में ऐसे मामले सामने आए हैं, जब हमारी अदालतों में मुकदमे चले, पूरा कानून ही बदल गया और विदेशी कंपनियों के निवेश और उनके द्वारा तैयार किए गए बड़े बुनियादी ढांचे बेकार हो गए। जब लाइसेंस अचानक रद्द कर दिया जाता है, अनुबंध बदल दिए जाते हैं, तो कंपनियां सरकार पर भरोसा खो देती हैं। मोदी उस भरोसे को फिर से बनाना चाहते हैं। न सिर्फ सरकार बल्कि भारतीय कंपनियां भी इस भरोसे का पुनर्निर्माण कर सकती हैं।

मैं साफ-साफ कहता हूं। यदि हम दुनिया के साथ बिजनस करना चाहते हैं, तो हमें जल्दी पैसा कमाने और क्वॉलिटी से समझौता करने की अपनी आदत बदलनी होगी। क्वॉलिटी दुनिया के सबसे मशहूर ब्रैंड्स की पहचान रही है और वे ऐसे प्रॉडक्ट्स देते हैं जिनपर भरोसा किया जा सकता है। जब वे भारतीय व्यापारियों के साथ डील करते हैं, तो वे समान पारस्परिक विश्वास की अपेक्षा करते हैं। हम भारत में ऐसा कर सकते हैं। यह हमारी सदियों पुरानी परंपरा, हमारी 'संस्कृति' का हिस्सा है।

बचपन से हमने सुना है कि व्यापार हमेशा भरोसे पर चलता है। हमें उस भरोसे को वापस लाना होगा ताकि दुनिया यह कह सके कि जब भारतीय व्यापारी कोई वादा करते हैं, तो वे बगैर कोई गोलमाल किए उसे पूरा भी करते हैं। भरोसे का यह स्तर हाल के वर्षों में बढ़ा है और मुझे विश्वास है कि यह दुनिया के निवेशकों को भारत लाने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा।

हमें विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे, संचार, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सड़कों और शिपिंग में सुधार करना होगा, ताकि वे यहां आकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान कर सकें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक बार जब भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी मोदी द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज के सहारे चलना शुरू कर देगी, तो यह उन लाखों श्रमिकों के रिवर्स माइग्रेशन को गति देगा, जो अपने मूल स्थानों पर लौटने के लिए शहरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे।

देशव्यापी लॉकडाउन के 50 दिनों के बाद अब अर्थव्यवस्था की गाड़ी को चलना ही चाहिए। सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों को फिर से काम शुरू करना होगा और साथ ही डिमांड एवं सप्लाई के संतुलन को ठीक करना होगा। कोरोना वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और हम सभी को सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करना जारी रखना होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 मई, 2020 का पूरा एपिसोड

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