प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आक्रामक अंदाज में हमेशा बेहतर नजर आते हैं। जब देशभर में 91 लोकसभा सीटों पर पहले दौर का मतदान चल रहा था, प्रधानमंत्री मोदी असम में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'जिस तरह से हवाएं चल रही हैं, उसे आपके उत्साह से देखा जा सकता है। आज देश के कुछ हिस्सों में पहले दौर की वोटिंग हो रही है। मुझे अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 'फिर एक बार मोदी सरकार' की जबर्दस्त लहर नजर आ रही है'
पीएम मोदी ने संकेत दिया कि उनकी सरकार सत्ता बरकरार रखेगी और उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि नागरिक (संशोधन) विधेयक और ट्रिपल तालक को खत्म करनेवाला कानून संसद में पारित हो।
पीएम मोदी के दावे के अलावा आइये यह देखें कि गुरुवार को मतदान के पहले दिन क्या हुआ था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 8 सीटों पर मतदान के दौरान हिंदू और मुसलमानों के बीच ध्रुवीकरण नजर आ रहा था। यह ध्रुवीकरण राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख अजीत सिंह के लिए समस्या बन सकता है, जो कि मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
कई निर्वाचन क्षेत्रों में बहुजन समाजवादी पार्टी के कट्टर मतदाता अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह 'हाथी' को खोज रहे थे जबकि महागठबंधन की तरफ से यह सीट राष्ट्रीय लोकदल को दी गई है, जो कि एसपी-बीएसपी गठबंधन का एक हिस्सा है। साफ है कि महागठबंधन के संदेश को जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचाया गया। इसके अलावा, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए साफ-साफ कहा कि मुसलमान कांग्रेस को वोट नहीं दें। सारे मुसलमान महागठबंधन को जिताने का काम करें।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 13 और पूरे देश में लोकसभा की 50 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी तीस प्रतिशत से ज्यादा है। 38 सीटें ऐसी हैं जहां पर 21 से 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं।
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर जीत हासिल की थी, लेकिन उस समय कांग्रेस और एनसीपी ने हाथ नहीं मिलाया था। इस बार कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन को कड़ी चुनौती दे रहा है।
पहले दौर के मतदान में सबसे आश्चर्यजनक जो चीज रही वो कश्मीर घाटी का चुनाव है। नियंत्रण रेखा से सटे आतंकवाद से प्रभावित इस इलाके में करीब 35 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया। मैं पहले से ही कहता आ रहा हूं और यह अब साबित भी हो गया कि घाटी में आम आदमी शांति और विकास चाहता है।
अपना वोट डालकर कश्मीरियों ने उन नेताओं को दो टूक जवाब दे दिया है जो दो प्रधानमंत्री और दो संविधान की मांग कर रहे थे। घाटी के लोग अच्छी सड़कें, बिजली चाहते हैं और युवा शिक्षा और रोजगार चाहता है। घाटी के जिन नेताओं का झुकाव अलगाववादियों की तरफ है, अभी समय है कि उन्हें जनता की नब्ज को समझना चाहिए।
कुल मिलाकर अभी यह कहना मुश्किल है कि कौन सी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्राप्त करने के इस दौड़ में अव्वल रहेगी। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात रजत शर्मा' के साथ, 11 अप्रैल 2019 का पूरा एपिसोड