केंद्र सरकार ने मंगलवार की आधी रात एक नाटकीय ऑपरेशन में सीबीआई के नंबर वन और नंबर दो अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया और संयुक्त निदेशक को अंतरिम निदेशक नियुक्त करते हुए सीबीआई के 13 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया। यह कार्रवाई केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की तरफ से सरकार को भेजी गई शिकायत के बाद की गई जिसमें कहा गया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सीवीसी के कामकाज में बाधा खड़ी की जा रही है। वर्मा के खिलाफ विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने सीवीसी में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी।
केंद्र सरकार ने इस मामले में जो फैसला लिया वो देर से लिया लेकिन यह सही और उचित फैसला था। एक ही वार में सीबीआई के दो सबसे बड़े अफसरों को हटा दिया गया जो पिछले एक साल से आपसी लड़ाई में उलझे हुए थे। सीबीआई निदेशक के खिलाफ सीवीसी की रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर रेखांकित किया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। मंगलवार तक पीएमओ को यह लगता था कि ये अफसरों का झगड़ा है, हम इसमें क्यों पड़ें। अगर हम इसमें हाथ डालेंगे तो मुसीबत हमारे सिर आ जाएगी। लेकिन जब पानी सिर से गुजर गया तो हाथ-पांव चलाने पड़े। मंगलवार रात जैसे ही सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट दी, सरकार तुरंत हरकत में आई और दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया।
यह साफ संकेत है कि केंद्र सरकार ऐसी कार्रवाई अन्य जांच एजेंसियों पर भी कर सकती है, जहां इस तरह के विवाद हो रहे हों। जहां तक विपक्ष का सवाल है तो कल तक जो लोग कह रहे थे कि सीबीआई में इतना झगड़ा हो रहा है और मोदी जी चुप हैं...कुछ करते क्यों नहीं? ..अब जबकि उन्होंने सर्जिकल ऑपरेशन कर दिया है तो कह रहे हैं कि क्यों किया? इस सवाल का जवाब आप खुद जान सकते हैं कि क्यों किया होगा.. इसमें विस्तार से जाने की जरूरत नहीं है। (रजत शर्मा)