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Rajat Sharma Blog: जम्मू-कश्मीर के विलय पर धमकी भरे बयान देकर आग से खेल रही हैं महबूबा

अरूण जेटली ने बिल्कुल साफ कर दिया कि अनुच्छेद 35 ए और 370 का 1947 में आजादी के वक्त कश्मीर के भारत में विलय से कोई लेना देना नहीं हैं। ये दोनों अनुच्छेद बाद में जोड़े गए।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : April 04, 2019 18:58 IST
Rajat Sharma Blog: Mehbooba is playing with fire by making threatening remarks on J&K's accession
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Mehbooba is playing with fire by making threatening remarks on J&K's accession

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और जेकेपीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि कश्मीर का 'भारत के साथ संबंध खत्म' हो जाएगा, अगर राज्य को विशेष दर्जा और विशेष अधिकार प्रदान करनेवाले संविधान के अनुच्छेद 35 ए और 370 को हटा दिया जाता है। 

 
महबूबा का यह बयान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान के मद्देनजर आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान के 'दो अनुच्छेद अभी भी हमारे मुद्दे हैं। हमें संसद में पूर्ण बहुमत की जरूरत है। 2020 तक हमारे पास (राज्यसभा में) बहुमत होगा।'

अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा: 'अगर ऐसा कुछ होता है तो 2020 ही जम्मू-कश्मीर के राष्ट्र में विलय का आखिरी वर्ष होगा। अगर आप उन नियमों और शर्तों को हटा देते हैं जिसपर जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ, तो हमारा इस देश के साथ रिश्ता भी खत्म हो जाएगा।'

बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने महबूबा की टिप्पणी को 'बेतुका' बताते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना रहेगा, भले ही अनुच्छेद 35 ए और 370 के बारे में कुछ भी हो। अरूण जेटली ने बिल्कुल साफ कर दिया कि अनुच्छेद 35 ए और 370 का 1947 में आजादी के वक्त कश्मीर के भारत में विलय से कोई लेना देना नहीं हैं। ये दोनों अनुच्छेद बाद में जोड़े गए। 

''1947 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा द्वारा विलय के जिस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया गया वह अन्य रियासतों के भारतीय संघ में विलय से अलग प्रक्रिया नहीं थी। कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार दिए जाएंगे, ये बाद में तय हुआ। अनुच्छेद 370 वर्ष 1950 में अस्तित्व में आया और अनुच्छेद 35ए का संविधान में प्रावधान 1954 में किया गया। इससे स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के लिए ये जरूरी शर्तें नहीं थी।'' 
 
जेटली ने कहा: 'प्रादेशिक अखंडता राष्ट्र की मूल संरचना का हिस्सा है और देश की जरूरत के मुताबिक संविधान में जरूरी बदलावों से प्रभावित नहीं हो सकता।...भारतीय स्वतंत्रता कानून को वेस्टमिंस्टर रद्द कर देता है तो क्या भारत यूके का हिस्सा बन जाएगा?'

इसपर सियासी घमासान जोरों पर है, लेकिन मुख्य मुद्दा राष्ट्र की एकता और अखंडता है। महबूबा मुफ्ती, डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला बेलगाम बयान देकर आग से खेल रहे हैं। ये लोग ऐतिहासिक तथ्यों से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन वे जानबूझकर कश्मीर के लोगों को हकीकत से दूर रखना चाहते हैं। चूंकि चुनाव का मौका है इसलिए इस तरह की बयानबाजी हो रही है और अच्छी बात है कि अरूण जेटली ने हकीकत देश के सामने बड़ी सफाई से रखी। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 03 अप्रैल 2019 का पूरा एपिसोड

 

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