बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को राजनीतिक धमाका करते हुए यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उनकी पार्टी ने पहले यह ऐलान किया था कि वह कांग्रेस से अलग हुए धड़े की अगुवाई कर रहे अजीत जोगी के साथ गठबंधन करेगी। मायावती ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए उन्हें 'बीजेपी एजेंट' बताया और आरोप लगाया कि उन्होंने गठबंधन के प्रस्ताव को तोड़ने का काम किया है। बीएसपी नेता ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन के पक्ष में दिग्विजय सिंह नहीं थे और वे यह बयान दे रहे थे कि कि मैं केंद्र सरकार के दबाव में आकर काम कर रही हूं।
मायावती के इस फैसले से आगामी विधानसभा चुनावों और अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनावों को लेकर गैर-बीजेपी दलों के प्रस्तावित महागठबंधन की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। बीएसपी इस साल के शुरुआत में उस समय सुर्खियों में आई जब समाजवादी पार्टी के साथ उसका गठबंधन हुआ। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी को करारी मात देने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी का पूरा समर्थन समाजवादी पार्टी को दिया।
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के जब नतीजे आए तो हर किसी की नजर मायावती पर थी और विरोधी दल का हर नेता आनेवाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को लेकर महागठंबधन की बात करने लगा। मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो बाकायदा सर्वे किया गया जिसमें यह बताया गया कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीजेपी को तभी हराने के बारे में सोच सकती है जब उसे मायावती का साथ मिल जाए। यानी महागठबंधन की नींव में मायावती एक मजबूत कड़ी थीं। लेकिन बुधवार को मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करके गठबंधन की नींव में ही दरार डाल दी और यह तय मानिए कि इसका असर अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव के राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ेगा। (रजत शर्मा)