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तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद ने गुरुवार सुबह एक ऑडियो संदेश में अपने अनुयायियों से अपील की कि वे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करें, घर पर रहें, भीड़ से बचें, लॉकडाउन के नियमों को मानें और डॉक्टरों की सलाह सुनें। अपने ऑडियो संदेश में मौलाना ने कहा है कि वह इस समय खुद भी सेल्फ-क्वारंटाइन में है। जमात के मुखिया साद पिछले 3 दिनों से अंडरग्राउंड हैं। मैं उनकी अपील के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं। हालांकि, उन्हें अपने अनुयायियों से अपील करनी चाहिए कि वे अपने ठिकाने के बारे में अधिकारियों को सूचित करें, अपने स्वास्थ्य की जांच करवाएं और डॉक्टरों एवं नर्सों के साथ दुर्व्यवहार न करें।
अहमदाबाद, इंदौर और बिहार में डॉक्टरों, नर्सों और पुलिसकर्मियों पर पथराव की खबरें आई हैं। वे वहां तबलीगी जमात के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए गए थे। यह निंदनीय है और जमात के मुखिया को लोगों से संयम बरतने की अपील करनी चाहिए। कोरोना वायरस की बात करें तो गुरुवार को इसे लेकर सबसे बड़ा डर हकीकत में बदल गया। कोरोना वायरस अपडेट्स में भारत तेजी से ऊपर चढ़ गया और देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जो फायदा मिला था वह सब बर्बाद हो गया। सरकार वायरस की चेन को तोड़ना चाहती थी, लेकिन पूरे भारत में फैले तबलीगी जमात के 6,000 लोगों के चलते महामारी ने अब पहले से कहीं ज्यादा लोगों को निशाना बनाया है। अकेले तमिलनाडु की बात करें तो गुरुवार को सामने आए सभी 110 मामले तबलीगी जमात से जुड़े लोगों से थे।
इस समय दिल्ली के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों की मस्जिदों में तबलीगी जमात के सैकड़ों लोग छिपे हुए हैं। तबलीगी जमात के जिन अनुयायियों को दिल्ली में क्वारंटाइन में ले जाया जा रहा था, वे अस्पताल के फर्श और नर्सिंग स्टाफ पर थूक रहे थे और उन्होंने डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया। कुल मिलाकर यह दिल तोड़ने वाली बात है। कई जाने-माने मुसलमानों ने गुरुवार को मुझे फोन किया और यह समझाने की कोशिश की कि तबलीगी जमात का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और इसका एकमात्र काम इस्लाम का प्रचार करना है। उन्होंने कहा, जमात के अनुयायी बुरे लोग नहीं हैं और वे हमेशा राजनीति और विरोध-प्रदर्शनों से दूर रहते हैं।
मैंने उनसे कहा, इस्लाम का प्रचार करने तक तो ठीक है, लेकिन हजारों लोगों की जान जोखिम में डालना अक्षम्य है। अंत में मुस्लिम समुदाय के लोग ही इस घातक बीमारी की चपेट में आएंगे क्योंकि जमात के लोग ज्यादातर मुसलमानों से ही मिलते हैं। जमात के मुखिया मौलाना साद ने कई बार झूठ बोला और सोशल डिस्टैंसिंग के लिए बताए गए दिशा-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं। उन्होंने विदेशियों के लिए टूरिस्ट वीजा लेकर सरकार को गुमराह किया, जबकि वे धर्म प्रचारकों के रूप में भारत आए थे।
मैंने मुस्लिम नागरिकों को मौलाना साद की उन सलाहों के बारे में बताया जो उसने अपने अनुयायियों को दी थी। उन्होंने अपने अनुयायियों से डॉक्टरों की सलाह का पालन करने के लिए मना किया था। भगवान न करे, अगर किसी को कैंसर या दिल का दौरा पड़ता है, तो कोई मरीज को मस्जिद लेकर जाएगा या अस्पताल? अस्पताल रोगियों के इलाज की जगह होती है और मस्जिद रोगी के लिए दुआ मांगने की जगह है। मेरे मुसलमान दोस्तों ने यह बात मानी कि मौलाना और उनके लोगों ने पूरे के पूरे समुदाय को ऐसे समय में बेहद शर्मिंदा किया है, जब हिंदू और मुसलमान मिलकर हमारे प्रधानमंत्री के आह्वान पर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं।
मौलाना और उनके अनुयायियों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि उन्होंने वायरस का प्रसार करके 21 दिनों के लॉकडाउन की अच्छी तरह से तैयार की गई सरकारी योजना को जानबूझकर नाकाम कर दिया है। मौलाना जितनी जल्दी सामने आकर सरकार का साथ दें, उतना ही बेहतर होगा। यह पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए राहत की बात होगी क्योंकि पूरे समुदाय को कुछ लोगों की गलतियों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 01 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड