महाराष्ट्र में मराठा क्रांतिकारी मोर्चा के राज्यव्यापी आंदोलन के तीसरे दिन मुंबई और उसके उपनगरीय इलाकों में बंद का आह्वान किया गया। मंगलवार को राज्य के कई हिस्सों में आंदोलनकारियों द्वारा कई गाड़ियां जला दी गई जिनमें एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी शामिल हैं। पिछले साल जब मराठा आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ था तो उस वक्त मैंने इसकी तारीफ की थी। बेहद शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया गया था। न बसों को जलाया गया और न तोड़फोड़ हुई थी। लेकिन इस बार आंदोलन का जो स्वरूप है वो दुख देने वाला है। यह आंदोलन हिंसा और आगजनी के रूप में बदलकर रह गया है।
इस आंदोलन के नेताओं ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसक रास्ते को चुना जो कि दुखद है। मराठा क्रांतिकारी मोर्चा की मांग है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) घोषित किया जाए। यह मांग केवल आरक्षण तक ही नहीं है क्योंकि अगर अन्य पिछड़ा वर्ग के कुल 27 फीसदी आरक्षण में से 16 फीसदी आरक्षण मराठा को दे दिया जाए तो अन्य पिछड़ा वर्ग में पहले से शामिल जातियां आंदोलन पर उतारू हो सकती हैं। क्योंकि मौजूदा आरक्षण में से उनका कोटा कम हो जाएगा। मराठा नेताओं का यह मानना है कि ओबीसी स्टेट्स हासिल होते ही उनके समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा जिससे शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उन्हें फायदा होगा।
इसके अलावा आंदलोनकारियों को यह समझना चाहिए कि ओबीसी स्टेट्स प्रदान करना अकेले महाराष्ट्र सरकार के बस की बात नहीं हैं। इसका एक ही रास्ता है और वो है बातचीत। बातचीत के जरिए समाधान ढूंढा जा सकता है। गाड़ियों को जलाने, पथराव करने, एंबुलेंस तोड़ने और मीडिया की गाड़ियों को निशाना बनाने से कुछ नहीं होगा। इससे सिर्फ मराठा लोगों की छवि खराब होगी। नेताओं को यह समझना चाहिए कि यह एक जटिल मुद्दा है और इसका रास्ता निकालना होगा। (रजत शर्मा)