मणिशंकर अय्यर की बातें सुनकर कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता कि वह कांग्रेस के साथ हैं या बीजेपी के साथ। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अय्यर ने नरेंद्र मोदी को 'चायवाला' कहा था और बीजेपी ने इसे खूब हवा दी। लोग इसका परिणाम जानते हैं। जिस दिन राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के लिए नामांकन पत्र पेश किया उस दिन अय्यर ने मीडिया से कहा कि वंशवादी उत्तराधिकार मुगल काल में भी था। अय्यर ने जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब के नाम का जिक्र किया। गुरुवार को अय्यर ने नरेन्द्र मोदी को 'नीच' कह दिया। जब प्रधानमंत्री ने गुजरात की रैली में इस मुद्दे को उठाया तब पार्टी नेतृत्व की तरफ से अय्यर को माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया। अय्यर ने एक कमजोर तर्क देते हुए कि वह अंग्रेजी शब्द 'low' की सही हिंदी नहीं जानते हैं। लेकिन इस दौरान सफाई में अय्यर ने यह कहा कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को 'नालायक' कहा था। कांग्रेस नेतृत्व ने पहले उनसे माफी मांगने को कहा और बाद में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर सही कदम उठाया। अगर ऐसा कड़ा अंदाज 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी को 'चायवाला' कहने पर दिखाया गया होता या अटल बिहारी वाजपेयी को नालायक कहने पर दिखाया होता, तो बात इतनी नहीं बढ़ती। लेकिन यह भी सच है कि अगर सामने गुजरात का चुनाव नहीं होता तो शायद राहुल गांधी मणिशंकर अय्यर से माफी मांगने के लिए नहीं कहते और न उन्हें पार्टी से निकाला जाता। (रजत शर्मा)