पाकिस्तानी मौलवी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान की मुल्तान, लाहौर और अन्य शहरों की रैलियों में भारी भीड़ देखने को मिली है। इन रैलियों में उमड़ी लोगों की भीड़ साफ इशारा कर रही है कि पाकिस्तानी आवाम अपने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व पर तेजी से भरोसा खोती जा रही है। मौलाना का 'आजादी मार्च' आज इस्लामाबाद पहुंचने वाला है, और भले ही वह दावा कर रहे हों कि यह कोई धरना नहीं है, लेकिन हालात टकराव की तरफ बढ़ रहे हैं।
‘चुनावी धांधली’ के खिलाफ शुरू हुआ मौलाना का विरोध अब एक ऐसे जन आंदोलन में बदल गया है जिसमें इमरान खान की सरकार के लचर प्रदर्शन पर आम लोगों का गुस्सा साफ ज़ाहिर हो रहा है। इमरान खान ने जब पिछले साल अगस्त में बतौर प्रधानमंत्री कामकाज संभाला था, तब उन्होंने 'रियासत-ए-मदीना' के इस्लामिक सिद्धांतों पर आधारित एक भ्रष्टाचार मुक्त 'नया पाकिस्तान' का वादा किया था। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी एवं अन्य रिश्तेदारों और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को जवाबदेही के नाम पर सलाखों के पीछे डाल दिया गया। नवाज शरीफ अब अस्पताल में मौत से जूझ रहे हैं।
जरदारी और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) खुलकर 'आजादी मार्च' का समर्थन कर रहे हैं। मौलाना ने वही रास्ता अख्तियार किया है जिस रास्ते को इमरान खान ने पिछले साल तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ मार्च करते हुए अपनाया था। उस समय इमरान खान ने लोगों से वादा किया था कि वह महंगाई कम करेंगे, भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे और अर्थव्यवस्था में सुधार लाएंगे और मौलाना भी अब वैसे ही वादे कर रहे हैं।
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 7.9 अरब डॉलर हो गया है, जो नेपाल और बांग्लादेश से भी कम है। दूध की कीमत 108-140 रुपये प्रति लीटर हो गई है, पेट्रोल 114 रुपये प्रति लीटर, डीजल 127 रुपये प्रति लीटर, टमाटर 75 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। बढ़ती कीमतों के बोझ तले आम आदमी कराह रहा है। कूटनीतिक मोर्चे पर भी, इमरान खान की सरकार फिस़ड्डी साबित हुई है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जब पाकिस्तान ने दुनिया भर में हायतौबा मचाई तो कुछ गिने-चुने देशों ने ही उसका समर्थन किया था।
इन सारी परिस्थितियों के बीच मौलाना ने लाहौर की रैली में सवाल किया, 'जवाबदेही के नाम पर विपक्षी नेताओं को परेशान करने का तमाशा अब कब तक चलेगा ?' मौलाना अब शायद न चाहते हुए भी पाकिस्तान की आवाम की आवाज बन गए हैं। उन्होंने रैली में कहा कि इमरान खान ने अपने 15 महीने की हुकूमत के दौरान, अर्थव्यवस्था, कृषि, उद्योग और व्यापार सब कुछ बर्बाद कर दिया है और पाकिस्तानियों को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है।
चूंकि नवाज शरीफ जेल में है और जरदारी-भुट्टो परिवार पर पाकिस्तान को लोग अभी भरोसा नहीं कर रहे, ऐसे में वहां की आवाम को मौलाना फजल उर रहमान में उम्मीद की रोशनी दिखाई दे रही है। और यही वजह है कि मौलाना की आवाज पर लाखों लोग इस्लामाबाद पहुंच गए। सरकार को इंटरनेट बंद करना पड़ा और ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगानी पड़ी । कुल मिलाकर इस्लामाबाद में फिलहाल जो हालात हैं, उसके बाद दो ही विकल्प हैं, या तो इमरान खान फौज की मदद से मौलाना के इस आंदोलन को कुचल दें, या फिर इमरान खान सत्ता छोड़ दें। (रजत शर्मा)
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