16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में गढ़चिंचोली के पास एक जंगल में हुई बेहद ही शर्मनाक घटना में भीड़ ने जूना अखाड़े के 2 साधुओं सहित 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। ये साधु स्थानीय अधिकारियों से इजाजत मिलने के बाद एक कार में सवार होकर सूरत जा रहे थे। पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन जब बवाल शुरू हुआ तो पुलिसकर्मी अपनी जान बचाकर भाग निकले।
साधुओं की लिंचिंग का यह वीडियो पिछले 3 दिनों से सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था और इस घिनौनी वारदात को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही थी। शुरुआत में पुलिस ने यह कहते हुए कि साधुओं की आड़ में बच्चों को उठाने वाले गैंग इलाके में सक्रिय थे, और यह लिंचिंग अफवाहों के चलते हुए है, मामले को दबाने की पूरी कोशिश की।
मैंने घटना का अनएडिटेड वीडियो देखा है जिसमें साधुओं को पहले कार से खींचा गया, उन्हें लाठियों से पीटा गया और उनके सिर पर पत्थर बरसाए गए, जिसके चलते मौके पर ही उनकी मौत हो गई। दर्शकों को यह वीडियो बिना एडिट किए नहीं दिखाया जा सकता। इस घटना की धार्मिक संगठनों और कई राजनेताओं ने निंदा की है। मैं योग गुरु स्वामी रामदेव से सहमत हूं कि साधु-संतों को पीट-पीटकर मार डालना कभी भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा है। इसकी निंदा होनी चाहिए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है। लिंचिंग की घटना में शामिल 110 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन पुलिस को यह भी पता लगाना चाहिए कि व्हाट्सऐप पर इस तरह की अफवाहें कौन फैलाता है कि साधुओं के भेष में डकैत और बच्चों को चुराने वाले घूम रहे हैं। इन लोगों को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
घटना से संबंधित दो और सवाल हैं। महाराष्ट्र की पुलिस सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद ही कार्रवाई क्यों की और उसके पहले 3 दिन तक खामोश क्यों रही? यदि वहां लॉकडाउन लागू था तो साधुओं की लिंचिंग के लिए लगभग 300 लोगों की भीड़ कैसे इकट्ठा हो गई?
चिंता में डालने वाली एक और खबर मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं। मुंबई में न्यूज चैनलों में काम करने वाले 50 से अधिक पत्रकारों, कैमरापर्सनों और सपोर्ट स्टॉफ को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है और उनका इलाज चल रहा है। मैं इन साहसी पत्रकारों और कैमरापर्सन को अपने परिवार का हिस्सा मानता हूं। हेल्थ मिनिस्ट्री की डेली ब्रीफिंग में बताया गया कि कुल 30 लोग संक्रमित हैं, लेकिन मुंबई से आई एक रिपोर्ट में यह संख्या 53 बताई गई है।
ये मीडियाकर्मी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अगली पंक्ति में खड़े होकर पूरी बहादुरी से काम करते हैं। वे आप लोगों के लिए अस्पतालों, मुर्दाघर, हॉटस्पॉट्स और कंटेनमेंट जोन जाते रहते हैं ताकि आप सभी को, जो न्यूज चैनल देखते हैं, कोरोना वायरस के बारे में खबर मिल सके।
मैं सभी पत्रकारों, कैमरापर्सनों और सहयोगी कर्मचारियों से अपील करूंगा कि वे फील्ड से रिपोर्टिंग करते समय अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। जो लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, और जिनका आइसोलेशन में इलाज चल रहा है, उनसे मैं कहूंगा कि वे घबराएं नहीं और हालात का बहादुरी से सामना करें। मैं उन सभी को यकीन दिलाता हूं कि मैं जरूरत पड़ने पर किसी भी तरह की सहायता के लिए उपलब्ध हूं, चाहे वे जिस चैनल या मीडिया हाउस के लिए काम करते हों। हमें अडिग रहकर कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 20 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड