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Rajat Sharma's Blog: कोरोना वायरस से लड़ाई में एकमात्र हथियार लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग ही हैं

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़े हथियार लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन ही हैं। जितनी जल्दी हम अपने इलाकों, कस्बों और गांवों में वायरस की चेन को तोड़ेंगे, उतना बेहतर होगा।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : April 11, 2020 18:51 IST
Rajat Sharma's Blog: कोरोना वायरस से लड़ाई में एकमात्र हथियार लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग ही हैं
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: कोरोना वायरस से लड़ाई में एकमात्र हथियार लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग ही हैं

आज की शुरुआत मैं एक डरावने मंजर से करता हूं। एक ड्रोन कैमरे द्वारा लिए गए दृश्यों में खाइयों के बाहर पड़े 40 ताबूत दिखाई दिए। इन ताबूतों में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जान गंवाने वाले लोगों के शव थे, और इन ताबूतों को न्यूयॉर्क सिटी के हार्ट द्वीप पर खाइयों की शक्ल में दिख रहे कब्रों में दफनाया जाना था। मृतकों को बहुत ही कम लोगों की मौजूदगी में दफनाया गया। सुरक्षा उपकरणों से लैस कार्यकर्ता ताबूतों को गहरी खाइयों में दफन कर रहे थे। इस जगह का उपयोग आम तौर पर न्यूयॉर्क में पिछले 150 वर्षों से उन लोगों के लिए किया जाता है जिनका कोई परिवार नहीं होता या जिनके परिजन अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा सकते। आमतौर पर इस आइलैंड पर एक हफ्ते में 25 लाशें आती थीं, लेकिन अब रोजाना लगभग 24 की औसत से हफ्ते में 5 दिन सामूहिक कब्रों में लाशें दफन की जा रही हैं।

 
आमतौर पर लाशों को दफनाने और कब्रों को दफनाने का काम न्यूयॉर्क के रिकर्स आइलैंड पर स्थित जेल के कैदी किया करते हैं, लेकिन महामारी के डर से कैदियों को बाहर आने की इजाजत नहीं है। इस काम को अब स्थानीय कॉन्ट्रैक्टर्स के जिम्मे सौंप दिया गया है। क्या किसी ने कभी सोचा था कि दुनिया की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला और ऊंची-ऊंची इमारतों वाला यह शहर लाशों से बिछ जाएगा और ऐसे हालात का शिकार हो जाएगा। इस समय अमेरिका में कोरोना वायरस के 5 लाख से ज्यादा मामले हैं, जिनमें से अकेले न्यूयॉर्क में 1.6 लाख हैं। अमेरिका में इस बीमारी से 18 हजार लोगों की जान जा चुकी है जिनमें न्यूयॉर्क के लगभग 8 हजार लोग शामिल हैं। पिछले 24 घंटों में अमेरका में 1783 लोग मारे गए हैं। औसतन देखा जाए तो यहां हर घंटे 74 मौतें हुईं, या हर 50 सेकंड पर एक शख्स की मौत हुई।
 
दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित 5 मरीजों में से एक अमेरकी है, और इस महामारी से मरने वालों में भी 5 में से एक अमेरिकी है। अस्पताल से कब्रिस्तान तक पीड़ितों के शवों को रेफ्रिजरेटेड वैन में ले जाया जा रहा है। चूंकि लाशों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए प्रशासन ने उन लाशों को दफनाना शुरू कर दिया है जिनकी मौत हुए 2 हफ्ते हो चुके हैं। पिछले महीने तक न्यूयॉर्क दुनिया का सबसे हैपनिंग शहर हआ करता था, एक ऐसा शहर जो कभी सोता नहीं था, और अब इस पर कब्रिस्तान की खामोशी राज करती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ड्रंप का जलवा भी गायब हो गया है। ट्रंप रोज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते थे कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को जल्दी ही जीत जाएंगे, लेकिन अब शायद ही कोई आम अमेरिकी उनकी बातों पर यकीन करता हो। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले दावा किया था कि ईस्टर तक हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन गुड फ्राइडे पर कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए पूरा अमेरिका उदास था, डरा हुआ था।
 
अमेरिका के लोगों को अब जाकर महसूस हुआ है कि हालात की गंभीरता का सही ढंग से आकलन करने में ट्रंप ने गलती कर दी थी। ऐसे समय में जब दुनिया के कई देश लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर दे रहे थे, ट्रंप ने ऐसा करने से परहेज किया। उनका ध्यान लोगों की जान बचाने से ज्यादा अर्थव्यवस्था को बचाने पर था। अब इसका नतीजा सबके सामने है। हालात को देखते हुए भारत में भी लॉकडाउन को बढ़ाने और सोशल डिस्टैंसिंग के नियम को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। पंजाब और ओडिशा की सरकारों ने पहले ही क्रमशः 1 मई और 30 अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है, और प्रधानमंत्री ने भी आज इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए मुख्यमंत्रियों से बात की है।
 
शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक डरावनी तस्वीर पेश करते हुए कहा कि ‘भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोगों ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके मुताबिक कोरोना वायरस से 80 से 85 फीसदी भारतीय संक्रमित हो सकते हैं। यदि ये आंकड़े सही हैं तो फिर ये काफी डराने वाली बात है।’ भारत में 130 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। 80 फीसदी को भूल जाइए, यहां तक कि कुल आबादी का 8 फीसदी भी 10.4 करोड़ बैठता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हालांकि एक बात सही कही है कि जब अमेरिका, इटली, स्पेन और फ्रांस जैसे विकसित देश बेहतरीन मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद मुश्किल में फंसे हुए हैं, तो भारत अपने खराब मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ इस चुनौती का सामना कैसे कर सकता है।
 
सबसे बड़ी बाधा सुपर स्प्रेडर्स हैं- कोरोना वायरस से संक्रमित एक ऐसा शख्स जो सैकड़ों अन्य लोगों को संक्रमित कर देता है। मोहाली के पास जवाहरपुर गांव में 43 वर्षीय मलकीत सिंह को पॉजिटिव पाया गया था, लेकिन जब परीक्षण किया गया तब तक यह वायरस 32 व्यक्तियों में फैल चुका था। अब 29 घरों वाले पूरे गांव को सील कर दिया गया है। इसी तरह ओमान से आए बिहार के एक शख्स में कोरोन वायरस के लक्षण दिखे थे। उसने अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई, और सीवान में 23 अन्य लोगों को वायरस से संक्रमित कर दिया। इसका मतलब यह है कि बिहार में अब तक पाए गए 60 मामलों में से एक तिहाई से भी ज्यादा केस सिर्फ एक शख्स की वजह से हैं।
 
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़े हथियार लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन ही हैं। जितनी जल्दी हम अपने इलाकों, कस्बों और गांवों में वायरस की चेन को तोड़ेंगे, उतना बेहतर होगा। शुक्रवार को मस्जिदों और कब्रिस्तानों में शब-ए-बारात की नमाज के लिए लोगों से न जाने की अपील कर रही पुलिस पर छिंदवाड़ा (एमपी) और भागलपुर (बिहार) में पुलिस पर हमलों की घटनाएं हुईं। अधिकांश मौलानाओं ने लोगों से अपने घरों के अंदर नमाज अदा करने की अपील की थी, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सुनने को तैयार नहीं हैं। हमारे अधिकांश मुस्लिम भाई-बहन लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं, लेकिन उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो इसकी धज्जियां उड़ातें हैं। चलिए, हम कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट होकर लड़ते हैं। अंत में, भारत के लोग ही जीतेंगे। (रजत शर्मा)

देखिये, 'आज की बात रजत शर्मा के साथ', 10 अप्रैल 2020 का पूरा एपिसोड

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