30 जनवरी को शहीद दिवस था। 1948 में इसी दिन महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। इस मौके पर भारत के लोग देश के शहीदों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हैं। हालांकि, गुरुवार को एक 17 साल के किशोर ने (नाम इसलिए नहीं बताया जा रहा है क्योंकि वह एक नाबालिग है) देश की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। यह एक शर्मसार करने वाला दिन था। इस लड़के ने जामिया मिलिया इस्लामिया के पास सरेआम देसी तमंचा लहराया, ‘आजादी’ के नारे पर जमकर बुरा-भला कहा और फिर गोली चला दी। इस घटना में जामिया का एक छात्र घायल हो गया, जो अब खतरे से बाहर है। हमलावर के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह घटना तब हुई जब जामिया के छात्र राज घाट की तरफ एक प्रोटेस्ट मार्च निकालने की प्लानिंग कर रहे थे, हालांकि इसके लिए उन्हें इजाजत नहीं दी गई थी। पुलिस ने कैंपस से करीब 100 मीटर की दूरी पर बैरिकेड्स लगा दिए थे। जब जामिया के छात्रों ने पुलिस की नाफरमानी करने का फैसला किया और आगे बढ़े, तो काले रंग की जैकेट पहने एक किशोर अचानक भीड़ से बाहर आ गया और उसने अपने तमंचे को लहराकर गोली मारने की धमकी दी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को आवाज लगाई और उन्हें हस्तक्षेप करने के लिए कहा, जिसके बाद उनमें से कुछ उसे काबू करने के लिए आगे बढ़े।
हाथापाई के दौरान हमलावर ने अचानक गोली चला दी, जिससे जामिया का एक छात्र शादाब फारूक घायल हो गया। पुलिस ने जल्द ही हमलावर को काबू में कर लिया और उसे हिरासत में ले लिया। शाम तक यह साफ हो गया कि वह एक नाबालिग था, और उसने फेसबुक पर अपनी खतरनाक हरकतों का लाइव वीडियो पोस्ट किया था। हमलावर ग्रेटर नोएडा के जेवर का रहने वाला है। गृह मंत्री अमित शाह ने दोषी के खिलाफ ‘सख्त कार्रवाई’ का आदेश दिया है। उन्होंने एक संयुक्त पुलिस आयुक्त से पूरी घटना की तहकीकात करने को कहा है।
जामिया के इस छात्र पर हुई इस गोलीबारी से सीएए एवं एनआरसी के समर्थकों और विरोधियों के बीच खाई बढ़ गई है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि दिल्ली पुलिस चुपचाप खड़ी होकर बंदूकधारी को इस तरह की हरकतें करते देख क्यों रही थी। वीडियो को करीब से देखने पर कोई भी यह पता लगा सकता है कि पुलिसवाले वास्तव में पूरी सतर्कता से काम कर रहे थे। पुलिसकर्मियों में से एक सावधानीपूर्वक हमलावर को काबू में करने के लिए आगे बढ़ रहा था, लेकिन अचानक, 20-25 सेकंड के अंदर ही उसने गोली चला दी। इसके बाद ही पुलिस उसे काबू में कर पाई।
इस सिरफिरे हमलावर द्वारा चलाई गई गोली ने हमारी चट्टान जैसी दृढ़ राष्ट्रीय एकता पर आघात किया है। यह भारतमाता की नाफरमानी के अलावा और कुछ नहीं है। मैंने इंडिया टीवी के एंकर सौरव शर्मा को गुरुवार रात घटनास्थल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर शाहीन बाग भेजा ताकि वहां बीते 48 दिनों से धरने पर बैठी महिला प्रदर्शनकारियों के विचारों को जाना जा सके। मैंने सौरव से कहा कि वह महिला प्रदर्शनकारियों से तब तक बात करें जब तक कि उनकी बातें खत्म नहीं हो जातीं।
महिला प्रदर्शनकारियों ने अपनी चिंताओं, सीएए और एनआरसी के बारे में अपनी आशंकाओं के बारे में खुलकर बात की। वे सोशल मीडिया में चल रही इन बातों से काफी आहत थीं कि उनमें से कुछ को धरने पर बैठने के लिए रोजाना पैसे दिए जाते हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सौरव ने सीएए और एनआरसी के हर पहलू को समझाने की पूरी कोशिश की और महिला प्रदर्शनकारियों ने भी खुलकर अपनी चिंताओं और आशंकाओं के बारे में बताया। उनमें से ज्यादातर चाहती थीं कि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री उनसे बात करने के लिए एक प्रतिनिधि भेजें और लिखित आश्वासन दें।
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं: जो लोग शाहीन बाग में धरना दे रही हैं, वे हमारी माताएं और बहनें हैं, और जिनके बच्चे सड़क बंद होने के चलते स्कूल जाने में दिक्कतों का सामना कर रह हैं, वे भी हमारी माताएं और बहनें हैं। मुझे आशा है कि शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं ने जो चिंताएं एवं आशंकाएं जाहिर की हैं वे जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचेंगी और बातचीत शुरू करने के लिए पहल की जाएगी। (रजत शर्मा)
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