Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog- लद्दाख : राहुल राजनीति और राष्ट्रनीति में फ़र्क़ को समझें

Rajat Sharma’s Blog- लद्दाख : राहुल राजनीति और राष्ट्रनीति में फ़र्क़ को समझें

यह समझना मुश्किल है कि राहुल गांधी क्या साबित करना चाहते हैं? क्या वह कहना चाहते हैं कि हमारे जवान चीन को रोक नहीं पाए? क्या वह हमारे बहादुर जवानों की जांबाजी पर सवाल उठा रहे हैं?

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: February 12, 2021 18:05 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Rahul Gandhi, Rajat Sharma Blog on Ladakh - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

गुरुवार को पूरी दुनिया ने उन तस्वीरों को देखा जिनमें पैंगोंग झील के पास चीन के टैंक यू-टर्न लेकर वापस जाते हुए नजर आ रहे थे। इन तस्वीरों को देखकर हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान फैल गई, क्योंकि इसके साथ ही 9 महीने से चल रहे तनावपूर्ण गतिरोध का अंत हो गया। केवल एक व्यक्ति खुश नहीं था – राहुल गांधी।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को सुबह आनन फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत की जमीन का एक टुकड़ा चीन को दे दिया है।’ राहुल गांधी ने मांग की कि लद्दाख में अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि देपसांग, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स से सैनिकों की वापसी का क्या हुआ।

कोई आम आदमी भी राहुल गांधी के इन सवालों के जवाब दे सकता है। गुरुवार को जो हुआ वह दोनों तरफ के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया की शुरुआत भर थी, और बाकी के इलाकों से सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी कई दौर  की बातचीत होनी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में अपने बयान में इसी बात का साफ-साफ जिक्र किया।

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को उत्तरी किनारे में फिंगर 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर 3 के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी।’ एक अस्थायी व्यवस्था के तहत यह निर्णय लिया गया है कि जब तक राजनयिक स्तरों पर मुद्दे का हल नहीं निकल जाता तब तक फिंगर एरिया में कोई पट्रोलिंग नहीं होगी। चीन की घुसपैठ के पहले भारत के सैनिक फिंगर 8 तक गश्त किया करते थे। शायद राहुल गांधी इसी को कह रहे हैं कि ‘भारत की जमीन चीन को दे दी गई’, जो कि पूरी तरह गलत है।

राहुल गांधी ने गुरुवार को टेलीविज़न पर चीनी टैंकों को वापस जाते हुए देखा होगा। 2 दिन के अंदर ही चीन की सेना ने अपने 200 से ज्यादा टैंकों, आर्टिलरी और बख्तरबंद गाड़ियों को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट से हटा लिया है। चीन के सैनिक अपने टैंकों और आर्टिलरी को काफी तेज रफ्तार से पीछे ले गए, और ये दृश्य रक्षा विशेषज्ञों को भी चौंकाने के लिए काफी थे।

चीन की सेना ने टकराव वाली जगहों से अपने सैकड़ों सैनिकों को वापस लाने के लिए फिंगर 8 के उत्तरी किनारे पर 100 से भी ज्यादा ट्रक तैनात किए थे। दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने का ये समझौता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल द्वारा अपने चीनी समकक्षों के साथ हुई बातचती के चलते हो पाया।

कुल मिलाकर यह डील भारत के लिए अच्छी है लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। यह डील इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन को लगता था कि वह भारत पर अपना राजनीतिक और सैन्य प्रभुत्व जमाने में कामयाब हो जाएगा, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। अपने बयान में राजनाथ सिंह ने साफ-साफ कहा है कि भारत और चीन की सेनाओं को पीछे हटाने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे। 10 महीनों के गतिरोध के बाद सैनिकों के पीछे हटने की इस प्रक्रिया के तहत चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को उत्तरी किनारे में फिंगर 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि समझौते के मुताबिक जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्‍हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों पक्षों की तरफ से सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक पर भी सहमति बनी है।

सैनिकों को पीछे हटाए जाने की इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 2 सप्ताह का समय लगेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को कुछ ज्यादा ही जल्दी है। किसी को यह समझना चाहिए कि जहां तक जमीनी स्थिति की बात है, वहां अभी भी अविश्वास बना हुआ है और सत्यापन की प्रक्रिया आसान नहीं रहने वाली है।

कुल मिलाकर बात बिल्कुल साफ है। भारत ने अपनी एक इंच जमीन दिए बगैर चीन को उसकी पुरानी पोजिशन पर वापस भेज दिया है। जिस तरह गलवान वैली में पट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर भारत और चीन के बीच डिसएंगेजमेंट और डीएस्कलेशन हुआ था, बिल्कुल उसी टेंपलेंट को अब पैंगोंग सो के इलाके में भी फॉलो किया जा रहा है। गलवान वैली में पट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर ही वह खूनी संघर्ष हुआ था जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे और चीन के भी सैनिक हताहत हुए थे, हालांकि उसने संख्या नहीं बताई थी।

चीन के सैनिकों ने पिछले साल पैंगोंग झील के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। उन्होंने फिंगर 4 तक पक्की रोड तैयार कर ली, टेंट लगा दिए और स्ट्रक्चर खड़े कर दिए। इसके बाद ही इंडियन आर्मी ने वहां चीनी सैनिकों की संख्या के बराबर सैनिक तैनात कर दिए। दोनों सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने मौजूद थीं। चीन के टैंकों के सामने हमारे टैंक मौजूद थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। चीन के सैनिक अब फिंगर 4 की पोजिशन छोड़कर वहां से पीछे हटेंगे और वापस फिंगर 8 पर अपनी पुरानी पोस्ट सिरिजाप सेक्टर पर चले जाएंगे। इसी तरह हमारे जवान भी नॉर्थ पैंगोंग इलाके में धन सिंह थापा पोस्ट पर रहेंगे और कोई भी सैनिक बफर जोन में गश्त नहीं करेगा। इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी।

पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए। भारत द्वारा लगातार दबाव बनाए रखने के चलते ही चीन पीछे हटने के लिए सहमत हुआ है। चीन को यह साफ-साफ बता दिया गया था कि उन्हें अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करनी होगी। जब नौवें दौर की बातचीत शुरू हुई, तो चीनी सेना के कमांडर पैंगोंग झील से सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गए। भारत अपनी जमीन का एक इंच टुकड़ा गंवाए बिना चीन को अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए सहमत करने में कामयाब रहा। इसीलिए राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि ‘हमने कुछ खोया नहीं है।’

पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में पैदा हुए हालात को याद करें। हमारे फाइटर जेट उड़ान भर रहे थे और नए-नवेले लड़ाकू विमान राफेल की भी तैनाती हो गई थी। टैंकों, तोपों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ सीमा पर 50 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक तैनात थे। ऐसा लग रहा था कि अगर चीन की सेना ने जरा भी गड़बड़ी की, तो इंडियन आर्मी उसे करारा जवाब देगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख जाकर साफ शब्दों में कहा था कि ‘हमारे जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।’ दूसरी तरफ चीन भी अपनी आदत के मुताबकि बार-बार आंखे दिखा रहा था और लद्दाख में सैनिकों, टैंकों और फाइटर जेट्स की तैनाती बढ़ाता जा रहा था। लेकिन इस बार भारत चीन की घुड़की में नहीं आया। चीन को साफ-साफ समझाया गया कि वापस लौटना ही शान्ति का एकमात्र रास्ता है। भारत से साफ कर दिया कि चीन को वापस जाना ही पड़ेगा, क्योंकि वह नो मैन्स लैंड में घुसकर उस इलाके पर अपना दावा कर रहा था। इतनी सारी मशक्कत करने के बाद भी चीन की सारी चालें बेकार हो गईं।

भारत और चीन के बीच जो समझौता हुआ है उसका मतलब क्या है, मैं आपको आसान शब्दों में बताता हूं। अप्रैल 2020 से पहले हमारी फौज फिगर 3 और 4 के बीच रहती थी और फिंगर 8 तक पट्रोलिंग करती थी। इसी तरह चीन की सेना फिंगर 8 पर रहती थे और वह फिंगर 8 से फिंगर 4 तक पट्रोलिंग करती थी। लेकिन पिछले साल मई में चीन की फौज फिंगर 8 से आगे आ गई और वहां टैंकों, तोपों और बख्तरबंद गाड़ियों को तैनात कर दिया। इतना ही नहीं, कंक्रीट के पक्के स्ट्रक्चर्स भी बना लिए। भारत ने इसका विरोध किया, लेकिन जब चीन नहीं माना तो हमारी फौज भी चीनी फौज के सामने पहुंच गई। इस तरह दोनों देशों की फौजें बिल्कुल आमने-सामने तैनात हो गईं।

चीन ने भारत से ऐसे जवाब की कल्पना कभी नहीं की थी। इसके बाद भी चीन अड़ा रहा, लेकिन अब 9 महीने के बाद चीन को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह अपनी फौज को वापस करने पर राजी हो गया। बुधवार को जो समझौता हुआ है, उसके मुताबिक चीन के सैनिकों को फिंगर 4 से फिंगर 8 की तरफ लौटना होगा, जहां वे पहले तैनात रहा करते थे। फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच का इलाका बफर जोन, यानी कि एक तरह से नो मैन्स लैंड बन जाएगा और वहां पर दोनों में से किसी भी देश के सैनिक पट्रोलिंग नहीं करेंगे।

भारत और चीन दोनों के रक्षा मंत्रियों ने इस समझौते की घोषणा कर दी है, लेकिन राहुल गांधी इसे मानने को तैयार नहीं हैं। गुरुवार को उन्होंने तुरंत ट्वीट किया, ‘कोई स्टैटस-को नहीं है, कोई शांति भी नहीं है। आखिर सरकार हमारे जवानों के बलिदान का अपमान क्यों कर रही है।’ शुक्रवार की सुबह उन्होंने जल्दबाजी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और अपने ट्वीट में लिखा, ‘गद्दारों ने भारत माता को चीरकर एक टुकड़ा हमारे दुश्मन को दे दिया!’ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी चीन से भारत की वह जमीन वापस मांगने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए जो उसने पिछले साल अप्रैल में कब्जा कर ली थी।

मुझे राहुल गांधी की फितरत पर हैरानी हुई। पिछले 9 महीनों में राहुल गांधी ने सैकड़ों बार कहा कि चीन ने हमारी हजारों मील जमीन पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि चीन हमारी जमीन पर आकर बैठ गया है और फिर कहा कि नरेंद्र मोदी चीन का नाम लेने से भी डरते हैं।

1 फरवरी को उन्होंने लिखा कि चीन ने भारत भूमि पर कब्जा कर लिया और हमारे सैनिकों को शहीद कर दिया। इससे एक दिन पहले राहुल गांधी ने लिखा चीन हमारी जमीन पर कब्जा करता जा रहा है और ‘मिस्टर 56 इंच’ ने पिछले कई महीनों से चीन का नाम भी नहीं लिया है। पिछले साल मई से लेकर अब तक राहुल गांधी ने चीन की शान में 40 से ज्यादा ट्वीट किए हैं। हर बार उन्होंने कहा कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है।

यह समझना मुश्किल है कि राहुल गांधी क्या साबित करना चाहते हैं? क्या वह कहना चाहते हैं कि हमारे जवान चीन को रोक नहीं पाए? क्या वह हमारे बहादुर जवानों की जांबाजी पर सवाल उठा रहे हैं? सेना के वे वीर जवान जिन्होंने एक-एक इंच जमीन के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, अपना खून बहा दिया, उनके बारे में सवाल उठा रहे हैं? मुझे याद है कि 8 जुलाई 2017 के दिन जब डोकलाम में हमारे सैनिक चीन की फौज का मुकाबला कर रहे थे, राहुल गांधी चुपके से चीन के राजदूत से जाकर मिले थे। चीन के राजदूत ने जो बताया, उस पर यकीन करके उन्होंने हमारी सरकार पर, हमारी फौज पर सवाल उठाए थे। तब से लेकर आज तक राहुल गांधी भारत-चीन के सीमा विवादों को लेकर इसी तरह के सवाल लगातार उठाते रहे हैं।

आश्चर्य की बात ये है कि जब चीन ने भी मान लिया कि उसके सैनिक पीछे हट रहे हैं, और इसकी तस्वीरें भी आ गई हैं तो भी राहुल मनाने को तैयार नहीं हैं। वह इस सच्चाई को स्वीकार ही नहीं कर रहे कि चीनी सेना पीछे हट रही है।

राहुल को मोदी का विरोध करने का पूरा हक है, लेकिन मोदी विरोध में ‘राष्ट्रधर्म’ को कैसे भूला जा सकता है। कम से कम देश के बारे में, देश की फौज के बारे में, देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के  बारे में पूरे राष्ट्र को एक होना चाहिए। यह सदियों से हमारे देश कि परंपरा है, हमारे देश का संकल्प है। यदि उन्हें राष्ट्रनीति और राजनीति में से किसी एक को चुनना हो, तो उन्हें ‘राष्ट्रनीति’ को चुनना चाहिए। पिछले 6 सालों में यही मोदी का मूलमंत्र रहा है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 11 फरवरी, 2021 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement