केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास हुई आत्मदाह की एक घटना को लेकर जबर्दस्त आक्रोश फैला हुआ है। तिरुवनंतपुरम के पास नेयातिनकारा इलाके के रहने वाले एक दंपति ने अपनी जमीन से बेदखली को रोकने की कोशिश में पुलिस और कोर्ट के कर्मचारियों के सामने आत्मदाह कर लिया। दंपति इस जमीन पर बनी झोपड़ी में अपने बच्चों के साथ रहता था। बुरी तरह जल चुके दंपति को सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां सोमवार को उनकी मौत हो गई।
घटना के बाद दंपति के 2 अनाथ बेटों ने अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर करने का फैसला किया, जहां उन्होंने आत्मदाह किया था। इसी बीच पुलिस भी बच्चों को यह कहते हुए अंतिम संस्कार को रोकने के लिए पहुंच गई कि वह एक विवादित जमीन है।
यह भयावह घटना इस बात की गवाही देती है कि हमारा सिस्टम किस हद तक सड़ चुका है। आमतौर पर हम इंडिया टीवी पर आत्महत्या और आत्मदाह के वीडियो दिखाने से बचते हैं, लेकिन मैंने (वीडियो के कुछ बेहद ही दर्दनाक हिस्सों को ब्लर करते हुए) इसे अपने दर्शकों को दिखाने का फैसला किया ताकि उन्हें पता चले कि किस तरह एक दंपति से उस समाज में जिंदा रहने का हक तक छीन लिया गया जहां वे कोर्ट द्वारा जमीन से बेदखली का आदेश लेकर पहुंची पुलिस की सरपरस्ती में सिस्टम की निष्ठुरता को झेल रहे थे।
इंसानियत से भरा कोई भी शख्स इस दर्दनाक वीडियो को देखकर दहल जाएगा जिसमें 2 बच्चे अपने माता-पिता को अपने शरीर पर मिट्टी का तेल डालते हुए और फिर लाइटर से आग लगाते हुए देख रहे हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, एक ASI बच्चों के पिता से लाइटर छीनने के लिए झपटा था, लेकिन हाथापाई के दौरान पिता से लाइटर जल गया और दोनों पति-पत्नी आग के हवाले हो गए। पुलिसकर्मियों या पड़ोसियों में से किसी ने भी दंपति को आतमदार करने से रोकने की कोशिश नहीं की। दोनों बच्चे बिल्कुल स्तब्ध होकर अपने माता-पिता को चीखते हुए देख रहे थे।
दंपति के बड़े बेटे राहुल ने आरोप लगाया कि उनके माता-पिता की मौत पुलिस की वजह से हुई। राहुल ने कहा, ‘मेरे पिता कभी भी खुदकुशी नहीं करते। वह केवल पुलिस से उन्हें अपनी जमीन से बेदखल नहीं करने के लिए कह रहे थे। वे हमसे अक्सर कहा करते थे कि आत्महत्या किसी तरह का विकल्प नहीं है।’
47 वर्षीय राजन और उनकी 40 वर्षीय पत्नी अम्बिली का परिवार अपने 2 किशोर पुत्रों राहुल और रंजीत के साथ तिरुवनंतपुरम के पास स्थित नेयातिनकारा के नेट थोट्टम इलाके में एक छोटी-सी झोपड़ी में रहता था। इस इलाके में ज्यादातर अनूसूचित जाति के लोग रहा करते हैं। वसंता नाम की उनकी एक पड़ोसन ने यह दावा करते हुए पुलिस से शिकायत की कि उस जमीन पर उसका मालिकाना हक है। महिला के वकील का दावा है कि उसने 2006 में वह जमीन खरीदी थी। उसने स्थानीय मुंसिफ अदालत से जमीन से बेदखली का आदेश भी मिल गया था।
इसी साल जून में राजन के परिवार को जमीन से बेदखल करने की पहली कोशिश की गई थी। 22 दिसंबर को कोर्ट के कर्मचारियों के साथ पुलिस बेदखली आदेश पर अमल करने के लिए पहुंची थी। राजन ने पुलिस को बताया कि उसने जमीन से बेदखली के आदेश पर स्टे ले लिया था। उन्होंने कुछ घंटों में स्टे ऑर्डर की कॉपी दिखाने की बात भी कही थी, लेकिन पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी।
जैसे ही पुलिस उनकी झोपड़ी को हटाने के लिए इसके पास पुहंची, राजन ने अपने और अपनी पत्नी अम्बिली के ऊपर मिट्टी का तेल छिड़क लिया और आत्मदाह की धमकी दी। पुलिस के मुताबिक, एएसआई द्वारा राजन के हाथ से लाइटर छीनने की कोशिश में आग गलती से जल गई।
स्थानीय मीडिया ने इस मामले को लेकर सवाल किया कि पुलिस राजन के परिवार को जमीन से बेदखल करने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रही थी जबकि उसे पता था कि परिवार को स्टे ऑर्डर मिल गया है। उसने पूछा कि पुलिस ने राजन से स्टे ऑर्डर की कॉपी क्यों नहीं मांगी। मीडिया द्वारा मामले को प्रमुखता से उठाने के बाद जमीन पर अपना दावा करने वाली राजन की पड़ोसन वसंता, जो आत्मदाह की इस घटना की बड़ी वजह थी, अब पुलिस की हिरासत में है।
राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने ऐलान किया कि उनकी सरकार दोनों अनाथ बच्चों की ‘जिम्मेदारी’ उठाएगी और उनकी शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था करेगी। जब एस्बेस्टस की छत और ईंटों से बनी झोपड़ी में रहने वाला गरीब परिवार न्याय की गुहार लगा रहा था तब सरकार कहां थी? इन अनाथ बच्चों की मां अम्बिली ने सालों की मुकदमेबाजी और पुलिस के उत्पीड़न को झेलते हुए अपना मानसिक संतुलन खो दिया था।
जब पुलिसवाले जमीन से बेदखल करने के लिए पहुंचे थे तब राजन ने उनसे थोड़ा-सा वक्त देने की गुजारिश की थी ताकि वह कोर्ट का स्टे ऑर्डर दिखा सकें। लेकिन पुलिस इंस्पेक्टर अड़ गए और वह चाहते थे कि परिवार तुरंत झोपड़ी खाली कर दे। राजन अपनी पत्नी के साथ झोपड़ी के बाहर खड़े हो गए, मिट्टी का तेल छिड़का और पुलिस से कहा कि वे दोनों आत्मदाह कर लेंगे। इतना सब कुछ होने के बावजूद पुलिस पीछे नहीं हटी।
मरने से पहले राजन पुलिस और अदालत के कर्मचारियों से गुजारिश कर रहा था ‘कृपया हमें जीने दें। अगर आप हमें इस तरह से सताते रहे, तो हमारे पास मरने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा।’ ये उनके अंतिम शब्द थे, और फिर भी पुलिस और मुंसिफ अदालत के कर्मचारियों ने उनकी नहीं सुनी। उनका बेटा वीडियो पर यह सब रिकॉर्ड कर रहा था, लेकिन जब उसने अपने माता-पिता को आग की लपटों से घिरा देखा, तो उसने अपना कैमरा रखा और उन्हें बचाने के लिए दौड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दंपति के अधिकांश कपड़े पहले ही आग के हवाले हो चुके थे और उनके शरीर का एक बड़ा हिस्सा बुरी तरह जल गया था, और वे दोनों बेहोश पड़े थे।
लोगों ने उन्हें बचाने के लिए उनके ऊपर पानी डाला, लेकिन दंपति के शरीर में किसी तरह की हलचल नहीं हुई। उनके दोनों बच्चे चिल्ला रहे थे। उनके बच्चे अपने माता-पिता के बेसुध शरीर में जिंदगी के निशान खोजते हुए चिल्लाए कि पुलिस ने उनकी जान ले ली, लेकिन ज्यादातर लोग चुपचाप खड़े होकर देख रहे थे। राजन का शरीर 75 प्रतिशत जबकि अम्बिली का शरीर 60 प्रतिशत झुलस चुका था।
यह वास्तव में काफी चौंकाने वाला है कि पुलिस ने परिवार द्वारा कोर्ट से हासिल किए गए स्टे ऑर्डर की कॉपी भी देखने का इंतजार नहीं किया और उन्हें जमीन से तुरंत बेदखल करने पर जोर दिया। यह सिस्टम द्वारा गरीब और वंचित लोगों के प्रति घोर उपेक्षा को दर्शाता है। इस घटना से पुलिस को एक सबक लेना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की स्थितियों से संवेदनशील तरीके से निपटे। किसी को बेदखली की कार्रवाई करते हुए सहानुभूति से काम लेना चाहिए। केरल सरकार को भी चाहिए कि वह दोनों अनाथ बच्चों के लिए घर और उनकी पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम करे। हम सबको प्रार्थना और आशा करनी चाहिए कि नए साल में ऐसा जुल्म और ऐसी तकलीफ किसी को न झेलनी पड़े। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 दिसंबर, 2020 का पूरा एपिसोड