गंगा नदी से काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए दिन-रात युद्धस्तर पर काम शुरू हो चुका है।
400 मीटर लंबे और 50 फीट चौड़े इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए 25 हजार वर्ग मीटर जमीन की जरूरत होगी, जिसके लिए 270 पुरानी इमारतों को ध्वस्त किया जा रहा है। मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच में एक ओपेन ऑडिटोरियम का निर्माण कराया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए विश्राम गृह, अस्पताल, विजुअल लाइब्रेरी, वैदिक अध्ययन केंद्र, शौचालय, हेल्प डेस्क, दुकानों इत्यादि का निर्माण भी होगा। गंगा नदी के घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए दो लेन का रास्ता बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से पूरे प्रोजेक्ट के मॉडल का अवलोकन कर चुके हैं।
जो लोग वाराणसी गए हैं वे इस बात को जानते हैं कि कैसे यह परियोजना वाराणसी और गंगा के घाटों की सूरत बदल देगी। पिछले साल तक श्रद्धालुओं को गंगा घाट से काशी विश्वनाथ का मंदिर दिखता ही नहीं था। गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए संकरी और कीचड़ से भरी गलियों से गुजरना होता था। इन तंग गलियों में एक-साथ दो लोगों को गुजरने में मुश्किल होती थी। इन गलियों में गायें और सांड घूमते थे। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को इन तंग गलियों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
पिछले हफ्ते 'आप की अदालत' में प्रसिद्ध राम कथा वाचक मोरारी बापू से मैंने पूछा कि आपने रामकथा शमशान के बजाए काशी विश्वनाथ के मंदिर में क्यों नहीं की? इसपर बापू ने उल्टा सवाल किया, 'क्या काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास इतनी जगह है कि हमारे श्रद्धालु बैठ सकें?' मेरे पास कोई जवाब नहीं था।
इस कॉरिडोर के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है और हमें उम्मीद करनी चाहिए कि पीएम मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट जल्द से जल्द तैयार हो जाएगा। इस कॉरिडोर के तैयार होने के बाद श्रद्धालु गंगा स्नान करते हुए काशी विश्वनाथ को देख सकेंगे और उन्हें संकरी-गंदी गलियों से होकर गुजरना नहीं पड़ेगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास इतनी जगह भी होगी कि वहां रामकथा का आयोजन हो सके। (रजत शर्मा)
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