देशव्यापी लॉकडाउन के 25वें दिन अपने-अपने घरों में बैठे लोगों ने देखा कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अपने परिजनों के साथ मिलकर सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ये दृश्य पूर्व सीएम कुमारस्वामी के बेटे निखिल की बेंगलुरु के पास स्थित रामनगर में हो रही शादी के दौरान कैमरों में कैद हुए थे। नेता, जिन्हें बाकियों के लिए नजीर पेश करनी चाहिए थी, उन्हीं नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे जिनका पालन करने का उन्होंने वादा किया था। राज्य सरकार की तरफ से भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि इस शादी की मेजबानी एक ताकतवर पूर्व प्रधानमंत्री और एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही थी।
क्या लॉकडाउन केवल मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए है? मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने इस कार्यक्रम को क्यों नहीं रोका? क्या एक वीवीआईपी परिवार की शादी होने के चलते ऐसा हुआ? इसे ‘एक प्राइवेट अफेयर’ का नाम देकर मीडिया को विवाह स्थल से 20 किलोमीटर की दूरी पर ही रोक लिया गया। जब लोग 'मंगलसूत्र' समारोह के दौरान एक पूर्व प्रधानमंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री को अपने परिजनों के साथ सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को धता बताते हुए देखेंगे तो क्या सोचेंगे? मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा शादी में शामिल हुए थे या नहीं, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें घूम रही थीं जिनमें वह नवविवाहित जोड़े के साथ नजर आ रहे थे। ये तस्वीरें 11 फरवरी को आयोजित सगाई समारोह की भी हो सकती हैं, जब लॉकडाउन लागू नहीं था।
कुमारस्वामी ने शादी में 42 गाड़ियों और 110 मेहमानों के लिए सरकार की इजाजत मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने केवल 40 मेहमानों के लिए पास जारी किए। मेरी जानकारी के मुताबिक 58 गाड़ियों के ड्राइवरों के लिए खाने की व्यवस्था की गई थी, और लगभग 200 मेहमान इस शादी में शामिल हुए थे। देवेगौड़ा और कुमारस्वामी जनता दल (एस) के शीर्ष नेता हैं। पार्टी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, और कांग्रेस को भी स्पष्टीकरण देना होगा, क्योंकि निखिल ने कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री एम. कृष्णप्पा की पोती से शादी की है। जब देवेगौड़ा परिवार से पूछा गया कि उन्होंने नियमों का पालन क्यों नहीं किया, तो कुमारस्वामी ने यह दावा करते हुए एक एरियल फुटेज जारी किया कि शादी में केवल 40 लोग शामिल हुए थे।
कुमारस्वामी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा: ‘..... इस मुश्किल वक्त में हमने सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया। हमने सिस्टमैटिक सोशल डिस्टैंस बनाए रखा और शादी में पर्याप्त सावधानी बरती। ..... जब मौजूदा हालात बदलेंगे, हम वर्तमान परिस्थिति से बाहर निकल जाएंगे, और जब जिंदगी सामान्य हो जाएगी, तब हम और आप साथ बैठेंगे और एक साथ मिलकर दावत करेंगे।’ कर्नाटक सरकार ने पहले ही कहा था कि उसके अधिकारी इस शादी पर नजर रखेंगे और यदि लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग के नियम टूटते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।
आम तौर पर मैं व्यक्तिगत या पारिवारिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता, खासकर जब बात शादी-विवाह या सामाजिक कार्यक्रमों की हो। अगर थोड़ी बहुत गड़बड़ हो भी जाए, तो भी ऐसे मौके पर कुछ कहना अच्छा नहीं लगता। लेकिन इस वक्त फैली कोरोना वायरस नाम की महामारी और पूरे राष्ट्र के सामने मुंह बाए खड़े मौजूदा संकट ने मजबूर कर दिया। लॉकडाउन के चलते लाखों भारतीयों ने अपनी शादियों को टाल दिया। पिछले 25 दिनों से करोड़ों लोग अपने घरों में बंद हैं। लॉकडाउन के चलते लाखों कामगार और प्रवासी मजदूर अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। उनके पास काम नहीं है। करोड़ों लोग सरकार की तरफ से दिए गए राशन से अपना गुजारा कर रहे हैं।
देवेगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी को संकट की इस घड़ी में एक मिसाल पेश करनी चाहिए थी। यदि शादी को कुछ महीनों के लिए टाल दिया जाता तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ता। मुझे पता है कि देवेगौड़ा का परिवार ज्योतिष और 'तंत्र' में विश्वास करता है। यह उनका निजी मामला है और मुझे इसके बारे में कुछ भी नहीं कहना। लेकिन देवेगौड़ा परिवार को ज्योतिष में गहरी आस्था के चलते पूरे समाज का भविष्य दांव पर लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कर्नाटक सरकार को इस मामले में ऐक्शन लेना चाहिए। (रजत शर्मा)
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