सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के तुरंत बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ ने किसानों के 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने संबंधी फाइलों पर दस्तखत कर दिए। इसके बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि उनकी सरकार में सिर्फ उन्हीं उद्योगों को छूट का लाभ मिलेगा, जो अपने यहां राज्य के कम से कम 70 फीसदी लोगों को रोजगार देंगे। यहां तक तो उनकी टिप्पणी ठीक थी, लेकिन अपने आदेश में और वजन पैदा करने के लिए उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार के प्रवासी कामगार उनके राज्य के लोगों की नौकरियों पर कब्जा जमा लेते हैं।
उनके इस बयान पर उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं ने बेहद ही कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने कमलनाथ के इस बयान की जमकर निंदा की। संक्षेप में कहें तो कमलनाथ की नीयत भी ठीक थी और उन्होंने बात भी सही कही, लेकिन इसे कहने के लिए गलत शब्दों का चयन कर लिया। उन्हें यूपी और बिहार के प्रवासी कामगारों का जिक्र करने से बचना चाहिए था।
कमलनाथ आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और अपने राज्य को युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराना उनकी सरकार की जिम्मेदारी है। एक मुख्यमंत्री अपने राज्य के लोगों के भले के बारे में सोचने के लिए नैतिक रूप से बाध्य होता है, और कमलनाथ भी वही कर रहे थे। लेकिन उन्हें यह भी समझना होगा कि यूपी और बिहार से आने वाले प्रवासी कामगार उनके राज्य पर बोझ नहीं हैं, बल्कि असेट हैं और तरक्की की राह में हाथ बंटाते हैं। (रजत शर्मा)
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