सोमवार की रात लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हुई अब तक की सबसे हिंसक झड़पों में से एक में भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट के 19 जवान और एक कर्नल शहीद हो गए। गलवान घाटी में पीछे हटते समय चीनी सैनिकों ने अचानक हमारे जवानों और अफसरों पर लोहे की छड़ों, कील लगी लाठियों और पत्थरों से हमला कर दिया, जिसके चलते LAC की धरती 45 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर खून से लाल हो गई।
हमारे बहादुर अफसरों और जवानों ने भी तुरंत जवाबी कार्रवाई की जिसमें चीनी सेना के 43 सैनिक मारे गए। इस पूरी झड़प के दौरान एक भी गोली नहीं चली। देश सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने के लिए राष्ट्र कर्नल बी. संतोष बाबू को नमन करता है। हम उन सभी शहीद जवानों को भी सल्यूट करते हैं, जिन्होंने शाम ढलते ही शुरू हुई और आधी रात के करीब खत्म हुई इस लड़ाई में लड़ते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी।
भारत और चीन के बीच इस समय कई स्तरों पर बातचीत चल रही है, लेकिन यह हिंसक झड़प चीन के छिपे हुए मंसूबों पर सवाल खड़े करती है। लद्दाख में इस साल अप्रैल के बाद की पूरी तस्वीर पर नजर दौड़ाएं तो चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी का धोखा और हद दर्जे का विश्वासघात नजर आता है।
सबसे पहले उनके सैनिकों ने लद्दाख में कई जगहों पर भारी तोपों की तैनाती करते हुए और कंक्रीट की संरचनाएं बनाते हुए घुसपैठ की, इसके बाद उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों के साथ हुई लंबी बातचीत में पीछे हटने पर सहमति व्यक्त की, और फिर शाम को उनके सैनिकों ने पीछे हटते हुए हमारे कमांडिंग अफसर और उनके जवानों पर अचानक हमला कर दिया। यह स्पष्ट रूप से चीनी सेना के नापाक मंसूबों को जाहिर करता है।
यह झड़प कुछ इस तरह शुरू हुई। 6 जून को कोर कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते के परिणामस्वरूप चीनी सैनिकों को सोमवार को पैट्रोलिंग पॉइंट 14 (PP14) से पीछे हटना था। समझौते के मुताबिक चीनी सैनिकों को अपने इलाके में 5 किलोमीटर तक पीछे जाना था। 16 बिहार रेजिमेंट के हमारे कमांडिंग ऑफिसर की चौकस निगाहों के तहत सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हो रहा था। तभी अचानक चीनी कमांडर ने पीछे हटते हुए अपने सैनिकों को कार्रवाई के लिए भड़काया। इसके बाद चीनी सैनिकों ने लोहे की छड़ों, नुकीली लाठियों और पत्थर के टुकड़ों से हमारे सैनिकों के ऊपर हमला बोल दिया। ये झड़प आधी रात को तब तक चलती रही जब तक दोनों सेनाएं अलग नहीं हो गईं। दोनों ही तरफ के सैनिक बड़ी संख्या में घायल हो गए।
हमारी सेना के सूत्रों के मुताबिक, सोमवार रात तक भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, जबकि चीन के 43 सैनिक मारे गए। चीनियों ने अभी तक अपने हताहतों की संख्या का खुलासा नहीं किया है।
मैंने सेना के कई वरिष्ठ अधिकारियों से बात की। उन्होंने कहा कि भारत को पूरे एलएसी पर चीनियों के किसी भी तरह के दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। चीन इस बात पर भड़का हुआ है कि भारत LAC पर 255 किलोमीटर लंबी दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का निर्माण कर रहा है। भारतीय इलाके में बन रही यह सड़क पूर्वी भाग को उत्तरी लद्दाख में स्थित सियाचिन ग्लेशियर से जोड़ती है।
दुर्गम इलाके में इस सड़क का निर्माण वास्तव में चुनौतीपूर्ण था और इसे पूरा करने में 20 साल लग गए। भारत के सामरिक दृष्टिकोण से यह सड़क बहुत महत्वपूर्ण है और इसके जरिए भारतीय सेना की पहुंच चीन के शिनजियांग एक्सप्रेसवे तक हो सकती है। भारत की एयर फोर्स ने 7 साल पहले C-130 J सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान को दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर उड़ाया था।
चीन तभी से अपनी तैयारियों में लगा हुआ है। इसने गलवान घाटी में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर अपने सैनिकों को इकट्ठा करना शुरू किया और सिक्किम सीमा पर नाकु ला में 5 मई को घुसपैठ करने की कोशिश की। चीन के सैनिकों को छिपाकर कचरा ढोने वाले ट्रकों में लाया गया। पैंगॉन्ग झील पर भारतीय और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गईं, लेकिन गलवान घाटी में गतिरोध जारी रहा। उस समय तक चीन ने लगभग 10,000 सैनिकों को इकट्ठा कर लिया था और भारत ने भी चीनियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का मन बना लिया था। चीनी सेना का सामना करने के लिए भारत ने भी उतनी ही संख्या में अपने सैनिक तैनात कर दिए।
कूटनीतिक और कमांडर स्तर की बातचीत के बाद चीनी सैनिक पैट्रोल पॉइंट्स 14, 15 और 17 से लगभग ढाई किमी पीछे हट गए। डिसएंगेजमेंट प्लान के तहत उन्हें और पीछे हटना था। अंत में पीछे हटते हुए उन्होंने अचानक हमारे कर्नल और सेना के जवानों पर कायरतापूर्ण हमला कर दिया।
क्या अब चीन पर भरोसा किया जा सकता है? पिछले कई सालों से यह मुल्क विश्वासघात और छल-कपट का सहारा लेता आया है। इसका इतिहास कुछ ऐसा ही रहा है और भारत को अब पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है। हमारे प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सैन्य प्रमुखों की निगरानी में तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। हमारा विदेश मंत्रालय अन्य वैश्विक ताकतों को चीनी घुसपैठ और उसकी मूवमेंट के बारे में सूचित कर रहा है।
यह सब अपनी जगह पर है, लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि LAC पर तनाव जल्द ही समाप्त हो जाएगा और शांति बनी रहेगी। हमें ऐसी ही उम्मीद करनी चाहिए, और हम यह भी आशा करते हैं कि चीनी सैनिक शांति से अपने पोजिशन पर पीछे हट जाएंगे। लेकिन फिर भी, हमारे मन में कुछ सवाल हैं: क्या यह सब एक नाटक है? चीन ऐसा क्यों कर रहा है? आखिर वह इस तरह की हरकतें क्यों कर रहा है?
मैं इन सवालों का जवाब देने की कोशिश करता हूं। यह कोई रहस्य नहीं है कि चीनियों ने ही घातक कोरोना वायरस को पूरी दुनिया में फैलाया है। अब दुनिया के सभी देश यह जान गए हैं कि चीन ने न केवल वायरस फैलाया, बल्कि तथ्यों को भी छिपाया और साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को मैन्युपुलेट किया। अगर चीन ने दुनिया को वायरस के बारे में सचेत कर दिया होता, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय समय रहते इससे बचने के उपाय कर सकता था और कई लाख लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
इसके बाद चीन ने दुनिया के तमाम देशों को घटिया क्वॉलिटी के मास्क, पीपीई किट और टेस्टिंग किट की सप्लाई की। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, स्पेन और इटली समेत दुनिया के तमाम देश चीन से नाखुश हैं। अब यह सवाल पूछा जा सकता है कि इन सबका LAC पर चल रहे तनाव से क्या लेना-देना?
मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है जब दुनिया चीन को सबक सिखाए। आर्थिक और कूटनीतिक स्तर की कार्रवाई किसी की सीमा में की गई घुसपैठ से कहीं ज्यादा असर रखती है। कई देशों ने चीन के साथ व्यापार पर लगाम लगाना शुरू कर दिया है और चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया जा रहा है। चीनी नेतृत्व इस बात से चिंतित है और दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है। चीन के लिए इसका सबसे आसान तरीका यह है कि भारतीय सीमा पर तनाव को बढ़ा दिया जाए।
मैं रणनीतिक विशेषज्ञों इस बात से सहमत हूं कि एलएसी पर तनाव चीन की चाल के सिवा कुछ नहीं है। चीन लंबे समय तक LAC पर तनाव कायम नहीं रख सकता है, वह केवल दुनिया को यह आभास देना चाहता है कि उसकी ताकत अभी कम नहीं हुई है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 जून, 2020 का पूरा एपिसोड